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रविवार, 18 सितंबर 2016

6:17:00 pm

देवरहा बाबा की उम्र आज भी है रहस्य; उनके भक्तों में शामिल थीं इंदिरा गांधी


देवरहा बाबा की उम्र आज भी है रहस्य; उनके भक्तों में शामिल थीं इंदिरा गांधी



भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद को एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष ने अपने नाम से ख्याति दिलाई। कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से जीवन सफल हो जाता है। वह अपने चमत्कार से हजारों लोगों को तृप्त करते रहे। उनके आशीर्वाद को आतुर सिर्फ़ आम लोग ही नहीं, बल्कि कई विशिष्ट लोग भी थे।

उनके भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री , इंदिरा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी महान विभूतियां रही हैं। अत्यंत सहज, सरल और सुलभ बाबा के सानिध्य में जैसे वृक्ष, वनस्पति भी अपने को आश्वस्त अनुभव करते रहे। कुछ ऐसे ही थे चमत्कारिक, अलौकिक रहस्यमई ‘देवरहा बाबा’।

देवरहा बाबा की उम्र आज भी रहस्य है

लोगों का विश्वास है कि वे दो शताब्दी से भी अधिक जिए। बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है। कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें अपने बचपन में देखा था। उनके अनुसार इस बात के पुख्ता सबूत थे कि बाबा की आयु बहुत अधिक थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक बैरिस्टर के अनुसार उनका परिवार 7 पीढ़ियों से बाबा का आशीर्वाद लेता रहा था। 19 जून, 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपने प्राण त्यागने वाले बाबा के जन्म के बारे में आज तक संशय है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वह करीब 900 साल तक जिन्दा रहे थे।

आशीर्वाद देने का ढंग था निराला

देवरहा बाबा को खेचरी मुद्रा पर सिद्धि थी, जिस कारण वे अपनी भूख और आयु पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते थे। बाबा का आशीर्वाद देने का ढंग निराला था। मचान पर बैठे-बैठे ही अपना पैर जिसके सिर पर रख दिया, वह धन्य हो गया। श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे।

प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे, जबकि मचान पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी।

श्रद्धालुओं को कौतुहल होता था कि आखिर यह प्रसाद बाबा के हाथ में कहां से और कैसे आता है। जनश्रूति के मुताबिक वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवरों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।

देश विदेश तक थी ख्याति

बाबा की सिद्धियों के बारे में हर तरफ खूब चर्चा होती थी। कहते हैं कि जॉर्ज पंचम जब भारत आए तो उनसे मिले। जॉर्ज को उनके भाई ने देवरहा बाबा के बारे में बताया था कि भारत में सिद्ध योगी पुरुष रहते हैं। उन्होंने जॉर्ज से कहा था कि अगर भारत जाओ तो किसी और से मिलो या न मिलो, देवरिया जिले में दियरा इलाके में, मइल गांव जाकर, देवरहा बाबा से जरूर मिलना।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को बचपन में जब उनकी मां बाबा के पास ले गईं, तो उन्होंने कह दिया था कि यह बच्चा बहुत ऊंची कुर्सी पर बैठेगा। राष्ट्रपति बनने पर डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बाबा को एक पत्र लिखकर कृतज्ञता प्रकट की थी।

जब प्रधानमंत्री को अपना कार्यक्रम टालना पड़ा

कोई 1987 के जून महीने की बात है। देवरहा बाबा का वृंदावन में यमुना पार पर डेरा जमा हुआ था। प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बाबा के दर्शन करने के आतुर थे। अधिकारियों में उनकी सुरक्षा को लेकर हलचल मची हुई थी। प्रधानमंत्री के आगमन का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका था। आला अफसरों ने हैलीपैड बनाने के लिए वहां लगे एक बबूल के पेड़ की डाल काटने के निर्देश दिए। यह सुन कर बाबा आग-बबूला हो गये।

उन्होंने साफ शब्दों में अधिकारियों को बोलाः

“तुम यहां अपने पीएम को लाओगे, उनकी प्रशंसा पाओगे। पीएम का नाम भी होगा कि वह साधु-संतों के पास जाता है, लेकिन इसका दंड तो बेचारे पेड़ को भुगतना पड़ेगा वह मुझसे इस बारे में पूछेगा तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा? यह पेड़ होगा तुम्हारी निगाह में, मेरा तो यह सबसे पुराना साथी है। दिन-रात मुझसे बतियाता है। यह पेड़ नहीं काटा जाएगा।”


अफसरों ने अपनी दुविधा प्रकट की बाबा ने ही उन्हें सांत्वना दी और कहा कि फिक्र मत करो, अब तुम्हारे प्रधानमंत्री का कार्यक्रम टल जाएगा। तुम्हारे पीएम का कार्यक्रम मैं कैन्सिल करा देता हूं। दो घंटे बाद ही पीएम ऑफिस से रेडियोग्राम आ गया कि प्रोग्राम स्थगित हो गया है। कुछ हफ्तों बाद राजीव गांधी वहां स्वयं बाबा के दर्शन करने के लिए आए, लेकिन पेड़ नहीं कटा। इसे क्या कहेंगे चमत्कार या संयोग?

देवरहा बाबा से ही प्रभावित होकर इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित किया

आपातकाल के बाद हुए चुनावों में जब इंदिरा गांधी को पराजय का सामना करना पड़ा, तो वह भी देवरहा बाबा के चरणों में आईं। ऐसा लोग कहते हैं कि देवरहा बाबा ने अपने हाथ के पंजे से उन्हें आशीर्वाद दिया। उसी के बाद से इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित कर दिया। इसके बाद 1980 में इंदिरा के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वह देश की प्रधानमंत्री बनीं।

राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो

देवरहा बाबा भगवान राम के परम भक्त थे। देवरहा बाबा के मुख में सदा राम नाम का वास था। वह भक्तों को राम मंत्र की दीक्षा दिया करते थे। वह सदा सरयू के किनारे रहा करते थे। उनका कहना थाः एक लकड़ी ह्रदय को मानो दूसर राम नाम हिचानो।

राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो। देवरहा बाबा जनसेवा तथा गोसेवा को सर्वोपरि-धर्म मानते थे। प्रत्येक दर्शनार्थी को लोगों की सेवा, गोमाता की रक्षा करने तथा भगवान की भक्ति में रत रहने की प्रेरणा देते थे। देवरहा बाबा श्री राम और श्री कृष्ण को एक मानते थे और भक्तों को कष्ट से मुक्ति के लिए कृष्ण मंत्र भी देते थे।

दया के महासमुद्र थे देवरहा बाबा

बाबा देवरहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवरों को वह पल भर में काबू कर लेते थे। उनके भक्त उन्हें दया का महासमुंदर बताते हैं। जो भी आया, बाबा की भरपूर दया लेकर गया। वर्षाजल की भांति बाबा का आशीर्वाद सब पर बरसा और खूब बरसा।

मान्यता थी कि बाबा का आशीर्वाद हर मर्ज की दवाई है। कहा जाता है कि बाबा देखते ही समझ जाते थे कि सामने वाले का सवाल क्या है। दिव्यदृष्ठि के साथ तेज नजर, कड़क आवाज, दिल खोल कर हंसना, खूब बतियाना बाबा की आदत थी। याददाश्त इतनी कि दशकों बाद भी मिले व्यक्ति को पहचान लेते और उसके दादा-परदादा तक का नाम व इतिहास तक बता देते।

पंद्रह जून 1990 में योगिनी एकादशी का दिन और घनघोर बादल छाए थे। मौसम अचानक तेज आंधी- तूफान ले आई। यमुना नदी जैसे समुंदर को मात करने पर उतावली थी। लहरों का उछाल बाबा की मचान तक पहुंचने लगा और इन्हीं सबके बीच शाम चार बजे बाबा का शरीर स्पंदनरहित हो गया।

बाबा ब्रह्मलीन हो गए। उन्हें मचान के पास ही यमुना की पवित्र धारा में जल समाधि दी गई। जन स्वास्‍थ्य के लिए प्रेरित उनकी योगिक क्रियाएं, आध्यात्मिक उन्नति को समर्पित उनकी तपस्या और ध्यान अनंतकाल तक सबके लिए प्रेरणा बना रहेगा, ऐसे सिद्ध संतों का सभी को आर्शीवाद मिलता रहे!

11:19:00 am

आपकी राशि और आपका स्वभाव


आपकी राशि और आपका स्वभाव




मेष राशि:

मेष राशि के व्यक्ति अत्यन्त ऊर्जावान होते हैं।  ये एक ही समय में कई कार्य करते हैं किसी भी कार्य को सीखने या पाने की लगन आपमें होती है और किसी भी कार्य को पूरा नहीं कर पाते हैं, इसलिए एक समय में इनके कई काम अधूरे प़डे रहते हैं। ये जो भी कार्य शुरू करते हैं उसके तुरंत परिणाम की इच्छा करते हैं और ऎसा न होने पर कार्य को बीच में ही छो़ड देते हैं। आपके दिमाग में जल्दबाजी अधिक रहती है। किसी की कोई बात यदि आपको बुरी लग जाये तो आप तुरन्त नाराज हो जाते हैं, लेकिन मनाने पर तुरन्त मान भी जाते हैं। किसी बात पर बहुत देर तक स्थिर नहीं रह पाते हैं। जल्दी-जल्दी विचारों में परिवर्तन होता रहता है। खाना जल्दी-जल्दी खाते हैं। तीखा और मसालेदार भोजन अधिक पसन्द करते हैं। पानी भी कम पीते हैं।पानी अधिक पीने की आदत डालिए। अन्यथा पित्त संबंधी समस्याओं से परेशान होंगे। मेष राशि के व्यक्ति बहुत साहसी होते हैं, किसी भी कार्य को करने से घबराते नहीं हैं लेकिन साहस प्रदर्शन कई बार विचारवान नहीं होता, बस अचानक ही विरोध या हमले करने की प्रवृत्ति रखते हैं। जो लक्ष्य अपने लिये ठान लेते हैं, उन्हें पाने के लिए मेहनत भी करते हैं और उसे पा लेने के बाद ही चैन से बैठते हैं। आप बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं और अपनी महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिए प्रयास भी करते हैं। आपको अपने कार्यो में कोई भी रोक-टोक पसन्द नहीं होती है। 

आप स्वतन्त्रता से अपने कार्य करना चाहते हैं। आप किसी भी कार्य को शुरू करके नेतृत्व करना पसंद करते हैं, ना कि किसी और के प्रारंभ किये गये कार्य में समूह रूप में कार्य करना। जीवन में कितना भी कठिन समय क्यों न आ जाये, आप घबराते नहीं है। आप बिना पूर्व योजना के कार्य करते हैं और निर्णय लेते हैं, जल्दबाजी में लिए गये निर्णयों के कई बार खराब परिणाम भी आते हैं। आपको जो भी बात बुरी लगती है आप तुरन्त मुँह पर ही बोल देते हैं। । अपने पास आये हर व्यक्ति की आप मदद करते हैं। आपमें आत्मविश्वास बहुत अधिक होता है। किसी भी कार्य की योजना पहले से ही आपके मस्तिष्क में रहती है लेकिन क्रियान्वयन के लिये समुचित योजना नहीं बनाते एवं उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार नहीं करते। 

वृषभ राशि: 

वृषभ राशि के व्यक्ति अत्यन्त सहन शक्ति वाले व कर्मठ होते हैं। यह किसी बात को जब तक सहन करते हैं, जब तक इनसे सहन किया जाता है, लेकिन जब कोई बात इनकी सहन करने की क्षमता से बाहर हो जाती है तो इनके अंदर का क्रोध का गुब्बार बाहर निकल प़डता है। ये व्यक्ति अत्यन्त मेहनती होते हैं। आप प्यार से कुछ भी करवा सकते हैं, लेकिन जबरदस्ती इनसे कुछ भी करवाना मुश्किल होता है। ये लगातार कई घंटों बिना थके काम कर सकते हैं।

हर सुन्दर वस्तु इन्हें अच्छी लगती है, अपने आसपास के वातावरण को व्यवस्थित रखना इन्हें पसंद होता है। अपने घर एवं ऑफिस में आधुनिक संसाधनों का ये उपयोग करते हैं। स्वयं का सजना-सँवरना भी इन्हें बहुत पसंद होता है। सोच-विचार करके योजनाबद्ध तरीके एवं पूर्ण लग्न से कार्य करते हैं। वृषभ राशि के व्यक्ति स्वभाव से, पर एक सीमा के बाद जिद्दी होते हैं अगर किसी बात पर ये अ़ड जाये तो फिर इनसे कुछ भी करवाना मुश्किल होता है। अपनी जिद के आगे ये यह भी नहीं सोचते हैं कि सामने वाला भी सही हो सकता है, जिसके बारे में ये अपने मन में जो छवि बना लेते हैं, उसे आसानी से नहीं बदलते हैं और यही स्वभाव इनके संबंधों को खराब करता है। 

ये व्यक्ति भविष्य को लेकर सदैव सकारात्मक सोच रखते हैं जैसे इनका स्वयं का नजरिया सकारात्मक होता है वैसे ही ये स्वयं से मिलने वाले निराश व्यक्ति के मन में भी आशा की किरण भर देते हैं। ये हर कार्य को मन लगाकर तथा पूरी लग्न से करते हैं लेकिन ये चाहते हैं कि इनके हर काम की प्रशंसा की जाये।
अपनी जिम्मेदारी को ये अच्छे से समझते हैं और उन्हें निभाते भी हैं। दूसरे की सहायता जी-जान से करते हैं। आप ऎश्वर्यशाली जीवन जीना पसंद करते हैं आप अपने जीवन को भरपूर जीते हैं। खान-पान में सात्विक भोजन ही पसंद करते हैं। आप सुख-सुविधाओं में रहना ही ज्यादा प्रसन्न रहते हैं। अभावग्रस्त जीवन जीने में आपको थो़डी समस्या आती है। आप अपनी परम्पराओं से बहुत अधिक जु़डे हुए होते हैं। आप अपनी परम्पराओं का पालन भी करते हैं और आधुनिक समाज के साथ भी चलते हैं। आपकी जीवनशैली आधुनिक समय के साथ ही बदलती रहती है। 

मिथुन राशि:

 इनका मस्तिष्क सदैव गतिमान रहता है, प्रखर बुद्धि होती है। हर विषय को समझने की अद्भूत क्षमता होती है। कठिन से कठिन विषय को भी ये आसानी से समझ लेते हैं। अपनी बातों से आसानी से अपना काम ये निकलवा लेते हैं। इनकी वाणी अत्यंत प्रभावशाली होती है। आप मजाकिया स्वभाव के हैं, हमेशा खुश रहना एवं दूसरों को खुश रखना, वातावरण को खुशनुमा बनाये रखना आपके स्वभाव का विशेष गुण है। आपकी सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता अद्भूत होती है। आप स्वयं को किसी भी माहौल में ढाल लेते हैं। हर उम्र के व्यक्ति के साथ रचनात्मक रूप से आप समय व्यतीत करते हैं, आपको कहीं कोई परेशानी नहीं होती है। आप बुद्धिमान है इसलिए योजनाएँ बनाते हैं और पूरा करने के लिए निष्ठा से कार्य भी करते हैं। आप खाली नहीं बैठ सकते हैं। हर समय कुछ ना कुछ करना आपका स्वभाव है। सी भी समस्या से घबराते नहीं है, बल्कि बुद्धिमत्ता से उसका समाधान निकालते हैं। 

मिथुन राशि द्विस्वभाव राशि है। यही लचीलापन आपके स्वभाव में स्प्ष्ट दिखाई देता है। जरूरत के अनुसार आप अपने को ढ़ाल लेते हैं व किसी से भी अच्छे संबंध बना लेते हैं। जिन लोगों को पसंद और जिन लोगों को नापसंद करते हैं आपके उनके साथ भी अच्छे संबंध होते हैं। आप मानसिक कार्य अच्छे से करते हैं। द्विस्वभाव राशि होने से आपके स्वभाव में स्थिरता व चलायमान व्यवहार का सुन्दर समन्वय होता है। वायु की भांति हर जगह विद्यमान रहना व एक जगह ना टिककर बैठने की आपकी प्रवृत्ति होती है। मिथुन राशि के जातक बुद्धिमान होते हैं इसलिए हर क्षेत्र का ज्ञान इन्हें होता है, अलग-अलग क्षेत्रों में ये प्रसिद्धि पाते हैं। मिथुन राशि के जातक अकेले नहीं रह पाते हैं, इन्हें एक दोस्त की कमी हमेशा महसूस होती है। एक बालक की ही भाँति हर चीज को सीखने एवं पाने की ललक आप में होती है। हर व्यक्ति का ध्यान आपकी ओर रहे यही आपकी इच्छा होती है।

