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सोमवार, 28 नवंबर 2016

6:46:00 pm

दुनिया के ये 6 लोग मजाक-मजाक में हो गये मालामाल

दुनिया के ये 6 लोग मजाक-मजाक में हो गये मालामाल

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आज मॉडर्न टेक्नोलॉजी की वजह से हमारे पास ऐसे यंत्र आ गए हैं जिनसे खजानों का ठिकाना पता करना आसान हो गया है, इन लोगों ने सिर्फ मेटल डिटेक्टर्स की मदद से ही इन खजानों का पता लगाया।

कहते हैं न कि ढूंढने से तो भगवान भी मिल जाते हैं, फिर खजाना क्या चीज है! दुनिया में कई जगहों पर अनमोल खजाने छिपे हुए हैं लेकिन कहा ये जाता है कि जिसकी किस्मत में जो होता है उसे वही मिलता है। लेकिन अब ऐसा नही है इन खजानों को पता लगाने वाले आप और हमारे जैसे सामान्य लोग ही हैं जिनकी किस्मत और मेहनत ने उन्हें करोड़पति बना दिया। आज मॉडर्न टेक्नोलॉजी की वजह से हमारे पास ऐसे यंत्र आ गए हैं जिनसे खजानों का ठिकाना पता करना आसान हो गया है, इन लोगों ने सिर्फ मेटल डिटेक्टर्स की मदद से ही इन खजानों का पता लगाया। गजबपोस्ट के अनुसार ये है इनकी कहानी और अब आप भी लग जाइये इस खजाने की खोज में।

1. खजाना: रोमन कॉइन होर्ड

जगह: फ्रॉम, सॉमरसेट

साल: 2010


डेव क्रिस्प फ्रॉम शहर के एक खेत में कुछ ढूंढ रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि शायद एक रोमन सिक्का मिल जाए लेकिन कुछ घंटों बाद ही उनके मेटल डिटेक्टर से आवाज आने लगी। पता चला कि रोमन युग के चांदी के सिक्कों का अब तक का सबसे बड़ा खजाना उनके हाथ लग गया था।

3 दिन तक चली खुदाई में 52,000 रोमन सिक्के मिले जिसकी कीमत करीब 5,00,000 पाउंड्स थी. लेकिन दुर्भाग्य से ये सारा खजाना राजकोष में चला गया।

2. खजाना: सिल्वरडेल होर्ड

जगह: हैरोगेट, नार्थ यॉर्कशायर

साल: 2007


डेविड और उसका बेटा एंड्रू नार्थ यॉर्कशायर के एक खेत में कुछ खोज रहे थे कि तभी लोहे के टुकड़ों के बीच उन्हें चांदी का एक बाउल मिला जिस पर बहुत सुन्दर नक्काशी थी. इसके बाद खुदाई करने पर उन्हें वहां से 617 चांदी के सिक्के और 65 चांदी केआइटम्स मिले। बताया जाता है कि ये सारी चीजें 900 अऊ में फ्रांस या जर्मनी में बनी थीं। इस खजाने को यॉर्कशायर म्यूजियम को बेच दिया गया था। डेविड और खेत के मालिक को 1 मिलियन पाउंड्स की भारी रकम मिल गयी।

3. खजाना: रिंगलमेयर कप

जगह: सैंडविच, केंट

साल: 2001


एक धुंधली सुबह, कीचड़ में कुछ ढूंढते हुए, ईस्ट केंट में रहने वाले क्लिफ ब्रैडशॉ ने अपने मेटल डिटेक्टर की आवाज सुनी। वहां खुदाई करने पर उन्हें एक दुर्लभ और उत्कृष्ट सोने का प्याला मिला, जिसे अब रिंगलमेयर कप के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार का ये दुनिया में दूसरा ही प्याला है। बताया जाता है कि ये प्याला कांस्य-युग (2300 इउ) का है। इस कप को ब्रिटिश म्यूजियम ने क्लिफ ब्रैडशॉ से 2,70,000 पाउंड्स में खरीदा था। मुझे तो लगता था कि कीचड़ में सिर्फ कमल ही खिलता है, यहां तो खजाना मिल गया।

