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रविवार, 11 दिसंबर 2016

3:59:00 pm

शरीर के इन अंगो को छूआ तो समझो आई शामत

शरीर के इन अंगो को छूआ तो समझो आई शामत

1- हमे कभी अपने कानों में उंगली या कोई भी चीज को कानों को नुकसान पहंचा सकती हो नहीं डालनी चाहिए। कान में एक पतली से लेयर होती है जिसे कान का पर्दा कहा जाता है। कुछ भी नुकीला डालने से कानों को नुकसान पहुंच सकता है। ये कहना है जॉन के निपेरको का जो स्‍कूल ऑफ मेडीसिन ऑफ यूएससी के में प्रोफेसर हैं। अगर खुजली हो तो उंगली की बजाए बर्ड्स का इस्तेमाल करें क्योंकि इस पर रुई नर्म होती है। उंगली से कान की नलिका की पतली स्किन पर असर पड़ता है।

2- कभी अपने ब्रट पर हाथ नहीं लगाने चाहिए। टॉयलेट या बाथरूम के बाद अपने बट को कभी न छुएं क्योंकि यहां बैक्टेरिया होते हैं। हारबोरव्यू मेडिकल सेंटर के जेर्ड डब्ल्यू कल्न बताते हैं कि अगर किसी कारणवश छूने भी पड़े तो तुरंत हाथ धोना चाहिए।

 
3- बार-बार अपने चेहरे को धोने के अलावा अपने हाथ चेहरे पर नहीं बार-बार नहीं लगाने चाहिए। मेन्स हेल्थडर्मोटोलॉजी के एडवाइजर अदनान नासिर कहते हैं हमारी उंगलियां बहुत ऑयली होती हैं जिसके कारण चेहरे की त्वचा खराब हो सकती है।

4- मुहं से सबसे जल्‍दी बीमारी शरीर में पहुंचती है। हमें उंगलियों या हाथों को बार-बार अपने मुंह और होठों पर रखने की आदत होती है। इससे उंगलियों के बेक्मेंटीरियां मुंह में चले जाते हैं। इसलिए बार बार होठों को टच करने से बचना चाहिए।

5- कभी नाक में उंगली नहीं डालनी चाहिए। सबसे जल्दी बैक्टेरिया नाक से सांस के जरिए जाते हैं। अगर आपको नाक में उंगली डालने की आदत है तो छोड़ दें क्योंकि इससे बीमार होने का डर हमेशा बना रहता है।

6- नाखून सबसे जल्‍दी गंदे होते है। हमारे नाखूनों के नीचे बहुत सारे बैक्टेरिया जमा हो जाते हैं अगर आप नियमित साफ न करें तो यह नुकसान भी पहुंचाते हैं। ब्रश वगैरह से इसे साफ करें और नाखूनों के इस हिस्से को टच न किया करें।

7- आंखों को टच करने और रगड़ने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आंखो पर असर पड़ता है। जब कोई चीज आपकी आंखों में चली जाती है तो आप उंगलियों से निकालते हैं। इससे आपकी आंखों में कीटाणु चले जाते हैं जिससे आपकी आंखों में जलन भी होने लगती है। ऑपटोमोलॉजी के एडवाइजर किम्बले कहते हैं। अगर कुछ चला गया है तो चेहरा धोकर निकालें तो इतना नुकसान नहीं होगा।

11:58:00 am

113 साल से Bikes मार्केट पर ‘राज’ कर रही है हार्ले डेविडसन, जानें इससे जुड़े 8 Facts

113 साल से Bikes मार्केट पर ‘राज’ कर रही है हार्ले डेविडसन, जानें इससे जुड़े 8 Facts