कर्क राशि: 

चर राशि है इसलिए हर समय चलायमान रहना एवं किसी न किसी नये कार्य से जु़डे रहना इनका स्वभाव है। ये लगातार कई घंटों तक कार्य करते हैं, जिसका बुरा प्रभाव इनके स्वास्थ्य पर भी प़डता है। चन्द्रमा का प्रभाव राशि पर होने के कारण आप अत्यधिक भावुक होते हैं। हर व्यक्ति से आप स्नेह करते हैं। जिनके साथ आपका लगाव अत्यधिक होता है उनके लिए आप कुछ भी करने को तैयार रहते हैं और जिनके साथ आपकी शत्रुता हो उनको नुकसान पहुंचाने के लिए भी आप किसी हद तक जा सकते हो। आप जिनसे जु़डे होते हैं, उन्हीं की बात सुनना पसंद करते हैं, लेकिन वह गलत भी हो सकता है। इसी वजह से आपके निर्णय एक तरफा हो जाते हैं एवं कई बार गलत भी हो जाते हैं। हर बात को जानने - सीखने की इनकी जिज्ञासा प्रबल रहती है। गीत, संगीत के शौकीन होते हैं। 

आप जीवन को ऎश्वर्यपूर्ण तरीके से जीते हैं, लेकिन फालतू खर्चा नहीं करते हैं इसलिए कई बार कंजूस भी कहलाते हैं। कर्क राशि वाले व्यक्तियों को जल के नजदीक रहना अच्छा लगता है। 

आपको प्रकृति (नेचर)के निकट रहना भी पसंद होता है। जल संबंधी व्यवसाय/शिक्षा भी इस प्रकार के जातक के लिये उपयुक्त है। खान-पान में आपको ठण़्डी एवं जलीय वस्तुओं का सेवना करना पसंद होता है। ठण़्डी वस्तुओं के अधिक सेवन से आपको कफ संबंधी समस्याओं का सामना करना प़डता है। 

आपको ठण्ड से परहेज एवं अपने भोजन में गर्म वस्तुओं का सेवन अधिक करना चाहिए। आपके जीवन में अचानक किसी घटना से परिवर्तन आता है क्योंकि समय होने पर तो कर्क राशि वाले जातक कार्य को लेकर गंभीर नहीं होते, लेकिन जब आवश्यकता प़डती है और समय खत्म होता है तो ये कार्य को पूर्ण करने में जुट जाते हैं। 

सिंह राशि

आपका स्वभाव स्थिरता लिये हुये होता है। आप आत्मविश्वास से पूर्ण रहते हैं। जो भी कार्य करते हैं, उसे अन्त तक पूरे उत्साह एवं आत्मविश्वास के साथ करते हैं। आपको शारीरिक कार्य से अधिक मानसिक कार्य करना पसंद होता है। राशि स्वामी सूर्य जोकि ग्रहों के राजा कहलाते हैं इन्हीं के अनुसार इन जातकों का स्वभाव होता है, ये नीतियाँ बनाते हैं और उन पर लोगों से कार्य करवाते भी हैं और स्वयं भी उनका पालन करते हैं। किसी भी कार्य में अनुशासनहीनता इन्हें पसंद नहीं होती है। स्वभाव से ये बहुत ही अनुशासनप्रिय होते हैं, जरा सी भी गलती इन्हें पसंद नहीं अथवा बर्दास्त नहीं होती है।

इस स्थिति में जब इन्हें क्रोध आता है तो उसे रोक पाना मुश्किल होता है। इन्हें वनों एवं पर्वतों पर घूमना पसंद होता है। जो बात कहते हैं, उस पर स्थिर रहते हैं। उच्चा स्तर के कार्य करना आपको पसंद होता है। अपने बराबर के स्तर के लोगों के साथ ही उठना-बैठना आप पसंद करते हैं। कार्य कोई भी हो सिंह राशि के जातक घबराते नहीं है, उन्हें ये विश्वास होता है कि ये इसे अच्छे से कर लेंगे और ये ऎसा ही करते हैं। ये सबके प्रति दयालु होते हैं किसी को कोई भी कष्ट हो उसकी मदद के लिये ये हमेशा तैयार रहते हैं। सबको संरक्षण देना इनका स्वभाव है। संगीत एवं साहित्य के ये प्रेमी होते हैं। ये अत्यंत महत्वाकांक्षी होते हैं। अपनी महत्वकाक्षाओं की पूर्ति के लिए आवश्यक मेहनत भी करते हैं। अपने लक्ष्यों की प्राçप्त के लिए पूरी लग्न से कार्य करते हैं। सिंह राशि के जातक ऎसे तो किसी को कुछ नहीं कहते हैं लेकिन कोई इन्हें छे़डे, तो उसे ये छो़डते नहीं है। खान-पान में तीखा एवं राजसिक भोजन ही पसंद करते हैं। पानी कम पीते हैं। अधिक तीखा भोजन नुकसान देता है इसलिए थो़डा, सादा भोजन एवं पानी की मात्रा बढ़ायें। सिंह राशि के जातकों को किसी का भी किया गया कार्य जल्दी से पसंद नहीं आता है। जल्दी से किसी की भी बात से सहमत नहीं होते हैं। 

कन्या राशि :

कन्या राशि के व्यक्ति सभी को साथ लेकर चलते हैं। सभी को खुश रखने का प्रयास करते हैं, जिसमें कई लोग इनसे नाराज हो जाते हैं। ये सबकी बातें सुनते हैं और सहन करते हैं, जब तक सहा जाये, सहते हैं, लेकिन अति होने पर जब क्रोधित होते हैं और बोलते हैं, तो इन्हें रोक पाना मुश्किल होता है। हर बात को गुप्त रखने की आपकी आदत होती है। आपसे यदि कोई बात की जाये तो वो आप तक ही सीमित रहती है। आप सबकी तकलीफ सुनते हैं और उसका समाधान भी करते हैं। लेकिन जब स्वयं को कोई तकलीफ होती है तो उसे किसी से नहीं कहते हैं। कोई कष्ट, कोई परेशानी हो तो सहन करते रहते हैं और जब सहनशीलता से बात ऊपर हो जाती है तो फिर आप किसी की परवाह नहीं करते हैं। राशि के स्वामी बुध होने से आप अत्यंत बुद्धिमान एवं कोमल स्वभाव के होते हैं। 

आपके स्वभाव एवं व्यवहार से कोई भी व्यक्ति आपकी ओर आसानी से आकर्षित हो जाता है एवं आपकी बातों से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता है। अपनी वाणी के कौशल से आप मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसानी से बना लेते हैं, बोझिल वातावरण को भी हल्का-फुल्का बना देते हैं। बुध का प्रभाव होने से आप कई बार घर एवं परिवार के बीच बच्चों जैसी हरकते करते हैं और सब का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन कई बार छोटे बच्चो की ही तरह जिद्दी भी हो जाते हैं। आपका मस्तिष्क चंचल होता है इसलिये अपने आसपास के वातावरण को खुशनुमा बनाये रखने में आपका पूरा-पूरा सहयोग रहता है। आप स्वयं को किसी भी वातावरण में आसानी से ढाल लेते हैं। कठिन से कठिन समय आने पर भी आप बिल्कुल नहीं घबराते हैं तथा उनका समाधान खोज ही लेते हैं और यही बात आपको औरों से अलग एवं साधारण से खास बनाती है। आपका मस्तिष्क सदैव गतिमान रहता है इसलिए आप किसी न किसी महत्वपूर्ण विषय पर योजनाएँ बनाते रहते हैं और उन पर कार्य करते रहते हैं।

तुला राशि:

तुला राशि का जातक अपने रिश्तों, कारोबार और अपने संबंधों में सामंजस्य स्थापित किये रहता है। उसे किसी व्यक्ति से कोई शिकायत नहीं होती और जिससे मिलता है, उसके साथ उसी तरह का व्यवहार अपनाते हैं। ऎसे व्यक्ति थो़डे चंचल होते हैं और अच्छे व्यावसायिक साबित होते हैं। चीजों की खरीददारी में पैसे बचाना इन्हें बखूबी आता है। धैर्य और संयम से निर्णय लेते हैं और कार्य करते हैं। राजा के समान रहना अनुशासनात्मक जीवन इन्हें पसंद है। उन्हीं की तरह खान-पान, रहना, भोग-विलास की चीजों का इस्तेमाल करना इनकी दिनचर्या में शामिल होता है। ये लोग घूमने के बहुत शौकीन होते हैं। अपने विषय से हटकर कार्य करना इन्हें पसंद होता है। ऎसे व्यक्ति बहुत रचनात्मक होते हैं, गाने सुनना, गायन, वादन, नृत्य, कुकिंग, मेटिंग, एक्टिंग के क्षेत्र में अच्छा करते हैं।

इनके पहनावे और रहन-सहन को देखकर लोग आसानी से इनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और इनसे दोस्ती करना चाहते हैं। ऎसे व्यक्ति हास्य पसंद और खुश रहना और खुशी बांटना इनकी आदत होती है। ऎसे व्यक्ति अच्छे वक्ता और श्रोता साबित होते हैं। इन्हें अपनी तारीफ सुनना पसंद होता है। इन्हें फिजूल समय व्यतीत करना अच्छा नहीं लगता और जब भी समय मिलता है तो ये अपने शौक को पूरा करने के लिए जुट जाते हैं। 
एक से अधिक विषयों में इनकी रूचि होती है और सभी में अच्छा करने का प्रयास करते हैं। साहित्य में रूचि होने के कारण इनकी लेखन क्षमता भी अच्छी होती है और कभी-कभी लेखन से संबंधित कार्य भी करते हैं। अपने परिवार की जरूरतें पूरी करना और उनके साथ बिताने का मौका ये लोग कभी नहीं छो़डते। अपनी उम्र से छोटे दिखाई देते हैं और जहां भी जाते हैं वहाँ का माहौल रंगीन करना इनकी आदत होती हैं। इन्हें अधिक तला-भुना और मसालेदार खाने से बचना चाहिए अन्यथा नुकसानदेय सिद्ध हो सकता है। निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें।

वृश्चिक राशि:

ऎसे व्यक्ति आसानी से अपने निर्णयों को नहीं बदलते। इनके जीवन और कार्यो में स्थायित्व होता है व स्वभाव से थो़डे से जिद्दी होते हैं। परन्तु कभी-कभी गलत बातें पर इनकी जिद्द घातक साबित होती है।
इन्हें अपनी इस आदत को बदलने का प्रयास करना है। इनके द्वारा लिये गये निर्णय जल्दी से नहीं बदलते। ये लोग कुछ भी भूलते नहीं और समय आने पर पर अपना बदला जरूर लेते हैं। ये लोग अपनी कार्यप्रणाली पर विशेष ध्यान रखते हैं। ऎसे व्यक्ति साहसी, पराक्रमी और निडर होते हैं। जिसका परित्याग ये समय-समय पर देते हैं। ऎसे व्यक्ति बहुत ऊर्जावान होते हैं। अगर इनकी ऊर्जा को सकारात्मक चीजों में लगा दी जाए तो ये लोग बहुत अच्छे पद पर पहुंच सकते हैं। ऎसे व्यक्ति पुलिस, सेना में जाने की चाह रखते हैं। ऎसे व्यक्ति परिणाम का इन्तजार लम्बे समय तक कर सकते हैं। इन्हें अधिक तला भुना, मसालेदार या अधिक समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए, अन्यथा गैस या पित्त संबंधी परेशानी हो सकती है। अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें और पानी का सेवन बढ़ाने का प्रयास करें और भोजन समय पर करें। हर बात को अपने आत्म-सम्मान के साथ न जो़डे और दूसरों को समझने का प्रयास करना चाहिये। इन्हें बहुत जल्दी क्रोध नहीं आता और इन्हें समझाना थो़डा-सा मुश्किल होता है। इनके दिमाग में कुछ चल रहा है और ये सामने कैसे रिएक्ट कर रहे हैं, ये सिर्फ स्वयं ही जानते हैं। ये अपने शत्रुओं को पूरी रणनीति बनाकर खत्म करते हैं और अपनी गलती भी मान लेते हैं। इन्हें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए व मानसिक अन्र्तद्वन्द्व से बचे। इस राशि के बच्चों को पहले ही किसी सही दिशा की ओर अग्रसर करें। जिससे उनकी ऊर्जा को सकारात्मक रूप मिल सके। 

धनु राशि:

धनु राशि के जातक आध्यात्म, साहित्य, धर्म तथा शिक्षा के क्षेत्र से जु़डे हुए मिलते हैं। ऎसे व्यक्ति यथार्थवादी होते हैं। हमेशा किसी न किसी कार्य में व्यस्त रहते हैं। उन्हें खाली बैठना पसंद नहीं होता है। अपने लक्ष्य के प्रति सचेत रहते हैं। सबका ध्यान रखना इनकी विशेषता होती है। ये लोग साहसी और निडर होते हैं। परन्तु भगवान से डरने वाले होते हैं। आप गम्भीर स्वभाव के हैं और रूढि़वादी होने के कारण परम्परा और परिवार को अधिक महžव देते हैं। दूसरो को सलाह देना और मदद करना आपका मुख्य गुण है। दूसरो की मदद करते-करते कभी-कभी आप अपना नुकसान भी कर बैठते हैं। जिस कारण परिवार की नाराजगी भी सहन करनी प़डती है। सकारात्मक सोच के साथ कार्य करना पसंद है। मान-सम्मान अधिक प्रिय है, जिसके लिए कभी भी कोई समझौता नहीं करते। ज्ञान अर्पित करना और ज्ञान बाँटना पसन्द है। मार्गदर्शन करने में कभी भी पीछे नहीं हटते हैं। अपनी उम्र से ब़डी बातें करना अच्छा लगता है। 

आशावादी रहते हैं और धार्मिक कार्यो में लगे रहते हैं। चुपचाप बैठे रहते हैं और सबकी सुनते हैं। परन्तु जब प्रतिक्रिया करने की आवश्यकता महसूस हो, तभी करते हैं। ज्ञान अर्जित करने के लिए कोई भी जोखिम ले सकते हैं। नये प्रयोग और खोज करना इनकी आदत होती है। कभी-कभी इतने क्रूर हो जाते हैं कि किसी को जलाकर भस्म करने की क्षमता भी इनमें होती है। धनुष से निकले तीर कई तरह से, एक बार ढान लेने के बाद किसी की सुनते नहीं व जो मन में है, उसको करते हैं। यह न्यायप्रिय और ईमानदार होते हैं। अनेक भाषाएँ, गुप्त रहस्य विद्याएँ और दर्शन शास्त्र के भी ज्ञाता होते हैं। किसी भी कार्य को कर सकते हैं और अपनी योग्यता पर पूरा विश्वास होता है। कार्यो को समय पर पूरा करते हैं। दूसरो पर भरोसा करके निर्णय लेते हैं और सभी के हितैषी और मित्र बने रहना इन्हें अच्छा लगता है।

मकर राशि : 

मकर राशि के जातक स्वभाव से आलसी होते हैं, परन्तु अगर मन में दृढ़ निश्चय कर ले कि लक्ष्य हासिल करना ही है तो अपनी पूरी मेहनत और लगA से कार्य करते हैं। एकाग्रचित्त होकर कार्य करते हैं। ऎसे व्यक्ति महत्वकांक्षी होते हैं। धीरे-धीरे धैर्य और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहते हैं और इन्हें सफलता धीरे-धीरे मिलती है। जिस कारण ये कभी-कभी निराश भी हो जाते हैं। इन्हें धैर्य और संयम बनाये रखना चाहिए। अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए धन खर्च कर देते हैं और धन नहीं बचा पाते। स्वाभिमानी होने के कारण जल्दी से किसी की मदद नहीं ले पाते हैं। ये बिना रूके निरन्तर कार्यो में अग्रसर रहते हैं। सफलता देर से मिलती है। ऎसे व्यक्ति यथार्थवादी होते हैं, कठोर परिश्रमी होते हैं और ज्यादातर नौकरी करते हुए मिलते हैं