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4. खजाना: फिशपूल होर्ड

जगह: रेवन्सहेड, नॉटिंघमशायर

साल: 1966


1966 में, एक बिल्डिंग बनाने के लिए खुदाई करने पर मजदूरों को मध्यकालीन युग के सिक्कों का खजाना मिला। ब्रिटेन के इतिहास का ये सबसे बड़ा खजाना था। 15वीं शताब्दी के इस खजाने में 1,237 सोने के सिक्के, 4 अंगूठियां, 4 गहने और 2 सोने की चेन थीं।

अनुमान ये था कि युद्ध से भागते वक्त किसी ने इस खजाने को यहां छुपा दिया था। यहां मिले गहने बहुत ही सुन्दर और अनमोल हैं, इसीलिए ब्रिटिश म्यूजियम ने इस खजाने को 3,00,000 पाउंड्स में खरीद लिया।

5. खजाना: किंग्स रैनसम

जगह: लिचफील्ड, स्टैफोर्डशायर

साल: 2009


लिचफील्ड के प्राचीन शहर में कई खजाने दफन हैं, लेकिन इस छोटे से आइलैंड पर इतना बड़ा खजाना मिलेगा, ये किसी ने नहीं सोचा था। एक किसान के खेत में खुदाई करते वक्त टेरी हर्बर्ट को 5 किलो सोने और 1.3 किलो चांदी के जेवरात मिले।

ये जेवर एंग्लो-सैक्सन आर्ट के बहुत ही नायब नमूने थे। इस खजाने की कीमत करीब 3.26 मिलियन पाउंड्स थी। ये खजाना अब ब्रिटिश म्यूजियम में रखा हुआ है।

6. खजाना: हॉक्सन होर्ड

जगह: हॉक्सन, सफिक

साल: 1992


अब तक मिले सारे खजाने मेटल डिटेक्टर की मदद से मिले हैं, लेकिन हॉक्सन का ये खजाना तक मिला जब कुछ आदमी अपना हथौड़ा ढूंढने की कोशिश कर रहे थे। पीटर व्हॉट्लिंग ने अपने दोस्त एरिक को वो हथौड़ा खोजने के लिए बुलाया लेकिन खुदाई करते वक्त उन्हें कई हीरे-जवाहरात, चांदी के चम्मच और सोने गहने मिले।

पूरी तरह खुदाई करने पर वहां से 15,000 रोमन सिक्के और 200 दूसरी दुर्लभ चीजें मिलीं। इस खजाने के लिए एरिक को 1.75 मिलियन पाउंड्स की राशि मिली जो उसने अपने दोस्त पीटर के साथ बांटी। इतनी रकम किसी खजाना ढूंढने वाले को पहली बार मिली है।

7:56:00 am

नोटबंदी के दौर में जानें विश्व के 5 सबसे महंगे नोटों के बारे में!


नोटबंदी के दौर में जानें विश्व के 5 सबसे महंगे नोटों के बारे में!

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आज हम आपको बताने जा रहे हैं. विश्व के 5 सबसे महंगे नोटों के बारे में. आपको ये जान कर हैरानी होगी कि इन 5 सबसे ताकतवर नोटों की लिस्ट में अमेरिका शामिल नहीं है. आगे की स्लाइड्स में जानें इन नोटों के बारे में...!

1 कुवैत दीनार 224.33 भारतीय रुपए.

1 बहरीन दीनार 181.70 भारतीय रुपए

1 ओमान रियाल 178.01 भारतीय रुपए

1 लात्विया लात 110.42 भारतीय रुपए.

1 जॉर्डन दीनार 96.69 भारतीय रुपए.