नई दिल्‍ली. अमेरिका की मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी हार्ले डेविडसन अपनी पावरफुल, इनोवेटिव्‍स और दमदार बाइक्‍स के लिए दुनियाभर में जानी जाती हैं। 1903 में इस कंपनी की स्‍थापना विलियम ए डेविडसन, विलियम एस हार्ले, वाल्‍टर डेविडसन और आर्थर डेविडसन ने की थी। इन 113 सालों में हार्ले डेविडसन ने कई बड़े बदलाव किए, जो इसके कॉम्पिटिटर्स पर हमेशा भारी पड़े। हार्ले डेविडसन अपनी मोटरसाइकिलें यार्क, पेन्सिलवेनिया, विलवाउकी, विस्‍कॉन्‍सिन, कैनसास सिटी, मिसौरी, मनौस और बावल (इंडिया) की फैक्ट्रियों में बनाती हैं।
                                    


मोटरसाइकिल के अलावा हार्ले डेविडसन ब्रांड के तहत कंपनी मर्चेंडाइज प्रोडक्‍ट की भी बिक्री करती है। इसमें अपैरल, होम डेकोर और अर्नामेंट्स, एक्‍सेसरीज, टॉय, मोटरसाइकिल की स्‍केल फिगर और मोटरसाइकिल लाइन पर बेस्‍ड वीडियो गेम्‍स की बिक्री करती है। हाल ही में हार्ले डेविडसन ने मुंबई के टर्मिनल 2 पर अपन पहला मर्चेंडाइज-ओन्‍ली शोरूम खोला है।
हार्ले डेविडसन की कमान अभी मैथ्‍यू एस लिवाटिस के हाथों में है। वह हार्ले डेविडसन इंक के प्रेसिडेंट एवं सीईओ हैं। कंपनी में अभी करीब 6000 इम्‍प्‍लॉई जुड़े हैं। 2014 में कंपनी की नेट इनकम 79.55 करोड़ डॉलर आंकी गई। सौ साल से अधिक के अपने सफर में हार्ले डेविडसन से कई इंटरेस्टिंग फैक्‍ट्स जुड़े हैं। आइए जानते हैं ऐसे 8 फैक्‍ट्स के बारे में...  


हार्ले डेविडसन ने सही मायने में 1916 में बाइसिकल्‍स बनाना शुरू किया। बहुत कम समय के लिए कंपनी ने यह मैन्‍युफैक्‍चरिंग की। विलियम एस. हार्ले ने चार इंच के फ्लाय व्हील के साथ 116 सीसी का एक ऐसा छोटा इंजन बनाया, जो पेडल साइकिल में फिट हो सके।


1920 तक हार्ले डेविडसन दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल मैन्‍युफैक्‍चरर नहीं बन पाई थी। लेकिन इसके बाद वह पावरफुल बाइक्‍स बनाने वाली टॉप कंपनी बन गई। दरअसल, 1917 में अमेरिका प्रथम विश्‍व युद्ध में शामिल हुआ तो अमेरिकी सरकार ने हार्ले डेविडसन की एक तिहाई बाइक्स खरीद लीं। युद्धविराम के बाद हार्ले बाइक की सवारी करते हुए ही पहले अमेरिकी सेना ने जर्मनी में प्रवेश किया था। 1920 के बाद दुनिया के 67 देशों में हार्ले पहुंच गया और दुनिया का सबसे बड़ा बाइक ब्रांड बन गया।  


हार्ले ने अमेरिकी आर्मी की डिमांड पर उनके लिए बॉक्‍सर स्‍टाइल ट्वीन सिलेंडर इंजन बनाया। गौरतलब है कि हार्ले डेविडसन ने द्वितीय वर्ल्‍ड वार के दौरान 1941-45 तक केवल अमेरिकी आर्मी के लिए ही मोटरसाइकिलें बनाईं। इस दौरान करीब 90 हजार मोटरसाइकिलें बनाई गईं।  

70 का दशक आते-आते हार्ले ने अपनी तरह के नए और पावरफुल इंजन के साथ बाजार में उतरी। यह इंजन लिक्विड कूल्‍ड वी-4 इंजन था। इस इंजन को पोर्शे ने डिजाइन किया था।