अनुशासनहीनता इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं होती इसके लिए किसी का भी विरोध करने से नहीं चूकते। मानसिक परिश्रम, शारीरिक परिश्रम अधिक करते हैं। दूसरों को प्रेरणा देने का कार्य करते हैं। आध्यात्म से जु़डे रहते हैं। अपने बनाये हुए सिद्धान्तों का पालन करते और करवाते हैं। गलत बातों का विरोध सामने रहकर करते हैं, फिर अकेले ही क्यों ना हो। इन्हें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखकर कार्य करना चाहिए और ज्यादा आलोचना नहीं करनी चाहिए। ऎसे व्यक्ति एकाधिकार चाहते हैं, जिसके लिए ये किसी की भी नहीं सुनते और अपने कार्यो में लगे रहते हैं। कभी-कभी ऎसा करना नुकसानदायक सिद्ध होता है। अपने से ज्यादा किसी पर विश्वास न कर पाने की वजह से इनके ज्यादा मित्रगण नहीं बन पाते हैं। परन्तु ये चंचल और शान्त स्वभाव के भी होते हैं। कठोर व्यवहार करना इनकी आदत होती है।

कुंभ राशि:

ऎसे व्यक्तियों को बिना रूके कार्य करना तथा किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप पसंद नहीं होता है। इनके जीवन में ठहराव होता है। जल्दी से अपनी कार्यप्रणाली और आदतें परिवर्तित नहीं कर पाते। ऎसे व्यक्तियों के मित्र होते हैं और समूह में अच्छा कार्य करते हैं, परन्तु किसी से खुलकर बात नहीं कर पाते। ये थो़डे शर्मीले होते हैं। इसलिए अच्छे लेखक तो बन सकते हैं, परन्तु अच्छे वक्ता नहीं बन पाते। इन्हें खुलकर बात कहने का प्रयास करना चाहिए। विषयों की गहराई में जाकर सोचते हैं इसलिए नये प्रयोग और खोज करना इनकी मुख्य विशेषता होती है। सादगी और सरलता से कार्य करते हैं। व्यवहवार में कुशलता बनाये रखते हैं परन्तु जब क्रोध आता है तो जल्दी से शान्त नहीं हो पाते। कठोर परिश्रमी होते हैं, सफलता भी मिलती है। अपनी योग्यता को साबित करने के लिए अपनी पूरी मेहनत लगा देते हैं। अपने बनाए हुए सिद्धान्तों पर चलना इन्हें पसंद होता है। स्वयं तो उस पर चलते हैं और दूसरों से भी अमल कराते हैं। अपने किए हुए कार्यो का श्रेय लेने से भी बचते हैं। आध्यात्म के प्रति इनका रूझान होता है। दानी और उदार होते हैं। 

अनुशासनहीनता इन्हें पसंद नहीं आती और दण्ड देने से भी नहीं चूकते हैं। न्यायप्रिय होते हैं। स्वाभिमान कब अहम में बदल जाता है उन्हें खुद भी पता नहीं चलता। इसलिए इन्हें ऎसा करने से बचना चाहिए। परिणाम धीरे-धीरे मिलते हैं परन्तु धैर्य और संयम से कार्य करते हैं। लक्ष्य प्राçप्त के लिए प्रेरित करते हैं। शारीरिक श्रम कर लेते हैं, लेकिन मानसिक श्रम अधिक नहीं कर पाते। वातावरण को अपने अनुकूल बनाना इन्हें बखूबी आता है। सबको प्रसन्न रखना इनकी मुख्य आदत होती है। व्यवहार में नम्रता रखते हैं। परन्तु क्रोध आने पर सब भूल जाते हैं। संयम बनाये रखने का प्रयास करें। 

मीन राशि:

 ऎसे जातक उदारमन और परोपरकारी होते हैं। चंचलता (व्यवहार का लचीलापन) हमेशा बनी रहेगी, बच्चों के साथ बच्चो और ब़डों के साथ ब़डे बन जाते हैं। स्वभाव से शान्त दिखते हैं, परन्तु क्रोध आने पर स्वयं को रोक नहीं पाते। आध्यात्म और शिक्षा के क्षेत्रों से जु़डे हुए मिलते हैं। ज्ञाता होते हैं और अच्छे सलाहकार सिद्ध होते हैं। ईमानदारी से कार्य करते हैं। भावनात्मक तरीके से लोगों से जु़डे होने के कारण सम्मान मिलता है। पारम्परिक दृष्टिकोण से समझौता नहीं कर पाते। उच्चाकोटि की कल्पनाशील होते हैं और काव्य, साहित्य के प्रति विशेष रूचि दिखाते हैं, जिसके साथ या जैसे माहौल में रहते हैं, उसी के तरह बन जाते हैं। गम्भीर रहकर सोचते और बातें करना इन्हें पसंद होता है। ऎसे व्यक्ति अच्छे श्रोता और वक्ता साबित होते हैं। कार्यो में किसी प्रकार का समझौता पसंद नहीं होता।

 इनकी सोच और कार्यो में हमेशा नवीनता मिलती है। ईश्वर पर बहुत विश्वास रखते हैं। उसी कारण कभी किसी छल या कपट नहीं कर पाते और ईश्वर से डरते हैं। दर्शनशास्त्र इन्हें पसंद होता है। किसी बात को बहुत सरलता और अच्छी तरह से समझाते हैं। गुरूओं की भांति इनका स्वभाव होता है और स्वतंत्रता पसंद होती है परन्तु परिवार से दूर नहीं रह पाते और अपनी ज़डों को नहीं छो़डते। अकसर ये लोग अपने पारिवारिक व्यवसायों को आगे बढ़ाते हुए मिल जाते हैं। उत्साहित होकर कार्य करते हैं और किसी भी बाधा का डटकर सामना करते हैं। समय-समय पर अपनी योग्यता का परिचय देते रहते हैं। सम्मान को हमेशा बनाये रखने का प्रयास करते हैं। सभी के प्रति एक समान व्यवहार रखते हैं। प्रेम और दया का भाव इनके मन में हमेशा रहता है। 

11:18:00 am

आपका स्वभाव कैसा है फल भी बता सकते हैं

आपका स्वभाव कैसा है फल भी बता सकते हैं



फल भी बता सकते हैं कि आपका स्वभाव कैसा है? मनोविज्ञान के आधार पर जानिए यदि आपको पसंद है अंगूर सेव फल, केला, संतरा या तो आपका स्वभाव कैसा होगा? क्या आप जानते हैं फल सिर्फ आपकी सेहत बनाने का व आपके शरीर को एनर्जी देने का ही काम नहीं करते है बल्कि आपका व्यक्तित्व कैसा है, आपकी सोच क्या है? ऐसी सभी बातों को भी बता देते  हैं। 

अंगूर खाने में किसी विशेष परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती है और जो लोग अंगूर पसंद करते हैं वे स्वभाव से थोड़े आलसी भी हो सकते हैं। ऐसे लोगों को काम के दबाव के चलते कभी-कभी गुस्सा भी आ जाता है। वैसे तो ये लोग कभी आलस भी करते हैं लेकिन जब काम कोई शुरू करते हैं तो पूरा काम खत्म करके ही चैन की सांस लेते हैं।

ये लोग सुंदरता के प्रति  आकर्षित हो जाते हैं और दूसरों को भी अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता इनमें होती है।

जिन लोगों को सेव  पसंद है वे अपने को फटाफट निपटाने वाले होते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये लोग अधिकांशत: स्वस्थ रहते हैं। ये लोग निर्णय लेने में बहुत तेज होते हैं। अपने  आसपास होने वाली गतिविधियों पर गहरी नजर रखते हैं। सेब पसंद करने वालों में अन्य लोगों से काम करने की योग्यता कमाल की होती है। अपने दोस्तों और प्रेमी या प्रेमिका को खुश रखने का प्रयास करते हैं। इन लोगों का प्रभाव समाज में बना रहता है। 

जिस प्रकार केला नरम और कोमल होता है उसी प्रकार का स्वभाव केला पसंद करने वाले लोगों का भी होता है। ये लोग खुद भी खुश रहते हैं और दूसरों को भी खुश रखते हैं। ये लोग ऊपर चाहे खुद को सख्त दिखाने की कोशिश करे लेकिन मन से कोमल होते हैं। शांतिपूर्वक काम करना इनकी आदत होती है। कभी-कभी इनके जीवन गंभीर संकट भी उत्पन्न हो जाते हैं लेकिन ये लोग धैर्यपूर्वक समस्या को निपटा लेते हैं। 

जिन लोगों को संतरा पसंद है वे स्वभाव से खट्टे-मीठे होते हैं। संतरा पसंद करने वाले हंसमुख और वफादार होने के साथ ही काफी मिलनसार भी होते हैं। ये अपने व्यवहारिक स्वभाव के कारण जल्दी दोस्त बना लेते हैं। दूसरों के विचारों से जल्दी प्रभावित होते हैं। कई बार जिन्दगी में ठोकरे भी खाते हैं। संतरा पसंद करने वाले उदार और ईमानदार होते हैं।

11:17:00 am

अलग- अलग वार को जन्में पुरुषों का स्वभाव कैसा होगा


अलग- अलग वार को जन्में पुरुषों का स्वभाव कैसा होगा


व्यक्ति एक दूसरे को जानने की कोशिश में लगा  है कि उस व्यक्ति का स्वभाव कैसा होगा| आप भी किसी के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं तो  हम बताने जा रहे हैं कि सप्ताह के अलग- अलग वार को जन्म लेने पुरुषों का स्वभाव कैसा होगा|  व्यक्ति जिस वार को पैदा होता है उस दिन का प्रभाव भी उसके पूरे जीवन पर पड़ता है। जानिए व्यक्ति किस दिन जन्म लिया और उसका स्वभाव कैसा होगा| 

रविवार- 
इस दिन जन्में व्यक्ति स्वतन्त्रता प्रिय होती है। अतः इस दिन जन्में व्यक्ति किसी की अधीनता में कार्य करना पसन्द नहीं करते। इनकी इच्छा शक्ति और सकंल्प शक्ति बहुत अधिक होती है। ऐसे लोग कुशल प्रशासक, कुशल संचालक, कुशल प्रबंधक, समाज सेवी तथा राजनीति में कुशल राजनेता बनते है। यदि इन व्यक्तियों को नेतृत्व का कार्य सौप दिया जाय तो किसी भी क्षेत्र में बेहतर परिणाम देते हैं।

सोमवार- 

इस दिन जन्में व्यक्तियों की स्मरण बहुत तेज होती है फिर भी में धैर्य की बहुत कमी होती है। इस दिन जन्में व्यक्ति हमेशा समाज में चर्चा का विषय बने रहते है लेकिन इनका पारिवारिक जीवन अच्छा नहीं रहता है। हमेशा काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परन्तु बाहरी लोग समझते हैं कि इनका जीवन सफल चल रहा है। चन्द्र से सम्बन्ध होने के कारण आपका मन चंचल रहेगा तथा निरन्तर आपके विचार बदलते रहेंगे। ये पुरुष स्त्रियों के मामलें में आप बहुत शालीन होते हैं| किसी भी कार्य को पूरा किये बिना ये लोग दूसरे कार्य को आरम्भ कर देते है। यही स्वभाव इनकी सफलता में बाधक बनता है। 

मंगलवार-

इस दिन जन्में व्यक्ति झगड़ालू या क्रोधी, तेजस्वी, पराक्रमी, अनुशासनप्रिय तथा अपार उर्जा से परिपूर्ण, नयें विचारों का समर्थन करने वाले तथा रूढ़वादिता को नष्ट करने वाले तथा सदैव प्रगति के मार्ग पर चलने वाले होते हैं, क्योंकि इस दिन जन्में व्यक्तियों पर मंगल गृह का विशेष प्रभाव रहता है|इस दिन जन्में व्यक्ति सभी बाधाओं को पार करते हुए सदैव आगे बढ़ने में तत्पर रहते है। ऐसे व्यक्ति बहुत जल्दी आवेश में आ जाते है जिससे कभी-कभी आपको हानि भी उठानी पड़ सकती है। इस दिन जन्में व्यक्ति अनोखे कार्य दिखाकर विश्व में अपना नाम फैलाना चाहेंगे, जिसकी वजह से जीवन में कई बार दुर्घटनाओं का सामना भी करना पड़ सकता है। इन व्यक्तियों की वाणी में ऐसी दृढ़ता है कि लोग सुनकर आकर्षित हो जाते हैं| ये व्यक्ति प्रशंसा सुनने के बहुत इच्छुक रहते है। इनको सभी प्रकार की भौतिक सफलता तो मिलेगी परन्तु लापरवाही करने पर वही सफलता आपके विनाश का कारण भी बन सकती है। इनके दांपत्य जीवन में समय-समय पर विरोधाभास की स्थिति आती रहेगी। पत्नी विचारों से सहमत नहीं रहेगी। 

बुधवार-

इस दिन जन्में व्यक्ति दोहरे चरित्र, बहुमुखी प्रतिभा, तीक्ष्ण बुद्धिवाले होते हैं| इस दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति किसी की भी आलोचना करने में माहिर होते है तथा अपनी वाक्पटुता के द्वारा दूसरे व्यक्ति की बोलती बन्द कर देते हैं|  इन व्यक्तियों पर बुध ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है|इस दिन जन्में व्यक्ति अपने कार्य से सन्तुष्ट नहीं रहते है, इसलिए कभी- कभी आप स्वयं के द्वारा किये गये कार्यो की आलोचना करने लगते है। ये व्यक्ति अपने मित्रों को बहुत प्रेम तथा आदर करते है तथा अपनी क्षमता से ज्यादा उनकी मदद करने का प्रयास करते हैं। इनका भाग्य पक्ष मजबूत होने कारण, ये सब प्रकार की विपत्तियों से जल्दी निकल आते है। इन व्यक्तियों का सम्पर्क उंचे तबके के लोगों से रहेगा जिसके कारण ये अच्छा धन कमाने में कामयाब होंगे। ये व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पा सकते है लेकिन अपने दोहरे चरित्र के कारण किसी भी क्षेत्र में बहुत दिनों तक टिक नहीं पाते है।

गुरूवार-

इस दिन जन्में व्यक्ति महत्वाकांक्षी, अनुशासन प्रिय गम्भीर स्वभाव तथा किसी भी कार्य का नेतृत्व करने वाले होते है। आपके साहस व तर्क के आगे कोई भी व्यक्ति ठहर नहीं पायेगा और आपका जीवन तानाशाही से भरा रहेगा, यह आपका नकारात्मक पक्ष होगा। अपने विचारों एंव भावनाओं को दूसरे के सामने बहुत अच्छे ढ़ग से पेश करते है, इसी कारण आप से लोग जल्दी प्रभावित हो जाते है। आपका मुख्य कार्य मानवता की सेवा करना है। किसी भी कार्य में जल्दी-जल्दी बोलना, तर्क देना तथा दूसरों के सभी प्रश्नों का उत्तर आप-अपनी तीक्ष्ण बुद्धि से दे पाने में पूर्णतया समर्थ रहेंगे। मित्रों की संख्या आपके पास अधिक होने के बावजूद विश्वसनीयता की कमी रहेगी। दूसरों से अपना काम निकलवाने के लिये आप कुछ भी कर सकते है, परन्तु कार्य हो जाने पर उसे भूल भी जाते हैं इसलिए आपको स्वार्थी प्रवृत्ति कहा जाता है। आप बहुत ज्यादा शौकीन मिजाज के होंगे, मौज, मस्ती, सजावट, में बेहद खर्चीले होंगे। इसलिये धन आपके पास रूक नहीं पाता है।इस दिन जन्में व्यक्तियों का बाल्यावस्था का जीवन बहुत ही कष्टकारी और खराब परिस्थितियों में व्यतीत होता है। 