7:42:00 am

कहा जाता है कि यह स्थल भगवान शिव जी और पार्वती जी का विवाह स्थल है

कहा जाता है कि यह स्थल भगवान शिव जी और पार्वती जी का विवाह स्थल है

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देवाति देव महादेव और देवी पार्वती का पवित्र विवाहस्थल! भगवान शिव जी और देवी पार्वती के विवाहस्थल की मनुस्मृति! शिवभक्तों के अनुसार विश्व की उत्पत्ति शिव की कृपा से हुई है और एक दिन यह शिव में ही विलीन हो जाएगी। भगवान भोले का शृंगार, विवाह, तपस्या और उनके भक्तगण - सब अद्वितीय हैं। उनके विवाह, तपस्या और भक्तों पर कृपा की कई कथाएं प्रचलित हैं।और ये कथाएं जहाँ जहाँ घटी हैं वे जगह आज तीर्थस्थलों के रूप में प्रसिद्द हैं।

उत्तराखंड जो ऐसे ही कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं के लिए प्रसिद्द है। यहाँ के कई स्थल सिर्फ पर्यटक स्थल के रूप में ही नहीं, पवित्र तीर्थस्थलों के रूप में भी लोकप्रिय हैं। यह पवित्र राज्य कई नदियों और संगमों का भी उद्गम स्थल है, और हर एक स्थान के पीछे एक रहस्य भी जुड़ा हुआ है। यहाँ का त्रियुगीनारायण मंदिर ऐसे ही पौराणिक मंदिरों में से एक है, जो उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण गाँव में स्थित है। यह गाँव रुद्रप्रयाग जिले का ही एक भाग है। त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह स्थल भगवान शिव जी और पार्वती जी का विवाह स्थल है।

इस मंदिर की एक खास विशेषता है, मंदिर के अंदर जलने वाली अग्नि जो सदियों से यहाँ जल रही है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी और देवी पार्वती जी ने इसी अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। इसलिए इस जगह का नाम त्रियुगी पड़ गया जिसका मतलब है, अग्नि जो यहाँ तीन युगों से जल रही है। जैसा कि यह अग्नि नारायण मंदिर में स्थित है, इसलिए इसे पूरा त्रियुगीनारायण मंदिर कहा जाता है।

रुद्रप्रयाग पहुँचें कैसे? तो चलिए आज हम खुद भगवान शिव जी और देवी पार्वती के महा मिलन, उनके विवाह के साक्षी बनने के लिए चलते हैं। शिव और पार्वती का पवित्र विवाहस्थल! त्रियुगीनारायण मंदिर कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती अपने पिछले जन्म में देवी सती के नाम से भगवान शिव जी की पत्नी थीं, पर उनके पिता द्वारा जब भगवान शिव जी का अपमान किया गया, उनहोंने वहीं आत्मदाह कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। मृत्यु के बाद अपने अगले जन्म में उन्होंने राजा हिमवत की पुत्री के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव जी को अपनी सुंदरता से लुभाने के लिए हर एक कोशिश की।

7:40:00 am

तो इसलिए इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा

तो इसलिए इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा

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हाल ही में कुछ मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक पर काफी विवाद हुआ। मंदिर के प्रमुख लोगों का कहना था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए। दरअसल मंदिर प्रमुख का कहना है कि मासिक धर्म टेस्ट करने वाली मशीन के चेक होने के बाद ही महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलेगी। उन्हें लगता है कि महिलाओं की शुद्धता का पता लगाना मुश्किल होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म का उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथो में भी मिलता है। भागवत पुराण के अनुसार स्त्रियों को मासिक धर्म क्यों होता है? इस बारे में एक पौराणिक कथा मिलती है।

पुराण के अनुसार एक बार 'बृहस्पति' जो देवताओं के गुरु थे, एक बार वह देवराज इंद्र से काफी नाराज हो गए। इसी दौरान असुरों ने देवलोक परआक्रमण कर दिया और इंद्र को इंद्रलोक छोड़कर जाना पड़ा।

तब इंद्र, ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे मदद की मांग की। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि, इंद्र देव आपको किसी ब्रह्म-ज्ञानी की सेवा करनी चाहिए ऐसे में आपके दु:ख का निवारण होगा। तब इंद्र एक ब्रह्म-ज्ञानी व्यक्ति की सेवा करने लगे। लेकिन वो इस बात से अनजान थे कि उस ब्रह्म-ज्ञानी की माता असुर थीं। माता का असुरों के प्रति विशेष लगाव था। ऐसे में इंद्र देव द्वारा अर्पित सारी हवन सामग्री जो देवताओं को अर्पित की जाती थी, वह ब्रह्म-ज्ञानी असुरों को चढ़ाया करते थे। इससे इंद्र की सेवा भंग हो गई। जब इंद्र को यह बात पता चली तो वो बहुत नाराज हुए। उन्होंने उस ब्रह्म-ज्ञानी की हत्या कर दी। हत्या करने से पहले इंद्र उस ब्रह्म-ज्ञानी को गुरु मानते थे और गुरु की हत्या करना घोर पाप है। इसी कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष भी लग गया।