हार्ले डेविडसन ने रोडरेसिंग में कई बाद वर्ल्‍ड चैम्पियनशिप्‍स जीती हैं। बता दें, 1905 में हार्ले और डेविडसन ने जुनौ एवेन्यू की चेस्टनट स्ट्रीट में 2400 स्‍क्‍वायर फुट के प्‍लाट पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई थी। आज इसी जगह पर हार्ले डेविडसन का हेड कर्वाटर है। 1905 में ही दुनिया का पहला मोटरसाइकिल कैटलॉग भी लॉन्च किया।

एक समय ऐसा भी आया जब पांच साल के लिए डेविडसन बाइक की मैन्‍युफैक्‍चरिंग जापान में की गई थी। हार्ले डेविडसन ने अपनी मैन्‍युफैक्‍चरिंग के पहले साल 50 मोटरसाइकिलें बनाईं।

1948 के बाद से हार्ले डेविडसन टू-स्‍ट्रोक इंजन बना रही है।


1971 में हार्ले डेविडसन ने पहली बार फोर सिलेंडर इंजन के साथ पहली बाइक उतारी।
11:51:00 am

Here’s the REAL reason why NASA never returned to the Moon 

Here’s the REAL reason why NASA never returned to the Moon 
Dr. Edgar Mitchell, one of the most famous Astronauts in the history of NASA, the man who participated in the Apollo 14 mission, and the sixth man to walk on the moon said that:
After traveling in space, I am fully confident that the aliens are watching us. I do not know how many, where and how they do it, but watching us; We see these ships at all times.

With all of the technology we have today, which has made spaceflight simpler than ever, why do you think NASA, or other space agency haven been to the moon ni recent years?
If we had the technology to bring mankind to the moon in 1969, how come we haven’t returned to Earth’s natural satellite recently?
NASA and privately owned space companies are already planning mankind’s next step in space exploration –visiting Mars— but many people agree that instead of going to Mars, we should be travelling to the moon, establishing colonies and laboratories on the lunar surface.
So what is keeping us from going to the moon?
Is it just a lack of interest as many believe? Or is it possible there is a ‘hidden’ reason why we have not travelled to Earths moon recently?
Many people around the globe firmly believe that NASA is hiding many things from the general public. Millions are convinced that there are secret alien bases on the lunar surface and according to statements from highly ranked government officials and even astronauts, this story may be true.
What if there are alien bases on the moon and NASA and governments around the globe are hiding the truth from society?
Interestingly, Dr. Edgar Mitchell, one of the most famous Astronauts in the history of NASA, the man who participated in the Apollo 14 mission, and the sixth man to walk on the moon said that:
After traveling in space, I am fully confident that the aliens are watching us. I do not know how many, where and how they do it, but watching us; We see these ships at all times.

Wouldn’t you agree that Astronauts are the most qualified people to talk about Aliens, Alien bases, and UFOs?
Interestingly, Mitchell wasn’t the only one to speak about Aliens.
Edwin Eugene Aldrin, Jr., aka ‘Buzz’ Aldrin, former American astronaut and engineer also commented on the matter. Buzz Aldrin was the Lunar Module pilot of the Apollo 11 mission and was also one of the first humans to set foot on the moon –he was the second person to walk on the lunar surface.
Aldrin said that:
On Apollo 11 in route to the Moon, I observed a light out the window that appeared to be moving alongside us. There were many explanations of what that could be, other than another spacecraft from another country or another world – it was either the rocket we had separated from, or the 4 panels that moved away when we extracted the lander from the rocket and we were nose to nose with the two spacecraft. So in the close vicinity, moving away, were 4 panels. And I feel absolutely convinced that we were looking at the sun reflected off of one of these panels. Which one? I don’t know. So technically, the definition could be “unidentified.”