शुक्रवार-

इस दिन जन्में व्यक्तियों की वाणी में मधुरता एवं सरलता होती है तथा वाद या विवाद करने वाले से सदैव नफरत करते हैं। झगड़े की जड़ को प्रेम -पूर्वक मिटाने का पूरा प्रयास करते हैं या फिर समझौता करके रफा-दफा कर देते हैं| ऐसे व्यक्ति मनोरंजन के सामानों में अत्यधिक व्यय कर देते हैं जिससे इनका आर्थिक संतुलन बिगड जाता है। उनके मन में क्या है? यह तो उनकी पत्नी भी नहीं जान पायेगी। इस दिन जन्में व्यक्ति एकान्त में खुश होकर नहीं बैठते, ये सदैव अपने मित्रों के साथ रहना पसन्द करते हैं इनके मित्रों की संख्या अधिक होती है ये बहुत कुटिल होते हैं और सबके मन के विचार जान लेते हैं तथा अपनी कुशल वाणी से दूसरों के भेद को बाहर निकलवा लेंगे परन्तु आप अपनी बात किसी के सामने प्रकट नहीं होने देते हैं। इनका वैवाहिक जीवन सफल कहा जा सकता है, परन्तु ये एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र नहीं करेंगे। इनका स्वभाव चंचलता से परिपूर्ण होता है, ये महिलाओ के प्रति विशेष आकर्षित होते हैं जिसके कारण कभी-कभी दुविधाजनक स्थिति में पड़ जाते हैं। अतः इन्हें अपनी इस आदत को सुधार करने का प्रयास करना चाहिए। प्रेम के मामले में ऐसे लोग एक जगह नहीं टिक पाते परन्तु आप आदर्श प्रेम के पक्ष में रहते हैं। इनके स्वभाव में ईष्र्या अधिक होती है | जिसके कारण ये किसी दूसरे को ऊपर उठते नहीं देख सकते हैं। 

शनिवार-

इस दिन जन्में व्यक्ति आलसी व संकोची होते हैं, ये व्यक्ति किसी भी कार्य को करने की सुन्दर योजना बनायेंगे परन्तु उन योजनाओं के अनुरूप आप कार्य नहीं कर पायेंगे, । इस दिन जन्में व्यक्तियों की खास बात यह होती है कि एक अच्छे प्रेमी होंगे, अतः प्रेम करने की कला में ये निपुण होगे।इस दिन जमें व्यक्तियों का कोई अपमान करे तो वे कतई बर्दाश्त नहीं करते, इन व्यक्तियों को हमेशा सभी कार्यों में सफलता हांसिल होगी मगर संघर्ष करते रहेंगे तब| इन व्यक्तियों को संकट, विपत्ति व कठिनाईयां अपने लक्ष्य से भ्रमित नहीं कर पायेंगी| इनके जीवन में कितने ही कष्ट क्यों न आये,परन्तु ये अपने हंसमुख स्वभाव के कारण विचलित नहीं होगे। इनका जितना भी विरोध किया जायेगा ये उतना ही सफलता की ओर आगे बढ़ते जायेगे। इनके अन्दर बाहरी प्रदर्शन की कला नहीं होगी और न ही आप किसी बाहरी दिखावे को पसन्द करेगें आप अपने को जैसा है वैसा ही दिखाना पसन्द करेगें।

11:17:00 am

अपना स्वभाव रंगों से जानिए.


अपना स्वभाव रंगों से जानिए.



रंगों की पसंद के अनुसार भी किसी व्यक्ति स्वभाव मालुम किया जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार हमारा जैसा स्वभाव होता है वैसे ही कलर हमारी पसंद होते हैं।
रंगों का ग्रहों से गहरा संबंध से भी होता है अत: हमारी पसंद-नापसंद पर शुभ-अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है।
जानिए अपना स्वभाव-

यहां पांच रंगों क नाम दिए जा रहे हैं। इनमें से किसी एक रंग को सावधानी से पसंद करें। जानिए.
अनुसार आपका स्वभाव कैसा रहेगा? 
रंगों के नाम
पीला
नीला
हरा,
लाल
काला 

इन में से कोई एक रंग चुनें।

रंगों के अनुसार आपका स्वभाव 
पीला:- आप दूसरों को हमेशा सही मार्गदर्शन देते हैं। सभी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हमेशा खुश रहने वाले इंसान हैं।

नीला:- , आप किसी से मदद लेना आपको पसंद नहीं होता। प्रेमी को पूरा समय देते हैं। स्वाभिमानी हैं
हरा: आप लड़ाई-झगड़ों से दूर ही रहते हैं। शांति प्रिय इंसान हैं।

लाल: । आप बहुत अच्छे प्रेमी सिद्ध हो सकते हैं।आप बहुत सावधान रहने वाले हैं, आपके जीवन प्रेम का बहुत
अधिक महत्व है

काला: आप बदलाव बहुत कम ही पसंद आता है।आपका स्वभाव रूढि़वादी है। साथ ही आपको गुस्सा बहुत जल्द आता है। 

उक्त के अनुसार व्यक्ति स्वभाव लगभग इसी तरह का रहता है। नौ ग्रहों की स्थिति के अनुसार स्वभाव में परिवर्तन हो सकता है।

11:16:00 am

ज्योतिष द्वारा मनपसन्द सन्तान कैसे हो

ज्योतिष द्वारा मनपसन्द सन्तान कैसे हो


मनचाही सन्तान लड़का या लड़की उत्पन्न करना हमारे वश की बात है बसर्ते हमें इस विषय पर प्रयाप्त और ठीक ठाक जानकारी हो । शास्त्र सम्मत बिधी बिधान के अनुसार मन पसन्द सन्तान की उत्पत्ती कैसे हो इस पर चर्चा हम यहाँ करेंगे । सभी दम्पति यह चाह्ते है की उनकी सन्तान स्वस्थ , सुन्दर और बुद्धिमान हो , साथ ही साथ दम्पति खुद निर्णय करे की उन्हे पुत्र चाहिए या पुत्री , लेकिन यह वहुत कम दंपत्ति जानते है की  ऐसा कैसे हो सकता है ।
यह जो बिधी हम बताने जा रहे है यह 100 प्रतिशत सफल सिद्ध हुयी है एक दम्पति ने इस बिधी का पालन किया फलस्वरूप  पांच पुत्रियों के बाद पुत्र उत्पन्न करने में सफलता पाई ।  गर्भ धारण संस्कार का उचित समय दो बातो पर निर्भर करता है । आपको लड़का चाहिए या लड़की । पुत्र को जन्म देने की इछा से किये जाने बाले गर्भधारण संस्कार का उचित समय ... एक तो यह की उस समय शुक्ल पछ  हो और दुसरी यह है की जिस दिन पत्नी का मासिक धर्म सुरु हुवा हो उस दिन रात को पहली रात मानकर गिनने पर आठमी , दशमी , बरहमी , या  चौदहमी रात हो ।
यह तो हुयी मोटी बात , मुख्य और जरुरी बाते जिसका पालन होना अनिवार्य होता है वह यह की इस गणित के अनुसार आगामि महीनो में ऐसा संयोग कब बनेगा । जब इधर स्त्री का मासिक धर्म शुरू हो और उधर शुक्ल पक्छ की एकंम  तिथि (परवा ) एक ही ही दिन पड़ जाये /  एक दो दिन आगे पीछे भी शुरू हो तो कार्य सिद्ध होने में कोई बाधा नहीं पड़ती / गणित के इस बिबरण को फर्मुला मान ले और जब भी पत्नी का ऋतुस्राव शुक्ल पछ की तिथियों से संयोग कार्यक्रम निर्धारीत कर ले / अवं अच्छी तैयारी के साथ अनुकूल रात्रियों में गर्भधान संस्कार आयोजित करे / सारे प्रयत्न निष्ठां पुर्बक और सतर्कता के साथ करे और फल भगवान पर छोड दे \ प्रायः संतान न होने के लिए स्त्री ( पत्नी ) को दोषी ठहराया जाता है और बदनाम भी किया जाता है / यदि पुरुष के सुक्र में पर्याप्त शुक्राणु नहीं हो .गर्भ स्थापित न होने का कारण स्त्री नहीं पुरुष होगा / नये बैज्ञानीक अनुसन्धान के आधार पर कहा जा सकता है . की व्यक्ती अपनी इछा से लड़का या लड़की पैदा कर सकता है . इस बात के वैज्ञानीक प्रमाण मिल चुके है . / स्त्री के अंडे ( ovum ) में केवल ( X ) क्रोमोसोम पाये जाते है . जबकि पुरुष में X और Y दोनों क्रोमोशोम्स होते है / यदि X और Y क्रोमोशोम्स का संजोग हो तो लड़का शरीर बनता है / और यदी गर्भधान के समय पुरुष के शुक्र में X क्रोमोशोम्स गैर मौजूद हुवा तो गर्भधान लड़की का हो जायेगा / भारतीय जयोतिष के अनुसार शुक्ल पछ के समय सम संख्या बाली आठवी .दशवी . बारहमी . अदि रात्रियो में गर्भधान करने से पुत्र प्राप्ति का बिधान बताया गया है / इन रात्रियो में चंद्रमा के प्रभाव से शुक्र में X क्रोमोशोम्स की उपस्थीती बनी रहती है / बैज्ञानिको के अनुसंधानानुसार चन्द्रमा के प्रभाब से पुरुषो के शुक्र में X क्रोमोसोम्स प्रयाप्त मात्रा में मौजुद पाई गई एवं बिशम रात्रियों में Y क्रोमोशोम्स की अधिकता थी / स्त्री अपने मासिक अबधी के 12 वे से 14 वे दिन के मध्य अत्यधिक प्रजनन सामर्थ्य रखती है /यदि पुत्र उत्पन्न करने की अभिलाषा हो तो पति व पत्नी को बड़े सयम के साथ गर्भधान के लिए सतर्कता पूर्वक नियम का पालन करते हुवे स्त्री के मासिक धर्म का पहला या दूसरा दिन शुक्ल पछ की पहली व दूसरी तिथि के साथ साथ पड़े तो सर्वाधीक प्रजनन छमता बाले 12 वे एवम 14 वे रात पुरुष के शुक्र में भी Y क्रोमोसोम्स सर्वाधिक सघन मात्रा में उपलब्ध रहते है . जो पुत्र  उत्पती के लिए अति आवश्यक और मूल कारक है / जब यह संयोग बने तभी 12 वे 14 वे दिनों में गर्भधान संस्कार होना चाहिये / अन्य दिनों में गर्भधान होने से कन्या सन्तान की सम्भाबना अधिक रहती है / यह ध्यान रखने की बात है की मासिक धर्म का पहला या दुसरा दिन शुक्ल पछ की पहली या दूसरी तिथि हो और 12 वे .. 14 वे दिनों के पहले या बाद में पुरुष ब्रम्हचर्य का पालन करे या गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करे                                    
 

11:15:00 am

ये बातें आसान बना दे यश और सफलता पाना


ये बातें आसान बना दे यश और सफलता पाना



जीवन में संयम भी एक ताकत है। फर्क सिर्फ इतना है कि यह भौतिक रूप द्वारा नहीं बल्कि भाव रूप में इंसान को बहुत सबल बनाती है। हालांकि अनेक मौकों पर इसे कमजोरी मानने की चूक की जाती है। किंतु सिर्फ धैर्य रखने के बेहतर नतीजे होते हैं कि कोई भी इंसान यश, सफलता और सम्मान का हकदार बन सकता है।
संयम का ही शक्तिशाली स्वरूप धर्म और अध्यात्म क्षेत्र में अष्टांग मार्ग के रूप में भी जाना जाता है। जिसका पालन किसी भी इंसान, भक्त या साधक के लिए सुख, सफलता और मोक्ष सुनिश्चित कर देता है। जिसके लिये यम-नियम का महत्व बताया गया है।

 अनमोल सूत्रों से जुड़ी शास्त्रों में लिखी बातें -

यमा: पञ्च त्वहिंसाद्या अहिंसा प्राण्यहिंसनम्।।

सत्यं भूतहितं वाक्यमस्तेयं स्वाग्रहं परम्। अमैथुनं ब्रह्मचर्यं सर्वत्यागोपरिग्रह।।

जिसका अर्थ है कि यम के तहत इन  बातों का पालन जरूरी है -

1 अहिंसा - जीव हिंसा से बचना।

2 सत्य - सच खासतौर पर जीव के हित में सत्य बोलना।

3 अस्तेय - दूसरों की सामग्री, वस्तु की चोरी, कब्जे या अपहरण से बचना।

4 अपरिग्रह - सब कुछ त्याग करना।

इसी तरह यम के साथ  नियमों का पालन अहम है -

5 शौच - पवित्रता, जो अंदर और बाहर दोनों ही रूपों में जरूरी है।

6 संतोष - तृप्त होना। सरल शब्दों में हर स्थिति में संतुष्ट व प्रसन्नता का भाव।

7 इन्द्रिय निग्रह - सभी इन्द्रियों पर संयम रखना।

8 स्वाध्याय - मंत्र जप, धर्म-ज्ञान का अध्ययन और पालन।

9 प्राणिधान - देव उपासना, पूजा, अर्चना आदि।

11:14:00 am

रत्न धारण करने की विधि

रत्न धारण करने की विधि


आइए अब इन्हें रत्न धारण करने की विधि पर विचार करें। सबसे पहले यह जान लेते हैं कि किसी भी रत्न को अंगूठी में जड़वाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिस अंगूठी में आप रत्न को जड़वाना चाहते हैं, उसका नीचे का तला खुला होना चाहिए तथा आपका रत्न उस खुले तले में से हलका सा नीचे की तरफ निकला होना चाहिए जिससे कि वह आपकी उंगली को सही प्रकार से छू सके तथा अपने से संबंधित ग्रह की उर्जा आपकी उंगली के इस सम्पर्क के माध्यम से आपके शरीर में स्थानांतरित कर सके। इसलिए अपने रत्न से जड़ित अंगूठी लेने पहले यह जांच लें कि आपका रत्न इस अंगूठी में से हल्का सा नीचे की तरफ़ निकला हुआ हो। अंगूठी बन जाने के बाद सबसे पहले इसे अपने हाथ की इस रत्न के लिए निर्धारित उंगली में पहन कर देखें ताकि अंगूठी ढीली अथवा तंग होने की स्थिति में आप इसे उसी समय ठीक करवा सकें।
अंगूठी को प्राप्त कर लेने के पश्चात इसे धारण करने से 24 से 48 घंटे पहले किसी कटोरी में गंगाजल अथवा कच्ची लस्सी में डुबो कर रख दें। कच्चे दूध में आधा हिस्सा पानी मिलाने से आप कच्ची लस्सी बना सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि दूध कच्चा होना चाहिए अर्थात इस दूध को उबाला न गया हो। गंगाजल या कच्चे दूध वाली इस कटोरी को अपने घर के किसी स्वच्छ स्थान पर रखें। उदाहरण के लिए घर में पूजा के लिए बनाया गया स्थान इसे रखने के लिए उत्तम स्थान है। किन्तु घर में पूजा का स्थान न होने की स्थिति में आप इसे अपने अतिथि कक्ष अथवा रसोई घर में किसी उंचे तथा स्वच्छ स्थान पर रख सकते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस कटोरी को अपने घर के किसी भी शयन कक्ष में बिल्कुल न रखें। रत्न धारण करने के इस चरण को रत्न के शुद्धिकरण का नाम दिया जाता है।
इसके पश्चात इस रत्न को धारण करने के दिन प्रात उठ कर स्नान करने के बाद इसे धारण करना चाहिए। वैसे तो प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व का समय रत्न धारण करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है किन्तु आप इसे अपने नियमित स्नान करने के समय पर भी धारण कर सकते हैं। स्नान करने के बाद रत्न वाली कटोरी को अपने सामने रख कर किसी स्वच्छ स्थान पर बैठ जाएं तथा रत्न से संबंधित ग्रह के मूल मंत्र, बीज मंत्र अथवा वेद मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद अंगूठी को कटोरी में से निकालें तथा इसे अपनी उंगली में धारण कर लें। उदाहरण के लिए यदि आपको माणिक्य धारण करना है तो रविवार की सुबह स्नान के बाद इस रत्न को धारण करने से पहले आपको सूर्य के मूल मंत्र, बीज मंत्र अथवा वेद मंत्र का जाप करना है। रत्न धारण करने के लिए किसी ग्रह के मूल मंत्र का जाप माननीय होता है तथा आप इस ग्रह के मूल मंत्र का जाप करने के पश्चात रत्न को धारण कर सकते हैं। किन्तु अपनी मान्यता तथा समय की उपलब्धता को देखकर आप इस ग्रह के बीज मत्र या वेद मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। रत्न धारण करने के इस चरण को रत्न की प्राण-प्रतिष्ठा का नाम दिया जाता है। नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह से संबंधित मूल मंत्र, बीज मत्र तथा वेद मंत्र जानने के लिए नवग्रहों के मंत्र नामक लेख पढ़ें।
कृप्या ध्यान दें
कुछ ज्योतिषि किसी विशेष रत्न जैसे कि नीलम को रात के समय धारण करने की सलाह देते हैं किन्तु रत्नों को केवल दिन के समय ही धारण करना चाहिए। कई बार कोई रत्न धारण करने के कुछ समय के बाद ही आपके शरीर में कुछ अवांछित बदलाव लाना शुरू कर देता है तथा उस स्थिति में इसे उतारना पड़ता है। दिन के समय रत्न धारण करने से आप ऐसे बदलावों को महसूस करते ही इस रत्न को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान पहुंचाने से पहले ही उतार सकते हैं किन्तु रात के समय रत्न धारण करने की स्थिति में अगर यह रत्न ऐसा कोई बदलाव लाता है तो सुप्त अवस्था में होने के कारण आप इसे उतार भी नहीं पाएंगे तथा कई बार आपके प्रात: उठने से पहले तक ही यह रत्न आपको कोई गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचा देता है। इसलिए रत्न केवल सुबह के समय ही धारण करने चाहिएं           