ये पाप एक भयानक दानव के रूप में उनका पीछा करने लगा। किसी तरह इंद्र ने स्वयं को एक फूल में छुपाया और कई वर्षों तक उसी में भगवान विष्णु की तपस्या करते रहे। भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और इंद्र को ब्रह्म हत्या के दोष से बचा लिया। उन्होंने इस पाप मुक्ति के लिए एक सुझाव दिया। सुझाव के अनुसार इंद्र ने पेड़, जल, भूमि और स्त्री को अपने पाप का थोड़ा थोड़ा अंश देने के लिए मनाया। इंद्र की बात सुनकर वह तैयार हो गए। इंद्र ने उन्हें एक-एक वरदान देने की बात कही।

सबसे पहले पेड़ ने ब्रह्महत्या के पाप का एक चौथाई हिस्सा लिया जिसके बदले में इंद्र ने पेड़ को अपने आप जीवित होने का वरदान दिया। इसके बाद जल ने एक चौथाई हिस्सा लिया तो इंद्र ने जल को वरदान दिया कि जल को अन्य वस्तुओं को पवित्र करने की शक्ति होगी।

तीसरे पड़ाव में भूमि ने ब्रह्म हत्या का दोष इंद्र से लिया बदले में इंद्र ने भूमि को वरदान दिया कि भूमि पर आने वाली कोई भी चोट से उसे कोई असर नहीं होगा और वो फिर से ठीक हो जाएगी। आखिर में स्त्री ही शेष बची थी। इंद्र का ब्रह्म हत्या का दोष स्त्री ने लिया। बदले में इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा। लेकिन महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा काम का आनंद उठा सकेगीं।

पौराणिक मतों के अनुसार स्त्रियां ब्रह्म हत्या यानी अपने गुरु की हत्या का पाप सदियों से उठाती आ रही हैं। इसलिए उन्हें मंदिरों में अपने गुरुओं के पास जाने की इजाजत नहीं है। मान्यता है कि तभी से स्त्रियों में मासिक धर्म का होना शुरू हुआ। हालांकि आधुनिक युग में वैज्ञानिक मत को मानने वाले लोग इन बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं।

6:46:00 am

मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्‍थर, करीब आने वाले का जिन्‍न करते हैं ये हाल

मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्‍थर, करीब आने वाले का जिन्‍न करते हैं ये हाल

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यहां है ये किला
भोपाल के पास एक किला है। ये किला भोपाल से 50 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है। इस किले का नाम है रायसेन का किला। कहते हैं कि इस किले के अंदर पारस पत्‍थर मौजूद है। इस किले को 1200 ईस्‍वी में बनवाया गया था। इसकी खासियत ये है कि ये बलुआ पत्‍थर का बना हुआ है। इसके साथ ही इस किले की एक और खासियत है।

ये है दूसरी खासियत
इसकी दूसरी खासियत ये है कि इस किले में सबसे पुराना वॉटर हार्वेस्‍टिंग सिस्‍टम लगा हुआ है। इस किले को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस किले के राजा के पास एक पारस का पत्‍थर था। उस पारस के पत्‍थर को लेने के लिए यहां पर कई युद्ध हुए। ऐसा ही एक युद्ध राजा रायसेन ने लड़ा। दुखद ये है कि वो उस युद्ध में हार गए। अब वो पत्‍थर किसी और के हाथ में न चला जाए, इसलिए उन्‍होंने उसको किले के अंदर ही तालाब में फेंक दिया। आखिर में युद्ध के दौरान ही राजा की मौत भी हो गई। मरने से पहले उन्‍होंने पारस पत्‍थर के बारे में किसी को नहीं बताया।