We well understood exactly what that was. And when we returned, we debriefed and explained exactly what we had observed. And I felt that this had been distributed to the outside world, the outside audience, and apparently it wasn’t, and so many years later, I had the time in an interview to disclose these observations, on another country’s television network. And the UFO people in the United States were very very angry with me, that I had not given them the information. It was not an alien. Extraordinary observations require extraordinary evidence. That’s what Carl Sagan said. There may be aliens in our Milky Way galaxy, and there are billions of other galaxies. The probability is almost CERTAIN that there is life somewhere in space. It was not that remarkable, that special, that unusual, that life here on earth evolved gradually, slowly, to where we are today. But the distances involved in where some evidence of life may be, they may be hundreds of light years away.

11:38:00 am

120 साल के साधू की लंबी जिंदगी का ये है राज...

120 साल के साधू की लंबी जिंदगी का ये है राज...
वाराणसी। स्वामी शिवानंद 120 साल के हो चुके हैं और अभी भी वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। अपनी इस लंबी जिंदगी का श्रेय वह ब्रह्मचर्य को देते हैं। उसके पासपोर्ट में विवरण के अनुसार, उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को हुआ था।
स्वामी शिवानंद जिस साल पैदा हुए थे, उसी साल महारानी विक्टोरिया का भी जन्म हुआ था, जो ब्रिटिश इतिहास में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली साम्रागी हैं। इस मामले में उन्होंने अपने दादा दादा किंग जॉर्ज III को पीछे छोड़ दिया था।
स्वामी शिवानंद दुनिया में सबसे ज्यादा जीने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड अपने नाम करना चाहते हैं। अपने दावे को सत्यापित करने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के पास आवेदन करने जा रहे हैं।
उनका मानना ​​है कि वह जापान के जिरोईमोन किमुरा के बाद सबसे ज्यादा जीने वाले व्यक्ति हैं, जिनकी जून 2013 में 116 साल 54 दिनों के बाद निधन हो गया था। कोलकाता शहर में शिवानंद बहुत गरीब परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन अब वे वाराणसी में रहते हैं।
उसकी आश्चर्यजनक उम्र के बावजूद वह किसी दवा या चिकित्सा की मदद नहीं ले रहे हैं। वह हर दिन एक घंटे योग करते हैं।
अपनी लंबी उम्र का श्रेय वह योग, बिना मसालों के खाने और सेक्स न करने को देते हैं।
11:36:00 am

क्‍यों आज भी रहस्‍य बनी हुई है पातालगंगा

क्‍यों आज भी रहस्‍य बनी हुई है पातालगंगा


आंध्रप्रदेश में स्थित है बेलम गुफाएं


आंध्रप्रदेश के कुरनूल से 106 किलोमीटर दूर बेलम नाम की गुफाएं हैं। इन गुफाओं की खोज 1884 में ब्रिटिश सर्वेयर रॉबर्ट ब्रूस फुटे ने की थी। ये गुफा 3229 मीटर लंबी है। गुफा के एंट्रेंस से ठीक 150 फीट नीचे बहती है जिसे पातलगंगा का नाम दिया गया है। मेघायल की क्रेम लिअत प्राह गुफाओं के बाद बेलम गुफाएं भारत की सबसे बड़ी गुफाएं हैं। पातलगंगा से निकलने वाला पानी गुफा में कुछ दूरी तय करने के बाद रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाता है।
सपाट क्षेत्र में बनी है इकलौती गुफा
जियोलॉजिस्ट की माने तो हजारों साल पहले इस गुफा के नीचे पानी का बहाव बेहद तेज होगा जिस कारण यह गुफा बनी होगी। गुफा के अन्दर कई ऐसी चट्टानें मौजूद हैं जिनमें पानी के कारण छेद बन गए होंगे। गुफा में कुएं जितने बड़े सिंकहोल हैं। ज्यादातर गुफाएं पहाड़ों में होती हैं। ये भारत की इकलौती गुफा है जो  सपाट खेत के नीचे बनी है। ऊपर से नीचे गुफा तक कुएं जैसे तीन बड़े छेद बने हैं। इनमें से बीच वाले का इस्तेमाल गुफा में जाने के लिए किया जाता है।
मिले थे जैन, बौद्ध भिक्षुओं अवशेष
इन गुफाओं में जैन और बौद्ध भिक्षुओं के रहने के अवशेष मिले थे। जिन्हें अब अनंतपुर के म्यूजियम में सुरक्षित रखा गया है। बताया जाता है कि प्राचीन समय में यह गुफा बौद्ध भिक्षुओं के बीच ध्यान केंद्र के लिए मशहूर थी। जैन और बुद्धिस्ट भिक्षुओं के अवशेष इन गुफाओं का जियोलॉजिकल के अलावा एतिहासिक महत्व भी है।
11:35:00 am