11:12:00 am

जीवन में सफलता के सात आध्यात्मिक नियम

जीवन में सफलता के सात आध्यात्मिक नियम


जीवन में सफलता हासिल करने का वैसे तो कोई निश्चित फार्मूला नहीं है लेकिन मनुष्य सात आध्यात्मिक नियमों को अपनाकर कामयाबी के शिखर को छू सकता है।
ला जोला कैलीफोर्निया में “द चोपड़ा सेंटर फार वेल बीइंग” के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी डा.दीपक चोपड़ा ने अपनी पुस्तक “सफलता के सात आध्यात्मिक नियम” में सफलता के लिए जरूरी बातों का उल्लेख करते हुए बताया है कि कामयाबी हासिल करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य, ऊर्जा, मानसिक स्थिरता, अच्छा बनने की समझ और मानसिक शांति आवश्यक है।
“एजलेस बाडी, टाइमलेस माइंड” और “क्वांटम हीलिंग” जैसी 26 लोकप्रिय पुस्तकों के लेखक डा.चोपड़ा के अनुसार सफलता हासिल करने के लिए व्यक्ति में विशुद्ध सामर्थ्य, दान, कर्म, अल्प प्रयास, उद्देश्य और इच्छा, अनासक्ति और धर्म का होना आवश्यक है।
पहला नियम:
विशुद्ध सामर्थ्य का पहला नियम इस तथ्य पर आधारित है कि व्यक्ति मूल रूप से विशुद्ध चेतना है, जो सभी संभावनाओं और असंख्य रचनात्मकताओं का कार्यक्षेत्र है। इस क्षेत्र तक पहुंचने का एक ही रास्ता है. प्रतिदिन मौन. ध्यान और अनिर्णय का अभ्यास करना। व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ समय के लिए मौन.बोलने की प्रकिया से दूर. रहना चाहिए और दिन में दो बार आधे घंटे सुबह और आधे घंटे शाम अकेले बैठकर ध्यान लगाना चाहिए।
इसी के साथ उसे प्रतिदिन प्रकृति के साथ सम्पर्क स्थापित करना चाहिए और हर जैविक वस्तु की बौद्धिक शक्ति का चुपचाप अवलोकन करना चाहिए। शांत बैठकर सूर्यास्त देखें. समुद्र या लहरों की आवाज सुनें तथा फूलों की सुगंध को महसूस करें ।
विशुद्ध सामर्थ्य को पाने की एक अन्य विधि अनिर्णय का अभ्यास करना है। सही और गलत, अच्छे और बुरे के अनुसार वस्तुओं का निरंतर मूल्यांकन है –“निर्णय’ । व्यक्ति जब लगातार मूल्यांकन, वर्गीकरण और विश्लेषण में लगा रहता है, तो उसके अन्तर्मन में द्वंद्व उत्पन्न होने लगता है जो विशुद्ध सामर्थ्य और व्यक्ति के बीच ऊर्जा के प्रवाह को रोकने का काम करता है। चूंकि अनिर्णय की स्थिति दिमाग को शांति प्रदान करती है. इसलिए व्यक्ति को अनिर्णय का अभ्यास करना चाहिए। अपने दिन की शुरुआत इस वक्तव्य से करनी चाहिए- “आज जो कुछ भी घटेगा, उसके बारे में मैं कोई निर्णय नहीं लूंगा और पूरे दिन निर्णय न लेने का ध्यान रखूंगा।”

दूसरा नियम:
सफलता का दूसरा आध्यात्मिक नियम है.- देने का नियम। इसे लेन- देन का नियम भी कहा जा सकता है। पूरा गतिशील ब्रह्मांड विनियम पर ही आधारित है। लेना और देना- संसार में ऊर्जा प्रवाह के दो भिन्न- भिन्न पहलू हैं । व्यक्ति जो पाना चाहता है, उसे दूसरों को देने की तत्परता से संपूर्ण विश्व में जीवन का संचार करता रहता है।
देने के नियम का अभ्यास बहुत ही आसान है। यदि व्यक्ति खुश रहना चाहता है तो दूसरों को खुश रखे और यदि प्रेम पाना चाहता है तो दूसरों के प्रति प्रेम की भावना रखे।
यदि वह चाहता है कि कोई उसकी देखभाल और सराहना करे तो उसे भी दूसरों की देखभाल और सराहना करना सीखना चाहिए । यदि मनुष्य भौतिक सुख-समृद्धि हासिल करना चाहता है तो उसे दूसरों को भी भौतिक सुख- समृद्धि प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए।
तीसरा नियम:
सफलता का तीसरा आध्यात्मिक नियम, कर्म का नियम है। कर्म में क्रिया और उसका परिणाम दोनों शामिल हैं। स्वामी विवेकानन्द ने कहा है- “कर्म मानव स्वतंत्रता की शाश्वत घोषणा है.. हमारे विचार, शब्द और कर्म. वे धागे हैं, जिनसे हम अपने चारों ओर एक जाल बुन लेते हैं। .. वर्तमान में जो कुछ भी घट रहा है. वह व्यक्ति को पसंद हो या नापसंद, उसी के चयनों का परिणाम हैजो उसने कभी पहले किये होते हैं।
कर्म, कारण और प्रभाव के नियम पर इन बातों पर ध्यान देकर आसानी से अमल किया जा सकता है... आज से मैं हर चुनाव का साक्षी रहूंगा और इन चुनावों के प्रति पूर्णतः साक्षीत्व को अपनी चेतन जागरूकता तक ले जाऊंगा। जब भी मैं चुनाव करूंगा तो स्वयं से दो प्रश्न पूछूंगा.. जो चुनाव मैं करने जा रहा हूं. उसके नतीजे क्या होंगे और क्या यह चुनाव मेरे और इससे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए लाभदायक और इच्छा की पूर्ति करने वाला होगा। यदि चुनाव की अनुभूति सुखद है तो मैं यथाशीघ्र वह काम करूंगा लेकिन यदि अनुभूति दुखद होगी तो मैं रुककर अंतर्मन में अपने कर्म के परिणामों पर एक नजर डालूंगा। इस प्रकार मैं अपने तथा मेरे आसपास के जो लोग हैं. उनके लिए सही निर्णय लेने में सक्षम हो सकूंगा।.
चौथा नियम:
सफलता का चौथा नियम “अल्प प्रयास का नियम” है। यह नियम इस तथ्य पर आधारित है कि प्रकृति प्रयत्न रहित सरलता और अत्यधिक आजादी से काम करती है। यही अल्प प्रयास यानी विरोध रहित
प्रयास का नियम है।
प्रकृति के काम पर ध्यान देने पर पता चलता है कि उसमें सब कुछ सहजता से गतिमान है। घास उगने की कोशिश नहीं करती, स्वयं उग आती है। मछलियां तैरने की कोशिश नहीं करतीं, खुद तैरने लगती हैं, फूल खिलने की कोशिश नहीं करते, खुद खिलने लगते हैं और पक्षी उडने की कोशिश किए बिना स्वयं ही उडते हैं। यह उनकी स्वाभाविक प्रकृति है। इसी तरह मनुष्य की प्रकृति है कि वह अपने सपनों को बिना किसी कठिन प्रयास के भौतिक रूप दे सकता है।
मनुष्य के भीतर कहीं हल्का सा विचार छिपा रहता है जो बिना किसी प्रयास के मूर्त रूप ले लेता है। इसी को सामान्यतः चमत्कार कहते हैं लेकिन वास्तव में यह अल्प प्रयास का नियम है। अल्प प्रयास के नियम का जीवन में आसानी से पालन करने के लिए इन बातों पर ध्यान देना होगा..-  मैं स्वीकृति का अभ्यास करूंगा। आज से मैं घटनाओं, स्थितियों, परिस्थितियों और लोगों को जैसे हैं. वैसे ही स्वीकार करूंगा, उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार ढालने की कोशिश नहीं करूंगा। मैं यह जान लूंगा कि यह क्षण जैसा है, वैसा ही होना था क्योंकि सम्पूर्ण ब्रह्मांड ऐसा ही है । मैं इस क्षण का विरोध करके पूरे ब्रह्मांड से संघर्ष नहीं करूंगा, मेरी स्वीकृति पूर्ण होगी। मैं उन स्थितियों का, जिन्हें मैं समस्या समझ रहा था, उनका उत्तरदायित्व स्वयं पर लूंगा। किसी दूसरे को अपनी स्थिति के लिए दोषी नहीं ठहराऊंगा। मैं यह समझूंगा कि प्रत्येक समस्या में सुअवसर छिपा है और यही सावधानी मुझे जीवन में स्थितियों का लाभ उठाकर भविष्य संवारने का मौका देगी।....मेरी आज की जागृति आगे चलकर रक्षाहीनता में बदल जाएगी। मुझे अपने विचारों का पक्ष लेने की कोई जरूरत नहीं पडेगी। अपने विचारों को दूसरों पर थोपने की जरूरत भी महसूस नहीं होगी । मैं सभी विचारों के लिए अपने आपको स्वतंत्र रखूंगा ताकि एक विचार से बंधा नहीं रहूं।
पांचवा नियम:
सफलता का पांचवां आध्यात्मिक नियम “उद्देश्य और इच्छा का नियम” बताया गया है। यह नियम इस तथ्य पर आधारित है कि प्रकृति में ऊर्जा और ज्ञान हर जगह विद्यमान है। सत्य तो यह है कि क्वांटम क्षेत्र में ऊर्जा और ज्ञान के अलावा और कुछ है ही नहीं। यह क्षेत्र विशुद्ध चेतना और सामर्थ्य का ही दूसरा रूप है. जो उद्देश्य और इच्छा से प्रभावित रहता है।
ऋग्वेद में उल्लेख है.. प्रारंभ में सिर्फ इच्छा ही थी जो मस्तिष्क का प्रथम बीज थी। मुनियों ने अपने मन पर ध्यान केन्द्रित किया और उन्हें अर्न्तज्ञान प्राप्त हुआ कि प्रकट और अप्रकट एक ही है। उद्देश्य और इच्छा के नियम का पालन करने के लिए व्यक्ति को इन बातों पर ध्यान देना होगा.. उसे अपनी सभी इच्छाओं को त्यागकर उन्हें रचना के गर्त के हवाले करना होगा और विश्वास कायम रखना होगा कि यदि इच्छा पूरी नहीं होती है तो उसके पीछे भी कोई उचित कारण होगा । हो सकता है कि प्रकृति ने उसके लिए इससे भी अधिक कुछ सोच रखा हो। व्यक्ति को अपने प्रत्येक कर्म में वर्तमान के प्रति सतर्कता का अभ्यास करना होगा और उसे ज्यों का त्यों स्वीकार करना होगा लेकिन उसे साथ ही अपने भविष्य को उपयुक्त इच्छाओं ओर दृढ उद्देश्यों से संवारना होगा।
छठवां नियम:
सफलता का छठा आध्यात्मिक नियम अनासक्ति का नियम है। इस नियम के अनुसार व्यक्ति को भौतिक संसार में कुछ भी प्राप्त करने के लिए वस्तुओं के प्रति मोह त्यागना होगा। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने उद्देश्यों को ही छोड दे । उसे केवल परिणाम के प्रति मोह को त्यागना है। व्यक्ति जैसे ही परिणाम के प्रति मोह छोड देता है. उसी वह अपने एकमात्र उद्देश्य को अनासक्ति से जोड लेता है। तब वह जो कुछ भी चाहता है. उसे स्वयमेव मिल जाता है।
अनासक्ति के नियम का पालन करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना होगा.. आज मैं अनासक्त रहने का वायदा करता हूं। मैं स्वयं को तथा आसपास के लोगों को पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहने की आजादी दूंगा। चीजों को कैसा होना चाहिए. इस विषय पर भी अपनी राय किसी पर थोपूंगा नहीं। मैं जबरदस्ती समस्याओं के समाधान खोजकर नयी समस्याओं को जन्म नहीं दूंगा। मैं चीजों को अनासक्त भाव से लूंगा। सब कुछ जितना अनिश्चित होगा. मैं उतना ही अधिक सुरक्षित महसूस करूंगा क्योंकि अनिश्चितता ही मेरे लिए स्वतंत्रता का मार्ग सिद्ध होगी। अनिश्चितता को समझते हुए मैं अपनी सुरक्षा की खोज करूंगा।.
सातवां नियम: 
सफलता का सातवां आध्यात्मिक नियम. धर्म का नियम. है। संस्कृत में धर्म का शाब्दिक अर्थ..जीवन का उद्देश्य बताया गया है। धर्म या जीवन के उद्देश्य का जीवन में आसानी से पालन करने के लिए व्यक्ति को इन विचारों पर ध्यान देना होगा.. ..मैं अपनी असाधारण योग्यताओं की सूची तैयार करूंगा और फिर इस असाधारण योग्यता को व्यक्त करने के लिए किए जाने वाले उपायों की भी सूची बनाऊंगा। अपनी योग्यता को पहचानकर उसका इस्तेमाल मानव कल्याण के लिए करूंगा और समय की सीमा से परे होकर अपने जीवन के साथ दूसरों के जीवन को भी सुख.समृद्धि से भर दूंगा। हर दिन खुद से पूछूंगा..मैं दूसरों का सहायक कैसे बनूं और किस प्रकार मैं दूसरों की सहायता कर सकता हूं। इन प्रश्नों के उत्तरों की सहायता से मैं मानव मात्र की प्रेमपूर्वक सेवा करूंगा।..

