मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्थर, करीब आने वाले का जिन्न करते हैं ये हाल
मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्थर, करीब आने वाले का जिन्न करते हैं ये हाल
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यहां है ये किला
भोपाल के पास एक किला है। ये किला भोपाल से 50 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है। इस किले का नाम है रायसेन का किला। कहते हैं कि इस किले के अंदर पारस पत्थर मौजूद है। इस किले को 1200 ईस्वी में बनवाया गया था। इसकी खासियत ये है कि ये बलुआ पत्थर का बना हुआ है। इसके साथ ही इस किले की एक और खासियत है।
ये है दूसरी खासियत
इसकी दूसरी खासियत ये है कि इस किले में सबसे पुराना वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है। इस किले को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस किले के राजा के पास एक पारस का पत्थर था। उस पारस के पत्थर को लेने के लिए यहां पर कई युद्ध हुए। ऐसा ही एक युद्ध राजा रायसेन ने लड़ा। दुखद ये है कि वो उस युद्ध में हार गए। अब वो पत्थर किसी और के हाथ में न चला जाए, इसलिए उन्होंने उसको किले के अंदर ही तालाब में फेंक दिया। आखिर में युद्ध के दौरान ही राजा की मौत भी हो गई। मरने से पहले उन्होंने पारस पत्थर के बारे में किसी को नहीं बताया।
ऐसा हुआ राजा के साथ फिर
उनकी मौत के बाद वो किला वीरान हो गया। इसके बावजूद उस पारस पत्थर को ढूंढने उस किले में बहुत से लोग गए। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी किले में पत्थर को ढूंढने जाता, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता। इसके पीछे का कारण बताया गया कि क्योंकि उस पारस पत्थर की रखवाली जिन्न करते हैं। यही वजह है कि उसको ढूंढने के लिए जाने वाला हर इंसान मानसिक संतुलन खो देता है।
अब तांत्रिकों को दे दी गई है जिम्मेदारी
वहीं आपको ये भी बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है। बताया जाता है कि अब पत्थर की खोज होनी बंद हो गई है। कहते हैं कि अब इस काम के लिए सिर्फ तांत्रिकों की ही मदद ली जाती है। दिन में इस किले को लोगों के लिए खोल दिया गया है। दिन में यहां लोग घूमने के लिए आते हैं। वहीं रात होते ही यहां खुदाई का काम शुरू हो जाता है। इस खुदाई की बात का सबूत ये है कि किले में दूसरे दिन बड़े-बड़े गढडे देखने को मिलते हैं। फिलहाल, यहां पारस पत्थर और जिन्न के बारे में अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। पुरातत्व विभाग अभी इस मामले में खोज कर रहा है।
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