यदि परिवार में कोई अक्सर बीमार होता हैं तो करें वास्‍तु के ये उपाय

यदि परिवार में कोई अक्सर बीमार होता हैं तो करें वास्‍तु के ये उपाय


अगर आपके घर में बच्चे और बड़े अक्सर बीमार रहते हैं तो इसका कारण ये बातें हो सकती हैं। सुनने में ये बातें बहुत ही सामान्य लगती है, लेकिन यही आपकी परेशानी का कारण हो सकती हैं। घर के लोगों का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा बनाए रखने के लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखें-




 1. घर के के सामने पेड़ या खंभा होने से घर के बच्चों का स्वास्थय ज्यादातर खराब रहता है। अगर आपके घर के सामने भी पेड़ या खंभा है तो इस वास्तु दोष से बचने के लिए घर के मेन गेट पर रोज स्वस्तिक बनाएं।
2. मेन गेट के सामने गढ्डा हो तो पारिवारिक सदस्यों को मानसिक रोग और तनाव घेरे रहता हैं। इससे बचने के लिए उस गढ्डे को मिट्टी से भर दें।
3. मेन गेट के सामने कीचड़ या गंदगी हो तो परिवार के सदस्य में किसी न किसी तरह की बीमारियों के घिरे रहते हैं। इसलिए, ध्यान रखें कि घर के आस-पास किसी तरह की गंदगी न रहे।
4. मेन गेट के सामने गंदा पानी इकट्ठा रहता हो तो घर के लोगों को कई तरह के रोगों का सामना करना पड़ सकता है। ध्यान रखें कि घर के सामने गंदा पानी जमा न हो सके। ऐसा होने पर तुरंत ही उसे साफ करवा लें।
5. मेन गेट के ठीक सामने घर का मंदिर या पूजा स्थल नहीं होना चाहिए। ऐसा होने से घर में देवी-देवता निवास नहीं करते और घर में बीमारियां और दुख बने रहते हैं। इससे बचने के लिए ध्यान रखें कि घर का मंदिर यहां न होते हुए कहीं और हो।
6. सूखे या कांटेदार पौधों को घर के आंगन में नहीं रखना चाहिए। ऐसे पौधे घर में कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। घर के आगन में हरे-भरे पेड़-पौधे लगाएंगे तो घर में कम से कम बीमारियां आएंगी। ध्यान रखें उन पेड़-पौधों की नियमित रूप से देख-भाल की जाए।
11:30:00 am

रुद्राक्ष पहनने के हैं कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ, जानते ही धारण करेंगे आप!


रुद्राक्ष पहनने के हैं कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ, जानते ही धारण करेंगे आप!

भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है।रुद्राक्ष भगवान शिव की कृपा का प्रतीक है।इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुणों के कारण अद्भुत शक्ति होती है।स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में कारगर माना जाता है।
भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। यह हिंदू पौराणिक कथाओं और तांत्रिक संप्रदाय के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण और रहस्यमय मनका है। माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक एनर्जी से बचाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वी ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन में रह रहे लोग भी करते हैं। आपने भी अक्‍सर कुछ तपस्वियों के साथ आम लोगों की गर्दन के चारों ओर रुद्राक्ष की माला को देखा होगा। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इस आश्‍चर्यजनक मनका को पहनने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। 
                             


 शिव पुराण के अनुसार, रुद्राक्ष भगवान शिव की कृपा का प्रतीक है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव के आंसुओं से मानी जाती है। ये मनका शिव के आंसू से तब बने जब वह एक गहरे ध्यान से बाहर आए थे। जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदे गिर गईं। इन्हीं आंसू की बूंदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ। 
वैज्ञानिकों के अनुसार रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुणों के कारण अद्भुत शक्ति होती है। इसकी औषधीय क्षमता विद्युत चुंबकीय प्रभाव से पैदा होती है। रुद्राक्ष के विद्युत चुंबकीय क्षेत्र एवं तेज गति की कंपन आवृत्ति स्पंदन से वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित हैं। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डॉक्‍टर डेविड ली ने अनुसंधान के बाद बताया कि रुद्राक्ष विद्युत ऊर्जा के आवेश को संचित करता है जिससे इसमें चुंबकीय गुण विकसित होते है। इसे डाय इलेक्ट्रिक प्रापर्टी कहा गया। इसकी प्रकृति इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व पैरामैग्नेटिक है एवं इसकी डायनामिक पोलेरिटी विशेषता अद्भुत है। यह आवेग मस्तिष्क में कुछ केमिकल्स को प्रोत्साहित करते हैं, इस प्रकार शरीर का चिकित्सकीय उपचार होता है। शायद यह भी एक कारण है कि रुद्राक्ष के शरीर से स्‍पर्श होने से लोग बेहतर महसूस करते हैं।
रुद्राक्ष का मानसिक प्रभाव
रुद्राक्ष बौद्धिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता है। आज के समय में अक्सर लोग तनाव और चिंता में डूबे रहने के कारण कई तरह की बीमारियों से ग्रस्‍त हो जाते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से संबंधी परेशानियों में कमी आती है, उत्साह और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
रुद्राक्ष का दिल पर प्रभाव
रक्त परिसंचरण और दिल की धड़कन शरीर के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र लाती है, विशेष रूप से दिल के क्षेत्र में। कीमोफार्माकोलॉजिकल विशेषताओं के कारण यह हृदयरोग, रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रण में प्रभावशाली है। नर्वस सिस्टम पर भी यह प्रभाव डालता है एवं संभवत:न्यूरोट्रांसमीटर के प्रवाह को संतुलित करता है। इसके अलावा वैज्ञानिकों द्वारा इसका बायो केमिकल विश्लेषण कर इसमें कोबाल्ट, जस्ता, निकल, आयरन, मैग्नीज, फास्फोरस, एल्युमिनियम, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, सिलिका एवं गंधक तत्वों की उपस्थिति देखी गई। रुद्राक्ष को धारण करना किडनी और डायबिटीज में भी फायदेमंद होता है।

2 मुखी रूद्राक्ष
2 मुखी रुद्राक्ष को आंखों के विकार, हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क, गुर्दे और आंत की बीमारियों से ग्रस्‍त लोगों को धारण करने के लिए कहा जाता है।
5 मुखी रूद्राक्ष
रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21-मुखी तक होते हैं, जिन्हें अलग-अलग प्रयोजन के लिए पहना जाता है। हालांकि पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी–स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है।
रुद्राक्ष का पेड़
वैज्ञानिकों के अनुसार रूद्राक्ष एक सदाबहार वृक्ष है। रुद्राक्ष के ज्यादातर वृक्ष उत्‍तरी, नेपाल, थाईलैंड या इंडोनेशिया में पाये जाते हैं। इसके बीज को रूद्राक्ष कहा जाता है जिसे माला में बुना जाता है। रुद्राक्ष के प्रभाव से आसपास का संपूर्ण वातावरण शुद्ध हो जाता है
11:27:00 am

कब छपा भारत का पहला नोट और नोट पर कब छपी महात्मा गांधी की तस्वीर, जानिए

कब छपा भारत का पहला नोट और नोट पर कब छपी महात्मा गांधी की तस्वीर, जानिए

आज दैनिक जागरण की बिजनेस टीम आपको नोटों से जुड़ा खास इतिहास बताने जा रही है। जानिए भारत में कब छपा पहला नोट......
                               



  नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से बीते 8 नवंबर को किए गए नोटबंदी के फैसले के बाद इसको लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। वहीं बाजार में आए 2000 रुपए के नोट को लेकर भी कुछ लोगों में दुविधा है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि नोटों पर बैन पहली बार लगा है। आजाद भारत में ऐसा कई बार हो चुका है। आज दैनिक जागरण की बिजनेस टीम आपको नोटों से जुड़ा खास इतिहास बताने जा रही है। जानिए भारत में कब छपा पहला नोट......
भारत का पहला नोट बैंक ऑफ हिंदुस्तान ने सन् 1770 में जारी किया था। ये नोट 10 रुपए से 10 हजार रुपए तक की कीमत के थे।
बैंक ऑफ हिंदुस्तान बंगाल प्रेसिडेंसी के तहत काम करने वाला एक प्राइवेट बैंक था। इसके अलावा मुंबई प्रेसिडेंसी की ओर से भी नोट जारी किए गए थे।साल 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने रुपए को आधिकारिक मुद्रा बनाया और इसे पूरे देश में लागू किया गया।अंग्रेजी शासन से पहले राजाओं की ओर से भी नोट जारी किए जाते थे।गोवा में जहां पुर्तगाली सरकार की ओर से जारी किए गए नोट चलते थे वहीं पुडुचेरी में फ्रांसीसी सरकार नोट जारी करती थी।अंग्रेजों के दौर में जारी नोटों पर जॉर्ज पंचम और क्वीन विक्टोरिया की तस्वीरें होती थीं।
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साल 1938 में अब तक का सबसे बड़ा नोट 10 हजार रुपए का छापा गया था।पहली बार जनवरी 1946 और दोबारा 1978 में भी 1000 और उससे ज्यादा मूल्य के नोटों को चलन से बाहर किया गया था।जनवरी, 1946 से पहले तक 1000 और 10 हजार रुपए के बैंक नोट चलन में थे।साल 1949 में आजाद भारत का पहला नोट एक रुपए का छापा गया। इसके ऊपर सारनाथ के सिंहों वाले अशोक स्तंभ की तस्वीर थी।
1954 में 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोटों को दोबारा लाया गया। जनवरी 1978 में इन सभी को बंद कर दिया।सन् 2000 में 1000 रुपए के नोट ने वापसी की।आजादी के बाद नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर यूज (साल 1969) की जाने लगी।
10:51:00 am

काला जादू से ज्यादा शैतानी है यह धर्म !!

काला जादू से ज्यादा शैतानी है यह धर्म !!


अभी तक आपने ऐसे नए धर्म के बारे में सुना होगा जिसके अनुसार व्यक्ति अपनी आत्मा के बल पर अपने सभी  बुरे अनुभवों से पीछा छुड़ा सकता है। इसे साइंटोलॉजी नाम से जाना जाता है और इस नए धर्म से हॉलीवुड के ख्‍यात हीरो टॉम क्रूज को भी जुड़ा बताया जाता रहा है, लेकिन अब नया धर्म सामने आ गया है जिसे 'शैतानी सेक्सी धर्म' कहा जाता है।इसके संस्थापक एलिस्टर क्राउली ने खुद को विश्व का सबसे बुरा आदमी घोषित किया था। 1875 में पैदा हुए क्राउली ने खुद को 'द ग्रेट बीस्ट, 666' की शैली में ढाला था। यह एक ऐसा धर्म था जिसे मानने वाले गोपनीय तरीके से रहते हैं और इसके बारे में भी बहुत कम ही जाना जाता है।