11:11:00 am

स्वप्न फल स्वप्नों का अर्थ


स्वप्न फल स्वप्नों का अर्थ



स्वप्नों के संबंध में प्राचीन शास्त्रीय उल्लेख, शकुन शास्त्र की प्राचीनता तथा वर्तमान में प्रासंगिकता, स्वप्नों के वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक कारण तथा भूत, भविष्य एवं वर्तमान से उनका संबंध, शकुनों एवं अपशकुनों की व्याख्या और उनके दुष्प्रभावों के निवारण के लिए शास्त्रीय उपाय.
1अ-2 आ-3 इ-4 उ-5 ऊ-6 औ-7 ऐ-8 क-9 ख-10 ग-11 घ-12 च-13 स-14 छ-15 ज-16 झ-17 ट-18 ठ-19 ड-20 त-21 थ-22 ध-23 न-24 प-25 फ-26 ब-27 भ-28 म-29 य-30 र-31 ल-32 व-33 श-34 श्र-35  ह-36 द-

मानव मन का स्वप्नों के साथ गहरा संबंध है निद्रा की अवस्था में भी मस्तिष्क सक्रिय रहता है। अवचेतन मन की इच्छाएँ, दिन प्रतिदिन के तनाव एवं चिन्ताएं स्वप्न के रूप में दिखाई देती हैं। मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि कभी-कभी स्वप्न भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देते हैं। स्वप्नों से भविष्य संकेत की पुष्टि कई प्राचीन ग्रंथों द्वारा होती है।
मानव मस्तिष्क अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के प्रयत्नों में आदि काल से ही सक्रिय है। परंतु जब किसी कारण इसकी कुछ अधूरी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती जो कि मस्तिष्क के किसी कोने में जाग्रत अवस्था में रहती है तो वह स्वप्न का रूप ले लती हैं। आधुनिक विज्ञान में इस विषय में कहा है कि स्वप्न'' मानव की दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन करते हैं जिनको हमने अपनी जाग्रत अवस्था में कभी-कभी विचारा होता है। अर्थात स्वप्न हमारी वो इच्छाएं हैं जो किसी भी प्रकार के भय से जाग्रत् अवस्था में पूर्ण नहीं हो पाती हैं व स्वप्नों में साकार होकर हमें मानसिक संतुष्टि व तृप्ति देती है सपने या स्वप्न आते क्यों है? इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है।
विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है, जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांस पेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। इस नींद की ही अवस्था में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) पुनः सक्रिय हो जाती हैं।
वैज्ञानिकों ने नींद को दो भागों में बांटा है पहला भाग आर ई एम अर्थात् रैपिड आई मुवमेंट है। (जिसमें अधिकतर सपने आते हैं) इसमें शरीर शिथिल परंतु आंखें तेजी से घूमती रहती हैं और मस्तिष्क जाग्रत अवस्था से भी ज्यादा गतिशील होता है। इस आर ई एम की अवधि १० से २० मिनट की होती है तथा प्रत्येक व्यक्ति एक रात में चार से छह बार आर ई एम नींद लेता है। यह स्थिति नींद आने के लगभग १.३० घंटे अर्थात ९० मिनट बाद आती है। इस आधार पर गणना करें तो रात्रि का अंतिम प्रहर आर ई एम का ही समय होता है (यदि व्यक्ति समान्यतः १० बजे रात सोता है तो ) जिससे सपनों के आने की संभावना बढ़ जाती है।
सपने बनते कैसे हैं : दिन भर विभिन्न स्रोतों से हमारे मस्तिष्क को स्फुरण (सिगनल) मिलते रहते हैं। प्राथमिकता के आधार पर हमारा मस्तिष्क हमसे पहले उधर ध्यान दिलवाता है जिसे करना अति जरूरी होता है, और जिन स्फुरण संदेशों की आवश्यकता तुरंत नहीं होती उन्हें वह अपने में दर्ज कर लेता है। इसके अलावा प्रतिदिन बहुत सी भावनाओं का भी हम पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। जो भावनाएं हम किसी कारण वश दबा लेते हैं गुस्सा आदि वह भी हमारे अवचेतन मस्तिष्क में दर्ज हो जाती हैं। रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है मस्तिष्क अपना काम कर रहा होता है। इस दौरान हमें चेतनावस्था में कोई स्कुरण संकेत भावनाएं आदि नहीं मिल रही होती उस समय मस्तिष्क दिन भर मिले संकेतों को लेकर सक्रिय होता है जिनसे स्वप्न प्रदर्शित होते हैं।
यह वह स्वप्न होते हैं जो मस्तिष्क को दिनभर मिले स्फुरण, भावनाओं को दर्शाते हैं जिन्हें दिन में हमने किसी कारण वश रोक लिया था। जब तक यह प्रदर्शित नहीं हो पाता तब तक बार-बार नजर आता रहता है तथा इन पर नियंत्रण चाहकर भी नहीं किया जा सकता
भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है।
व्यक्ति सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। सभी प्राणियों में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो स्वप्न देख सकता है। अर्थात् जो मनुष्य स्वप्न नहीं देखता, वह जीवित नहीं रह सकता। इसका अभिप्राय यह है कि जो जीवित और सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। केवल जन्म से अंधे व्यक्ति स्वप्न नहीं देख सकते लेकिन वे भी स्वप्न में ध्वनियां तो सुनते ही हैं। अर्थात स्वप्न तो उनको भी आते हैं। स्वप्न सोते हुए ही नहीं, जागते हुए भी देखे जा सकते हैं। इस प्रकार स्वप्न को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
जागृत अवस्था के स्वप्न
निद्रावस्था के स्वप्न
जागृत अवस्था के स्वप्न कवियों, दार्शनिकों, प्रेमी-प्रेमिकाओं, अविवाहित किशोर, युवक-युवतियों को अधिक आते हैं। ये स्वप्न कलात्मक होते हैं। भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है। जिस व्यक्ति विशेष की साधना इतनी प्रबल होती है कि वह जागृतावस्था में या ध्यानावस्था में इन भूत-भविष्य के सूक्ष्म आकारों से संपर्क कर लेता है, वही योगी और भविष्यदृष्टा कहलाता है।अवचेतन मन की पहुंच हमारे शरीर तक ही सीमित नहीं, वरन् वह विश्व के किसी भी भाग में जब चाहे पहुंच सकता है। अतः भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों का ज्ञान अवचेतन मन से ही संभव है। नीचे कुछ मुख्य-मुख्य स्वप्नों के भावों फलों का संक्षिप्त वर्णन किया जा रहा है। स्वप्न फलों के संबंध में निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। रात्रि में तीन बजे से सूर्योदय के पूर्व के स्वप्न सात दिन में, मध्य रात्रि के स्वप्न 1 माह में, मध्य रात्रि से पहले के स्वप्न 1 वर्ष में अपना फल प्रदान करते हैं। दिन के स्वप्न महत्वहीन होते हैं। एक रात में एक से अधिक स्वप्न आएं तो अंतिम ही फलदायक होगा
शुभ स्वप्न
जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में घोड़ा, हाथी, सफेद बैल, जूते, रथ में स्वयं को सवार देखता है-उसे ग्राम, नगर, राज्य अथवा देश से अवश्य ही सम्मान की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति स्वप्न में देवी लक्ष्मी की मूर्ति देखने से धन की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति गोरैया, नीलकंठ, कबूतर, सारस, तोता व तीतर दिखाई देने से गृहस्थ जीवन खुशहाल होता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को किसी महल के ऊँचे बुर्ज पर खड़े देखना भावी जीवन में उन्नति का संकेत है।
जो व्यक्ति किसी बड़े जलाशय, सरोवर, नदी अथवा सागर में स्वयं को तैरता देखने वाला मनुष्य सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में उल्लू देखने से भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में तिल, चावल गेहूं, सरसों, जौ, अन्न का ढेर, पुष्प, छाता, ध्वज, दही, पान, कमल, कलश, शंख और सोने के गहने देखता है उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है।
जो व्यक्ति यदि कोई रोगी स्वप्न में दवाई की बोतल टूटी हुई देखता है तो वह शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में फल देखना बहुत शुभ होता है।
जो व्यक्ति यदि आप स्वयं को किसी ऊंचाई पर चढ़ता देखें तो यह भविष्य में उन्नति का संकेत है।
जो व्यक्ति यदि आप स्वप्न में नए वस्त्र पहने दिखते हैं तो आपको कोई मांगलिक कार्य का संदेश मिलने वाला है।
जो व्यक्ति यदि आप किसी वृद्ध व्यक्ति अथवा साधु को देखते हैं तो आपको बड़ा लाभ अथवा सम्मान मिलने वाला है।
अशुभ स्वप्न
जो व्यक्ति यदि स्वप्न में किसी बच्चे का जन्म होता दिखाई दे तो सावधान होना चाहिए क्योंकि यह आगामी दुर्घटना का संकेत है
जो व्यक्ति यदि स्वप्न में किसी रोते बच्चे को देखें तो कोई संकट आने वाला है।
जो व्यक्ति स्वप्न में जिस व्यक्ति को दक्षिण दिशा में खड़े पितर बुलाते हैं उसको अपना अंतिम समय आया हुआ जान लेना चाहिए।
जो व्यक्ति स्वप्न में कोई खंडहर, सुनसान जगह देखना, भटक जाना और निकलने का कोई मार्ग न मिलना हानि कारक होता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि कोई किसी के पांवों को कटा हुआ देखेगा तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की आर्थिक और व्यवसायिक बाधाएं आने वाली हैं।
जो व्यक्ति स्वप्न में किसी बारात में शामिल होना अशुभ है।
जो व्यक्ति स्वप्न में किसी की हत्या होते देखने का अर्थ है कि कोई आपके खिलाफ बगावत कर रहा है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि कोई सोना चांदी आदि धातुओं की चोरी करता है तो यह अशुभ है। इस का प्रभाव व्यवसाय पर पड़ सकता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि कोई पानी में डूबता जा रहा है तो यह आने वाले संकटों का सूचक है।
जो व्यक्ति यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को डोरी से बंधा हुआ देखता है तो उसे शीघ्र ही किसी अपराध में बंदी बनाया जा सकता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि ऐसा प्रतीत हो कि कोई व्यक्ति स्वप्न देखने वाले की पत्नी का अपहरण करके ले जा रहा है तो शीघ्र ही उसके धन की हानि होती है।
अनिष्ट फल नाशक उपाय
यदि मन यह स्वीकार करे कि देखे गए स्वप्न का परिणाम अनिष्टकारी हो सकता है तो उसके निवारण का उपाय अवश्य किया जाना चाहिए। चित्रकूट वास के समय श्री राम ने भी एक स्वप्न देखा था जिसके अनिष्ट फल के निवारण हेतु उन्होंने भगवान शंकर की पूजा की थी। उचित उपाय करने से बुरे स्वप्न से होने वाला दुष्प्रभाव अत्यन्त क्षीण अथवा समाप्त हो जाता है। यदि स्वप्न अधिक भयानक और रात्रि १२ से २ बजे देखा जए तो तुरंत श्री शिव का नाम स्मरण करें। ÷ऊँ नमः शिवाय' का जप करते हुए सो जाएं। तत्पश्चात् ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करके शिवमंदिर में जाकर जल चढ़ाएं पूजा करें व पुजारी को कुछ दान करें। इससे संकट नष्ट हो जाता है।
यदि स्वप्न ४ बजे के बाद देखा गया है और स्वप्न बुरा है, तो प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। कोई दुष्परिणाम नहीं होगा। स्नान के बाद ÷ऊँ नमः शिवाय' का १०८ बार जप करें।
हनुमान जी सब प्रकार का अनिष्ट दूर करने वाले हैं। बुरे स्वप्न का अनिष्ट दूर करने के लिए सुंदरकांड, बजरंग बाण, संकटमोचन स्तोत्र अथवा हनुमान चालीसा का पाठ भी सांयकाल के समय किया जा सकता है। यदि स्वप्न बहुत बुरा है और आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो सुबह उठकर सफेद कागज पर स्वप्न को लिखें फिर उसे जला दें। राख नाली में पानी डाल कर बहा दें। फिर स्नान करके एक माला शिव के मंत्र ऊँ नमः शिवाय' का जप करें। दुष्प्रभाव नष्ट हो जाएगा।
रोगी स्वप्न फल
1.यदि रोगी सिर मुंडाएं ,लाल या काले वस्त्र धारण किए किसी  को सपने में देखता है या अंग भंग व्यक्ति को देखता है तो रोगी की दशा अच्छी नही है ।
2. यदि रोगी सपने मे किसी ऊँचे स्थान से गिरे या पानी में डूबे या गिर जाए तो समझे कि रोगी का रोग अभी और बड़ सकता है।
3. यदि सपने में ऊठ,शेर या किसी जंगली जानवर की सवारी करे या उस से भयभीत हो तो समझे कि रोगी अभी किसी और रोग से भी ग्र्स्त हो सकता है।
4. यदि रोगी सपने मे किसी ब्राह्मण,देवता राजा गाय,याचक या मित्र को देखे तो समझे कि रोगी जल्दी ही ठीक हो जाएगा ।
5.यदि कोई सपने मे उड़ता है तो इस का अभिप्राय यह लगाया जाता है कि रोगी या सपना देखने वाला चिन्ताओं से मुक्त हो गया है ।
6.यदि सपने मे कोई मास या अपनी प्राकृति के विरूध भोजन करता है तो ऐसा निरोगी व्यक्ति भी रोगी हो सकता है ।
7,यदि सपने में साँप देखता है तो ऐसा व्यक्ति आने वाले समय मे परेशानी में पड़ सकता है ।या फिर मनौती आदि के पूरा ना करने पर ऐसे सपनें आ सकते हैं।