ऐसा हुआ राजा के साथ फिर
उनकी मौत के बाद वो किला वीरान हो गया। इसके बावजूद उस पारस पत्‍थर को ढूंढने उस किले में बहुत से लोग गए। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी किले में पत्‍थर को ढूंढने जाता, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता। इसके पीछे का कारण बताया गया कि क्‍योंकि उस पारस पत्‍थर की रखवाली जिन्‍न करते हैं। यही वजह है कि उसको ढूंढने के लिए जाने वाला हर इंसान मानसिक संतुलन खो देता है।

अब तांत्रिकों को दे दी गई है जिम्‍मेदारी
वहीं आपको ये भी बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है। बताया जाता है कि अब पत्‍थर की खोज होनी बंद हो गई है। कहते हैं कि अब इस काम के लिए सिर्फ तांत्रिकों की ही मदद ली जाती है। दिन में इस किले को लोगों के लिए खोल दिया गया है। दिन में यहां लोग घूमने के लिए आते हैं। वहीं रात होते ही यहां खुदाई का काम शुरू हो जाता है। इस खुदाई की बात का सबूत ये है कि किले में दूसरे दिन बड़े-बड़े गढडे देखने को मिलते हैं। फिलहाल, यहां पारस पत्‍थर और जिन्‍न के बारे में अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। पुरातत्‍व विभाग अभी इस मामले में खोज कर रहा है।

6:46:00 am

मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्‍थर, करीब आने वाले का जिन्‍न करते हैं ये हाल

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यहां है ये किला
भोपाल के पास एक किला है। ये किला भोपाल से 50 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है। इस किले का नाम है रायसेन का किला। कहते हैं कि इस किले के अंदर पारस पत्‍थर मौजूद है। इस किले को 1200 ईस्‍वी में बनवाया गया था। इसकी खासियत ये है कि ये बलुआ पत्‍थर का बना हुआ है। इसके साथ ही इस किले की एक और खासियत है।

ये है दूसरी खासियत
इसकी दूसरी खासियत ये है कि इस किले में सबसे पुराना वॉटर हार्वेस्‍टिंग सिस्‍टम लगा हुआ है। इस किले को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस किले के राजा के पास एक पारस का पत्‍थर था। उस पारस के पत्‍थर को लेने के लिए यहां पर कई युद्ध हुए। ऐसा ही एक युद्ध राजा रायसेन ने लड़ा। दुखद ये है कि वो उस युद्ध में हार गए। अब वो पत्‍थर किसी और के हाथ में न चला जाए, इसलिए उन्‍होंने उसको किले के अंदर ही तालाब में फेंक दिया। आखिर में युद्ध के दौरान ही राजा की मौत भी हो गई। मरने से पहले उन्‍होंने पारस पत्‍थर के बारे में किसी को नहीं बताया।

ऐसा हुआ राजा के साथ फिर
उनकी मौत के बाद वो किला वीरान हो गया। इसके बावजूद उस पारस पत्‍थर को ढूंढने उस किले में बहुत से लोग गए। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी किले में पत्‍थर को ढूंढने जाता, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता। इसके पीछे का कारण बताया गया कि क्‍योंकि उस पारस पत्‍थर की रखवाली जिन्‍न करते हैं। यही वजह है कि उसको ढूंढने के लिए जाने वाला हर इंसान मानसिक संतुलन खो देता है।

अब तांत्रिकों को दे दी गई है जिम्‍मेदारी
वहीं आपको ये भी बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है। बताया जाता है कि अब पत्‍थर की खोज होनी बंद हो गई है। कहते हैं कि अब इस काम के लिए सिर्फ तांत्रिकों की ही मदद ली जाती है। दिन में इस किले को लोगों के लिए खोल दिया गया है। दिन में यहां लोग घूमने के लिए आते हैं। वहीं रात होते ही यहां खुदाई का काम शुरू हो जाता है। इस खुदाई की बात का सबूत ये है कि किले में दूसरे दिन बड़े-बड़े गढडे देखने को मिलते हैं। फिलहाल, यहां पारस पत्‍थर और जिन्‍न के बारे में अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। पुरातत्‍व विभाग अभी इस मामले में खोज कर रहा है।

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