पर अब इस धर्म की सबसे ग्लैमरस और चर्चित प्रचारक पीचेस गेडोफ हैं, जो कहती हैं कि उनका विलीफ सिस्टम दिन-प्रतिदिन के जीवन में भी प्रयोग किया जाता है और इससे व्यक्ति को बहुत शांति मिलती है। लेकिन पीचेस गेडोफ ने जब अपनी धार्मिक मान्यताओं के बारे में ट्‍विटर पर अपने एक लाख 48 हजार सहयोगियों को बताया तो दुनिया को एक ऐसे धर्म की जानकारी मिली जो शैतानों की जीवनशैली लगती है।  चौबीस वर्षीय पीचेस ओटीओ (ओर्डो टेम्पली ओरिएंटिस) की भक्त हैं। ओटीओ उन्होंने अपनी बाईं बांह पर गुदवा भी लिया है। हालांकि उनके लिए धर्म जैसी किसी बात का पालन करना फैशन से ज्यादा नहीं है। पीचेस एक समय साइंटोलॉजिस्ट थीं, बाद में इसे छोड़कर वे यहूदी धर्म मानने लगीं, लेकिन हाल में उन्होंने इस नए धर्म को न केवल मानने की ठानी वरन इसका वे प्रचार-प्रसार भी करती हैं। अब एक निगाह ओटीओ और इसके संस्थापक एलिस्टर क्राउली के में जानें। वे इस धर्म के संस्थापक पैगम्बर थे। वे 1875 में एक सम्पन्न ब्रिटिश परिवार में पैदा हुए थे, पर उन्होंने खुद को 'द ग्रेट बीस्ट 666' का दर्जा दिया था। वह जादू-टोनों और गूढ़ विद्याओं को मानने वाला था। 1947 में मौत से पहले उसे इस बात का गर्व था कि वह '‍दुनिया का सबसे दुष्कर्मी प्राणी' है।पीचेस एक समय साइंटोलॉजिस्ट थीं, बाद में इसे छोड़कर वे यहूदी धर्म मानने लगीं, लेकिन हाल में उन्होंने इस नए धर्म को न केवल मानने की ठानी वरन इसका वे प्रचार-प्रसार भी करती हैं।


हॉलीवुड की एक और हस्ती जे जेड के बारे में भी ऐसा ही कहा जाता है। रैपर जे जेड के बारे में कहा जाता है कि वे क्राउली की किताबों से संग्रहित बातों को फैलाने में यकीन रखते हैं। प्रसिद्ध गायिका रिहाना के बारे में भी कहा जाता है कि उनके कुछ वीडियोज में इनका असर दिखता है। पीजेस से जब उनके एक टि्वटर अनुयायी ने पूछा कि वह थेल्मा (क्राऊली की शिक्षाओं) के बारे में कै‍से जान सकती हैं, पीचेस ने कहा उनकी किताबें पढ़ो जो सुपर इंट्रेस्टिंग हैं।कुछ लोग इसको कारोबारी अवसरवाद भी कहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस तरह की किताबें और क्रियाकलाप युवा लोगों को बहुत जल्दी प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन इसके मानने वाले युवा नहीं वरन ऐसे लोग हैं जो क्राउली की किताबों में बताए गए धार्मिक क्रियाओं, तंत्र-मंत्र को आजमाते हैं। ब्रिटेन में ओटीओ के प्रमुख जॉन बोनर (62) का कहना है कि हम मास अपील वाले संगठन नहीं हैं। ब्रिटेन में हमसे सैकड़ों लोग जुड़े हैं और सारी दुनिया में हमारे मानने वालों की संख्‍या हजारों में हो सकती है। ईस्ट ससेक्स में रहने वाले बोनर का कहना है कि एक तरीके से आप हमें सेक्स धर्म वाले भी कह सकते हैं क्योंकि हम इसे मानते, स्वीकार करते हैं और पूजते हैं।

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