1 स्वप्नों का अर्थ   अ-                                                                                                  
अप्सरा देखना – धन और मान सम्मान की प्राप्ति
अर्थी देखना – धन लाभ हो
अमरुद खाना – धन मिले
अनानास खाना – पहले परेशानी फिर राहत मिले
अदरक खाना – मान सम्मान बढे
अनार के पत्ते खाना – शादी शीघ्र हो
अखरोट देखना – भरपुर भोजन मिले तथा धन वृद्धि हो
अनाज देखना -चिंता मिले
अनार खाना (मीठा ) – धन मिले
अजनबी मिलना – अनिष्ट की पूर्व सूचना
अजवैन खाना – स्वस्थ्य लाभ
अध्यापक देखना – सफलता मिले
अँधेरा देखना – विपत्ति आये
अँधा देखना – कार्य में रूकावट आये
अमलतास के फूल – पीलिया या कोढ़ का रोग होना
अरहर देखना – शुभ
अरहर खाना – पेट में दर्द
अरबी देखना – सर दर्द या पेट दर्द
अलमारी बंद देखना – धन प्राप्ति हो
अलमारी खुली देखना – धन हानि हो
अंगूर खाना – स्वस्थ्य लाभ
अंग रक्षक देखना – चोट लगने का खतरा
अपने को आकाश में उड़ते देखना – सफलता प्राप्त हो
अपने पर दूसरौ का हमला देखना – लम्बी उम्र
अंग कटे देखना – स्वास्थ्य लाभ
अंग दान करना – उज्जवल भविष्य , पुरस्कार
अंगुली काटना – परिवार में कलेश
अंगूठा चूसना – पारवारिक सम्पति में विवाद
अन्तेस्ति देखना – परिवार में मांगलिक कार्य
अस्थि देखना – संकट टलना
अंजन देखना – नेत्र रोग
अंक देखना विषम – शुभ
अस्त्र से स्वयं को कटा देखना – शीघ्र कष्ट मिले
अपने दांत गिरते देखना – बंधू बांधव को कष्ट हो
आंसू देखना – परिवार में मंगल कार्य हो
आवाज सुनना – अछा समय आने वाला है
आंधी देखना – संकट से छुटकारा
आंधी में गिरना – सफलता मिलेगी
अपने आप को अकेला देखना – लम्बी यात्रा
अख़बार पढ़ना, खरीदना – वाद विवाद
अचार खाना , बनाना – सिर दर्द, पेट दर्द
अट्हास करना – दुखद समाचार मिले
अध्यक्ष बनना – मान हानि
अध्यन करना -असफलता मिले
अपहरण देखना – लम्बी उम्र
अभिमान करना – अपमानित होना
अध्र्चन्द्र देखना – औरत से सहयोग मिले
अमावस्या होना – दुःख संकट से छुटकारा
अगरबत्ती देखना – धार्मिक अनुष्ठान हो
अगरबत्ती जलती देखना – दुर्घटना हो
अगरबत्ती अर्पित करना – शुभ
अपठनीय अक्षर पढना – दुखद समाचार मिले
अंगीठी जलती देखना – अशुभ
अंगीठी बुझी देखना – शुभ
अजीब वस्तु देखना – प्रियजन के आने की सूचना
अजगर देखना – शुभ
अस्त्र देखना – संकट से रक्षा
अंगारों पर चलना – शारीरिक कष्ट
अंक देखना सम – अशुभ
2 स्वप्नों का अर्थ   आ-
आइना देखना – इच्छा पूरण हो , अछा दोस्त मिले
आइना में अपना मुहं देखना – नौकरी में परेशानी , पत्नी में परेशानी
आसमान देखना – ऊचा पद प्राप्त हो
आसमान में स्वयं को देखना – अच्छी यात्रा का संकेत
आसमान में स्वयं को गिरते देखना – व्यापार में हानि
आग देखना – गलत तरीके से धन की प्राप्ति हो
आग जला कर भोजन बनाना – धन लाभ , नौकरी में तरक्की
आग से कपडा जलना – अनेक दुख मिले , आँखों का रोग
आजाद होते देखना – अनेक चिन्ताओ से मुक्ति
आलू देखना – भरपूर भोजन मिले
आंवला देखना – मनोकामना पूर्ण न होना
आंवला खाते देखना – मनोकामना पूर्ण होना
आरू देखना – प्रसनता की प्राप्ति
आक देखना – शारारिक कष्ट
आम खाते देखना – धन और संतान का सुख
आलिंगन देखना पुरुष का औरत से – काम सुख की प्राप्ति
आलिंगन देखना औरत का पुरुष से – पति से बेवफाई की सूचना
आलिंगन देखना पुरुष का पुरुष से- शत्रुता बढ़ना
आलिंगन देखना औरत का औरत से – धन प्राप्ति का संकेत
आत्महत्या करना या देखना – लम्बी आयु
आवारागर्दी करना – धन लाभ हो नौकरी मिले
आँचल देखना – प्रतियोगिता में विजय
आँचल से आंसू पोछना – अछा समय आने वाला है
आँचल में मुँह छिपाना – मान समान की प्राप्ति
आरा चलता हुआ देखना – संकट शीघ्र समाप्त होगे
आरा रूका हुआ देखना- नए संकट आने का संकेत
आवेदन करना या लिखना – लम्बी यात्रा हो
आश्रम देखना – व्यापार में घाटा
आट्टा देखना – कार्य पूरा हो
आइसक्रीम खाना – सुख शांति मिले
3 स्वप्नों का अर्थ   इ
इमली खाते देखना – औरत के लिए शुभ ,पुरुष के लिए अशुभ
इडली साम्भर खाते देखना – सभी से सहयोग मिले
इष्ट देव की मूर्ति चोरी होना – मृत्युतुल्य कष्ट आये
इश्तहार पढना – धोखा मिले, चोरी हो
इत्र लगाना – अछे फल की प्राप्ति, मान सम्मान बढेगा
इमारत देखना – मान सम्मान बढे, धन लाभ हो
ईंट देखना – कष्ट मिलेगा
इंजन चलता देखना – यात्रा हो , शत्रु से सावधान
इन्द्रधनुष देखना – संकट बढे , धन हानि हो
इक्का देखना हुकम का – दुःख व् निराशा मिले
इक्का देखना ईंट का -कष्टकारक स्तिथि
इक्का देखना पान का -पारवारिक क्लेश
इक्का देखना चिड़ी का – गृह क्लेश ,अतिथि आने की सूचना
4 स्वप्नों का अर्थ   उ-
उजाड़ देखना – दूर स्थान की यात्रा हो
उस्तरा प्रयोग करना – यात्रा में धन लाभ हो
उपवन देखना – बीमारी की पूर्व सूचना
उदघाटन देखना – अशुभ संकेत
उदास देखना – शुभ समाचार मिले
उधार लेना या देना – धन लाभ का संकेत
स्वयं को उड़ते देखना – गंभीर दुर्घटना की पूर्व सूचना
उछलते देखना -दुखद समाचार मिलने का संकेत
उल्लू देखना -दुखों का संकेत
उबासी लेना – दुःख मिले
उल्टे कपडे पहनना – अपमान हो
उजाला देखना – भविष्य में सफलता का संकेत
उजले कपडे देखना -इज्जत बढे , विवाह हो
उठना और गिरना – संघर्ष बढेगा
उलझे बाल या धागे देखना – परेशानिया बढेगी
उस्तरा देखना – धन हानि , चोरी का भय
5 स्वप्नों का अर्थ   ऊ
ऊंघना – धन हानि , चोरी का भय
ऊंचाई पर अपने को देखना – अपमानित होना
ऊन देखना – धन लाभ हो
ऊंचे पहाड़ देखना – काफी मेहनत के बाद कार्य सिद्ध होना
ऊंचे वृक्ष देखना – मनोकामना पूरी होने में समय लगना
6 स्वप्नों का अर्थ   औ-
औषधी देखना – गलत संगति देखना
7 स्वप्नों का अर्थ   ऐ-
ऐनक लगते देखना – विद्या मिले, ख़ुशी इज्जत मिले
8 स्वप्नों का अर्थ   क
कब्र खोदना – धन पाए , मकान बनाये
कत्ल करना स्वयं का – अच्छा सपना है , बुरे काम से बचे
कद अपना छोटा देखना – अपमान सहना , परेशानी उठाना
कद अपना बड़ा देखना – भारी संकट आना
कसम खाते देखना – संतान का दुःख भोगना
कलम देखना – विद्या धन की प्राप्ति
कर्जा देना – खुशहाली आये
कर्जा लेना – व्यापार में हानि
कला कृतिया देखना – मान समान बढे
कपूर देखना – व्यापार में लाभ
कबाडी देखना – अच्छे दिनों की शुरूआत
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलना
कबूतरों का झुंड – शुभ समाचार मिले
कमल का फूल – ज्ञान की प्राप्ति
कपास देखना – सुख समृधि हो
कंगन देखना – अपमान हो
कदू देखना – पेट दर्द
कन्या देखना – धन वृद्धि हो
कफन देखना – लम्बी उम्र
कली देखना – स्वास्थ्य खराब हो
कछुआ देखना – शुभ समाचार मिले
कलश देखना – सफलता
कम्बल देखना – बीमारी आये
कपडा धोना – पहले रूकावट , फिर लाभ
कटा सिर देखना – शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी
कब्रिस्तान देखना – निराशा हो
कंघी देखना – चोट लगना , दांत या कान में दर्द
कसरत – बीमारी आने की सूचना
काली आँखे देखना – व्यापार में लाभ
काला रंग देखना – शुभ फल
काजू खाना – नया व्यापार शुरू हो
कान देखना – शुभ समाचार
कान साफ करना – अच्छी बातो का ज्ञान
काउंटर देखना – लेने देने में लाभ हो
कारखाना देखना – दुर्घटना में फसने की सूचना
काली बिल्ली देखना – लाभ हो
कुंडल पहने देखना – संकट हो
कुबडा देखना – कार्य में विघ्न
कुमकुम देखना – कार्य में सफलता
कुल्हाडी देखना – परिश्रम अधिक, लाभ कम
कुत्ता भोंकना – लोगो द्वारा मजाक उड़ना
कुत्ता झपटे – शत्रु की हार
कुर्सी खाली देखना – नौकरी मिले
कूड़े का ढेर देखना – कठिनाई के बाद धन मिले
किला देखना – ख़ुशी प्राप्त हो
कील देखना / ठोकना – परिवार में बटवारा हो
केश संवारना – तीर्थ यात्रा
केला खाना / देखना – ख़ुशी हो
केक देखना – अच्छी वस्तु मिले
कैमरा देखना – अपने भेद छिपा कर रखे
कोढ़ी देखना – धन का लाभ
कोहरा – संकट समाप्त हो
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयल देखना / सुनना – शुभ समाचार
कोया देखना – शुभ संकेत
किसी ऊंचे स्थान से कूदना – असफलता
कद लम्बा देखना – मृत्युतुल्य कष्ट हो
कद घटना – अपमान हो
कटोरा देखना – बनते काम बिगढ़ना
कनस्तर खाली देखना – शुभ
कनस्तर भरा देखना – अशुभ
कमंडल देखना – परिवार के किसी सदस्य से वियोग
करवा चौथ – औरत देखे तो आजीवन सधवा, पुरुष देखे तो धन धान्य संपूरण
कागज कोरा – शुभ
कागज लिखा देखना – अशुभ
कुर्सी पर स्वयं को बैठे देखना – नया पद, पदोनती
कुर्सी पर अन्य को बैठे देखना – अपमान
कब्र खोदना – मकान का निर्माण करना
कपूर देखना – व्यापार नौकरी में लाभ
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलन
कपडा बेचते देखना – व्यापार में लाभ
कपडे पर खून के दाग – व्यर्थ बदनामी
कछुआ देखना – धन आशा से अधिक मिलना
कमल ककडी देखना – सात्विक भोजन में आनंद, ख़ुशी मिले
कपास देखना – सुख, समृधि घर आये
करी खाना – विधवा से विवाह, विधुर से विवाह
कृपाण – धरम कार्य पूर्ण होने की सूचना
कान देखना – शुभ समाचार
कान कट जाना – अपनों से वियोग
काला कुत्ता देखना – कार्य मे सफलता
काउंटर देखना – लेन देन में लाभ
काली बिल्ली देखना – शुभ समाचार
पीली बिल्ली देखना – अशुभ समाचार
काना व्यक्ति देखना – अनकूल समय नहीं
कीडा देखना – शक्ति का प्रतीक
कुम्हार देखना – शुभ समाचार
केतली देखना – दांपत्य जीवन में शांति हो
केला देखना या खाना – शुभ समाचार
कैंची – अकारण किसी से वाद- विवाद होना
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयला देखना – प्रेम के जाल में फँस कर दुःख पाए
कुरान- सुख शांति की भावना बढे
9 स्वप्नों का अर्थ   ख
खरोंच लगना -शरीर स्वस्थ हो
खटमल देखना – जीवन में संघर्ष
खटमल मारना – कठिनाई से छुटकारा
खरबूजा देखना -सफलता मिले
ख़त पढ़ना – शुभ समाचार
खरगोश देखना – औरत से बेवफाई
खलिहान देखना – सम्मान बडे
खटाई खाना – धन हानि हो
खाली खाट देखना -बीमार पड़ने की सूचना
खाली बर्तन देखना – काम में हानि
खिलखिलाना – दुखद समाचार मिलने का संकेत
खिल्ली उडाना -लोगो से निराशा मिले
खिलौना देखना – आँखों को सुख मिले
खुजली होना – रोग से छुटकारा पाने का संकेत
ख़ुशी देखना – परेशानी बढे
खुशबू लगाना – सम्मान बढे
खून खराबा -सौभाग्य वृद्धि
खून देखना – धन मिले
खून की वर्षा देखना – देश में अकाल पड़े
खून में लोटना – धन-सम्पति प्राप्त होने का संकेत
खेल कूद में भाग लेना – भाग्यौनात्ति होना
खेत देखना -यात्रा हो , विद्या व् धन की वृद्धि
खेत काटते देखना – पत्नी से मन मुटाव होना
खोपडी देखना – बौधिक कार्यो में सफलता
10 स्वप्नों का अर्थ   ग
गधा देखना -प्यार मिले
गधा लदा हुआ देखना – व्यापार में लाभ हो
गधे की चीख सुनना – दुख हो
गधे की सवारी करना – शुभ समाचार मिले
गाय देखना – धन लाभ हो
गाय या बैल पीले रंग की देखना – महामारी आने के लक्षण
गरम पानी देखना – बुखार या अन्य बीमारी आये
गंजा सिर देखना – परीक्षा में पास हो, सम्मान बड़े
गली देखना – सुनसान गली देखने से लाभ , भीड़ वाली गली देखने से मृत्यु का समाचार
गवाही देना -अपराध में फंसना
गमला देखना – खाली देखने पर झंझट , फूल खिले देखने पर शुभ
गलीचा देखना या उस पर बैठना – शोक में शामिल होना
ग्वाला /ग्वालिन देखना – शुभ फल
गाजर देखना – फसल अच्छी हो
गाड़ी देखना – यात्रा सार्थक हो
गलिया देते देखना – बदनामी हो
गायत्री पाठ करना – दुर्लभ स्वप्न मान सम्मान बड़े
गिलास देखना – घरेलू खर्चो में कमी होगी
गिनती करना – काम में हानि
गिरगिट देखना – झगडे में फसने का संकेत
गिलहरी देखना – बहुत शुभ
गीदढ़ देखना – शत्रु से भय मिले
गीली वस्तु देखना – लम्बी बीमारी आने के संकेत
गीता देखना – दुर्लभ समय
गुलाब देखना – सम्मान में वृद्धि
गुढ खाना – सफलता मिले
गुडिया देखना – जल्दी विवाह का संकेत
गुठली खाना या फेंकना – काफी धन आने की सूचना
गेंहू देखना – काफी मेहनत कर के कमाई होना
गेंद देखना – परेशानी होना
गेंदे का फूल देखना – मानसिक अशांति
गेरुआ वस्त्र देखना – समय शुभ है
गीता – कष्ट दूर हो
ग्रन्थ साहिब – धार्मिक कार्यो में रूचि हो
11 स्वप्नों का अर्थ   घ
घडी देखना – यात्रा पर जानाधमाका सुनना – कष्ट बढे
घडी गुम हो जाना – यात्रा का कार्यकर्म स्थगित होना
घर देखना (सजा हुआ ) – संपत्ति में हानि
घर देखना (खंडहर ) – संपत्ति में लाभ
घर में किसी और का प्रवेश देखना – शत्रु पर विजय
घर में आग देखना – सरकार से लाभ हो
घर सोने का देखना – घर में आग लगने का संकेत
घर लोहे का देखना – मान सम्मान बढेगा
घडा भरा देखना – धन लाभ हो
घंटे की आवाज़ सुनना – चोरी होने का संकेत
घंटाघर देखना – अशुभ समाचार
घाट देखना – तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत
घायल देखना – संकट से छुटकारा
घास देखना – लाभ होगा
घी देखना – धन दौलत बढे
घुटने टेकना – वाद विवाद में सफलता मिले
घुंघरू की आवाज सुनना – मान सम्मान बढेगा
घूंघट देखना – नया व्यापार शुरू हो
घोड़ा सजा हुआ देखना – कार्य में हानि
घोड़ा काला देखना -मान सम्मान बढेगा
घोड़ा या हाथी पर चड़ना – उन्नत्ति हो

12 स्वप्नों का अर्थ   च
चलता पहिया देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
चप्पल पहनना – यात्रा पर जाना
चक्की देखना – मान सम्मान बढेगा
चमडा देखना – दुःख हो
चबूतरा देखना -मान सम्मान बढेगा
चट्टान देखना (काली ) – शुभ
चट्टान देखना (सफेद ) – अशुभ
चपत मारना – धन हानि हो
चपत खाना – शुभ फल की प्राप्ति
चरबी देखना – आग लगने का संकेत
चलना जमीन पर -नया रोजगार मिले
चलना पानी पर – कारोबार में हानि
चलना आसमान पर – बीमारी आने का संकेत
चन्द्र ग्रहण देखना – सभी कार्य बिगडे
चमगादर उड़ता देखना – लम्बी यात्रा हो
चमगादर लटका देखना – अशुभ संकेत
चम्मच देखना – नजदीकी व्यक्ति धोखा दे
चप्पल देखना – यात्रा पर जाना
चटनी खाना – दुखो में वृद्धि
चरखा चलाना – मशीनरी खराब हो
चश्मा खोना – चोरी के संकेत
चांदी के बर्तन में दूध पीना – संम्पत्ति में वृद्धि हो
चारपाई देखना – हानि हो
चादर शरीर पर लपेटना -गृह क्लेश बढे
चादर मैली देखना – धन लाभ हो
चादर समेट कर रखना – चोरी होने का संकेत
चंचल आँखे देखना – बीमारी आने की सूचना
चांदी का सामान देखना – गृह क्लेश बढे
चोकलेट खाना -अच्छा समय आने वाला है
चाय देखना – धन वृद्धि हो
चावल देखना – कठिनाई से धन मिले
चाकू देखना – अंत में विजय
चित्र देखना – पुराने मित्र से मिलन हो
चिडिया देखना – मेहमान आने का संकेत
चींटी देखना – धन लाभ हो
चींटिया बहुत अधिक देखना – परेशानी आये
चील देखना – बदनामी हो
चींटी मारना – तुंरत सफलता मिले
चुम्बन लेना – आर्थिक समृधि हो
चुम्बन देना – मित्रता बढे
चुटकी काटना – परिवार में कलेश
चुंगी देना – चलते काम में रूकावट
चुंगी लेना – आर्थिक लाभ
 चूल्हा देखना – उत्तम भोजन प्राप्त हो
चूरन खाना – बीमारी में लाभ
चेचक निकलना – धन की प्राप्ति
चोर पकड़ना – धन आने की सूचना
चोटी पर स्वयं को देखना – हानि हो
चोराहा देखना – यात्रा में सफलता
चौकीदार देखना – अचानक धन आये
चौथ का चाँद देखना – बहुत अशुभ
चुडैल देखना -धन हानि हो
चूहा देखना -औरत से धोखा
चूहा फंसा देखना – शरीर को कष्ट
चूहा चूहे दानी से निकलते देखना – कष्ट से मुक्ति
चूहा मरा देखना – धन लाभ
चूहा मारना – धन हानि
चूडिया तोड़ना – पति दीर्घायु हो (औरत के लिए
13 स्वप्नों का अर्थ   स
स्याही देखना – सरकार से सम्मान मिले
स्टोव जलाना – भोजन अच्छा मिले
संडास देखना – धन वृद्धि हो
संगीत देखना या सुनना – कष्ट बढे
संदूक देखना – पत्नी सेवा करे , अचानक धन मिले
सगाई देखना या उसमे शामिल होना -
सजा पाना – संकटों से छुटकारा मिलाना
सट्टा खेलना – धोखा होने का संकेत
सलाद खाते देखना – धन वृद्धि हो
सर्कस देखना – बहुत मेहनत करनी पड़े
सलाई देखना – मान सम्मान बढे
सरसों का साग खाना – बीमारी दूर हो
सरसों देखना – व्यापार में लाभ हो
ससुर देखना – शुभ समाचार मिले
सर कटा देखना – विदेश यात्रा हो
सर फटा देखना – कारोबार में हानि हो
सर मुंडाना – गृह कलेश में वृद्धि हो
सर के बाल झड़ते देखना – क़र्ज़ से मुक्ति मिले
ससुराल जाना – गृह कलेश में वृद्धि हो
समुद्र पार करना – उनत्ति मिले
साइकिल देखना -सफलता मिले
साइकिल चलाना – काम में तरक्की मिले
साइन बोर्ड देखना – व्यापार में लाभ हो
सावन देखना – जीवन में ख़ुशी मिले
साडी देखना – विवाह हो , दाम्पत्य जीवन में सुख मिले
सारस देखना – धन वृद्धि हो
साला या साली देखना – दाम्पत्य जीवन में सुख हो , मेहमान आये , धनवृद्धि हो
सागर सूखता देखना -बीमारी आये , अकाल पड़े
सारंगी बजाना – अपयश मिले , धन हानि हो
साग देखना – अचानक विवाद हो , सावधान रहे
साबुन देखना – स्वस्थ्य लाभ हो , बीमारी दूर हो
सांप मारना या पकड़ना – दुश्मन पर विजय हो , अचानक धन मिले
सांप से डर जाना -नजदीकी मित्र से विश्वासघात मिले
सांप से बातें करना -शत्रु से लाभ मिले
सांप नेवले की लडाई देखना – कोर्ट कचेहरी जाना पड़े
सांप के दांत देखना -नजदीकी रिश्तेदार हानि पहुंचाएंगे
सांप छत्त से गिरना – घर में बीमारी आये तथा कोर्ट कचहरी में हानि हो
सांप का मांस देखना या खाना – अपार धन आये परन्तु घर में धन रुके नहीं
सिपाही देखना – कानून के विपरीत काम कारनेका संकेत
सिनेमा देखना – समय व्यर्थ में नष्ट हो
सिगरेट पीते देखना -व्यर्थ में धन बर्बाद हो
सिलाई मशीन देखना – पति पत्नी में झगडा हो
सिलाई करना – बिगडा काम बन जाये
सियार देखना -धन हानि हो , बीमारी आये
सिन्दूर देखना – दुर्घटना की सम्भावना
सिन्दूर देवता पर चडाना – मनोकामना पूर्ण हो
सीताफल देखना -कुछ समय के बाद गरीबी दूर होगी
सीता जी को देखना -मान सम्मान बढे
सीमा पार करना -विदेश व्यापार में लाभ हो
सिप्पी देखना – उसे देखने पर हानि , उठाने पर लाभ
सीना चौडा होना – लोकप्रियता में वृद्धि हो
सीड़ी पर चढ़ना – काम में असफलता मिले
सुनहार देखना – साथी से धोखा मिले
सुटली कमर में बंधना -गरीबी आये , संघर्ष करना पढ़े
सुम्भा देखना (लोहे का)- कार्य में सफलता मिले , विवाह हो
सुदर्शन चक्र देखना – बईमानी का दंड शीघ्र मिले
सुपारी देखना -विवाह शीघ्र हो , मित्रों की संख्या में वृद्धि हो
सुनहरी रंग देखना – रुका हुआ धन मिले
सुरंग देखना या सुरंग में प्रवेश करना – नया कार्य आरंभ हो
सूई देखना – एक देखने पर सुख तथा अनेक देखने पर कष्ट में वृद्धि हो
सुलगती आग देखना – शोक समाचार मिले
सुन्दर स्त्री देखना – मान सम्मान में हानि हो
सुनहरी धूप देखना – सरकार से धन लाभ हो , मान सम्मान बढे
सुराही देखना – गृहस्थी में तनाव हो , पति या पत्नी का चरित्र ख़राब हो , रोग दूर हो
सुगंध महसूस करना – चमड़ी की बीमारी आये
सुनसान जगह देखना – बलवृद्धि हो
सूद लेते देखना – मुफ्त का धन मिले
सूद देते देखना -धन नाश हो , गरीबी आये
सूली पर चढ़ना – चिन्ताओ से मुक्ति हो , शुभ समाचार मिले
सूर्य देखना – धन संपत्ति तथा मान सम्मान बढे
सूर्य की तरह अपना चेहरा चमकता देखना – पुरस्कार मिले , मान सम्मान बढे
सूअर देखना – बुरे कामों में फँसना पड़े , बुरे लोगों से दोस्ती हो तथा मानहानि हो
सूअर का दूध पीना – चरित्र खराब हो , जेल जाना पढ़े
सूरजमुखी का फूल देखना – संकट आने की सूचना
सूर्य चन्द्र आदि का विनाश देखना – मृत्यु तुल्य कष्ट मिले
सेम की फली देखना – धन हानि हो परन्तु अच्छा भोजन मिले
सेब का फल देखना – दुःख व् सुख में बराबर वृद्धि हो
सेंध लगाना – प्रिये वस्तु गुम होना
सेवा करना – मेहनत का फल मिलेगा
सेवा करवाना – स्वस्थ्य खराब होने के लक्षण है
सेहरा बंधना – दाम्पत्य जीवन में कलेश की संभावना
सैनिक देखना – साहस में वृद्धि हो
सोंठ खाना – धन हानि हो , स्वस्थ्य में सुधार हो
सोना देखना – परिवार में बीमारी बढे , धन हानि हो
सोना मिलना – धन वृद्धि हो
सोना दुसरे को देना – अपनी मुर्खता से दूसरों को लाभ पहुंचाना
सोना लुटाना – परेशानिया बढे , अपमान सहना पढ़े
सोना गिरवी रखना – बईमानी करे और अपमान हो
सोते हुए शेर को देखना – निडरता से कार्य करे , सफलता मिलेगी
सोलह श्रृंगार देखना -स्वस्थ्य खराब होने का संकेत
स्वप्न में मानिक रत्न देखना – शक्ति तथा अधिकारों में वृद्धि
स्वप्न में मोती रत्न देखना – मानसिक शांति मिले
स्वप्न में मूंगा रत्न देखना – शत्रु पर विजय मिले
स्वप्न में पन्ना रत्न देखना – व्यवसाय में वृद्धि हो
स्वप्न में पुखराज रत्न देखना -वैर विरोध की भावना बढे
स्वप्न में हीरा रत्न देखना – आर्थिक प्रगति हो
स्वप्न में नीलम रत्न देखना – उन्नत्ति हो
स्वप्न में गोमेद रत्न देखना – समस्या अचानक आये
स्वप्न में लहसुनिया रत्न देखना – मान सम्मान बढे
स्वप्न में फेरोज़ा रत्न देखना – व्यवसाय में वृद्धि

सफेद चूडिया देखना – धन लाभ हो
14 स्वप्नों का अर्थ   छ
छत देखना -मकान बने
छड़ी देखना – संतान से लाभ हो
छतरी लगाकर चलना – मुसीबतों से छुटकारा मिलना
छत्र देखना – राज दरबार में सम्मान मिले
छलनी देखना – व्यापार में हानि
छल्ला पहनना – शिक्षा में वृद्धि
छलांग लगाना – असफलता हाथ लगे
छम छम की आवाज़ आये – मेहमान आये
छाज देखना – सम्मान बढे
छाछ पीना -धन लाभ हो
छापाखाना देखना – धन लाभ
छात्रो का समूह देखना – शिक्षा में लाभ
छिपकली देखना – दुश्मन से कष्ट
छींक आना – अशुभ लक्षण
छुआरा खाना – धन लाभ हो
छुरा देखना – दुश्मन से भय हो
छोटे बच्चे देखना – इच्छा पूरण हो
15 स्वप्नों का अर्थ   ज
जमघट देखना – कार्य की प्रशंषा मिलेगी
जयकार सुनना- संकट में पड़ना
जलना – मान सम्मान की प्राप्ति
ज्योतिष देखना – संतान को कष्ट
जटाधारी साधु देखना – शुभ लक्षण
जहाज देखना – दुर्घटना में फंसने का सूचक
खाली जंजीर देखना – इल्जाम लगेगा
स्वयं को जंजीर में जकडे देखना – समस्याओ से छुटकारा
जल देखना – संकट आएगा
जड़े देखना -शुभ स्वप्न
ज्वालामुखी देखना – स्थान परिवर्तन की पूर्व सूचना
जमीन खोदना – कठिनाई से लाभ हो
जंगल देखना – कष्ट दूर हो
जलेबी खाना – सुख सुविधाय बढे
जलता घर देखना -बीमारी परेशानी बढे
जलता मुर्दा देखना – शुभ समाचार
जादू देखना या करना -धन हानि
जाल देखना (मकडी का ) – शुभ लक्षण
जाल देखना ( मचली का ) -संकट का संकेत
जामुन खाना या देखना – यात्रा पर जाना पड़े
जलूस देखना -नौकरी में उनत्ति हो
जूए देखना या मारना – मानसिक चिंता
जूते से पीटना – मान सम्मान बढे
जूते से स्वयं पीटना – मान सम्मान मिलेगा
जेब खाली देखना -अशुभ है
जेब भरी देखना -खर्च अधिक होने का सूचक
जेल देखना – जग हँसी हो
जेल से छूटना – कार्य में सफलता
जोकर देखना – समय बर्बाद हो
16 स्वप्नों का अर्थ   झ
झगडा देखना -शुभ समाचार
झरना देखना (ठंडे पानी का ) – शुभ है
झरना देखना (गर्म पानी का ) – बीमारी आये
झंडा देखना सफेद या मंदिर का -शुभ समाचार
झंडा देखना हरा – यात्रा में कष्ट
झंडा देखना पीला – बीमारी आये
झाडू लगाना – घर में चोरी हो
झुनझुना देखना – परिवार में ख़ुशी हो
17 स्वप्नों का अर्थ   ट
टंकी खाली देखना – शुभ लक्षण
टंकी भरी देखना – अशुभ घटना का संकेत
टाई सफेद देखना – अशुभ
टाई रंगीन देखना – शुभ
टेलेफोन करना – मित्रो की संख्या में वृद्धि
टोकरी खाली देखना – शुभ लक्षण
टोकरी भरी देखना – अशुभ घटना का संकेत
टोपी उतारना – मान सम्मान बढे
टोपी सिर पर रखना – अपमान हो
18 स्वप्नों का अर्थ   ठ
ठण्ड में ठिठुरना – सुख मिले
19 स्वप्नों का अर्थ   ड
डंडा देखना – दुश्मन से सावधान रहे
डफली बजाना – घर में उत्सव की सूचना
डाक खाना देखना – बुरा समाचार मिले
डाकिया देखना – शुभ सूचना मिले
डॉक्टर देखना – निराशा मिले
डाकू देखना – धन वृद्धि हो
20 स्वप्नों का अर्थ   त
तरबूज देखना – धन लाभ
तराजू देखना – कार्य निष्पक्ष पूर्ण हो
तबला बजाना – जीवन सुखपूर्वक गुजरे
तकिया देखना – मान सम्मान बढे
तलवार देखना – शत्रु पर विजय
तपस्वी देखना -मन शांत हो
तला पकवान खाना – शुभ समाचार मिले
तलाक देना – धन वृद्धि हो
तमाचा मारना -शत्रु पर विजय
तराजू में तुलना – भयंकर बीमारी हो
तवा खाली देखना – अशुभ लक्षण
तवे पर रोटी सेकना – संपत्ति बढे
तहखाना देखना या उसमे प्रवेश करना – तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत
ताम्बा देखना – सरकार से लाभ मिले
तालाब में तैरना – स्वस्थ्य लाभ
ताला देखना -चलते काम में रूकावट
ताली देखना – बिगडे काम बनेगे
तांगा देखना – सुख मिले, सवारी का लाभ हो
ताबीज बांधना – काम में हानि हो
ताबीज़ देखना – शुभ समय का आगमन
ताश देखना – मित्र अथवा पडोसी से लडाई हो
तारा देखना – अशुभ
तितली देखना – विवाह हो या प्रेमिका मिले
तितली उड़ कर दूर जाना – दांपत्य जीवन में क्लेश हो
तिल देखना – कारोबार में लाभ
तिराहा देखना – लडाई झगडा हो
त्रिशूल देखना – अच्छा मार्ग दर्शन मिले
त्रिमूर्ति देखना – सरकारी नौकरी मिले
तितली पकड़ना – नई संतान हो
तिजोरी बंद करना – धन वृद्धि हो
तिजोरी टूटती देखना – कारोबार में बढोतरी
तिलक करना – व्यापार बढे
तूफान देखना या उसमे फँसना – संकट से छुटकारा मिले
तेल या तेली देखना – समस्या बढे
तोलना – महंगाई बढे
तोप देखना -शत्रु पर विजय
तोता देखना – ख़ुशी मिले
तोंद बढ़ी देखना – पेट में परेशानी हो
तोलिया देखना – स्वस्थ्य लाभ हो
21 स्वप्नों का अर्थ   थ
थप्पर खाना – कार्य में सफलता
थप्पर मारना – झगडे में फँसना
थक जाना – कार्य में सफलता मिले
थर थर कंपना -मान सम्मान बढे
थाली भरी देखना – अशुभ
थाली खाली देखना – सफलता मिले
थूकना – मान सम्मान बढे
थैली भरी देखना – जमीन जायदाद में वृद्धि
थैली खाली देखना – जमीन जायदाद में झगडा हो
22 स्वप्नों का अर्थ ध
धनिया हरा देखना – यात्रा पर जाना पढ़े
धतूरा खाना – संकट से बचना
धनुष देखना – सभी कर्मो में सफलता मिले
धब्बे देखना – शुभ संकेत
धरोहर लाना या देखना – व्यापार में हानि हों
धार्मिक आयोजना देखना – शुभ संकेत
धागा देखना – कार्य में वृद्धि हों
धुरी देखना – मान सम्मान में वृद्धि हों
धमाका होना – संकटों में वृद्धि हो
धार्मिक स्थल देखना -मंदिर – शुभ कार्य में धन लगे
धार्मिक स्थल देखना -गुरुद्वारा – ज्ञान की प्राप्ति हो
धार्मिक स्थल देखना -मस्जिद – समस्या का समाधान मिले
धार्मिक स्थल देखना -चर्च – मानसिक शांति बढे
धर्म ग्रन्थ देखने का फल – रामायण – संघर्ष के बाद सफलता मिले
धुआ देखना – कष्ट बढे , परेशानी में फंसना पढ़े
धुंध देखना – शुभ समाचार मिले
धुन सुनना – परेशानी बढे
धूमधाम देखना – परेशानी बढे
धूल देखना – यात्रा हों
धोबी देखना – काम में सफलता मिले
धोती देखना – यात्रा पर जाना पड़े

23 स्वप्नों का अर्थ   न
नल खुला देखना – काम शीघ्र होगा
नल बंद देखना – काम कठिनाई से होगा
नरक देखना- कठिनाइयाँ बढे
नगीना देखना – सरकार से लाभ हों , शुभ समाचार मिले
नगाडा देखना – धन लाभ , प्रसिधी मिले
नमाज़ पढ़ते देखना – कष्ट दूर हों , शान्ति मिलेगी
नमक खाना – झगडे में फँसना
नमक देखना – बीमारी दूर हों , व्यापार में लाभ हों
नमकदानी देखना – गृहस्थी का सुख मिले
नशे में स्वयं को देखना – धन वृद्धि हों परन्तु परिशानिया बढे
नरगिस का फूल देखना – पारिवारिक सुख मिले
नदी नाले में गिरते देखना – अनेक संकट आने का संकेत
नक्कता मनुष्य देखना – धन तथा मान सम्मान बढे
नक़ल करना – काम में असफलता मिले
नक़ल करते देखना – यात्रा में रुकावट , काम बिगडे
नक्शा बनाना – नई योजनाये शुरू हों
नकसीर बहना – दिमागी परेशानिया आये
नकाब लगाना – गंभीर बीमारी आये
नट देखना – पारिवारिक सुख शाति मिले
नसवार सूंघना – मानसिक परिशानिया बढे
नदी देखना – भविष्य सुखद हों
नदी में स्नान करना – काम में सफलता मिले
नदी में गिरना – संकट के बाद सुख मिले
नहर खोदना – कार्य सम्बन्धी योजनाये मिले
नंगा होना – विलासिता बढे
नदी , वृक्ष, या पर्वत देखना – दुःख दूर हो , धन मिले
नाटक देखना – भविष्य अनिश्चित हो
नाखून टूटना – सफलता देरी से मिले
नाक बहुत बड़ी देखना – मान सम्मान बढे , प्रमोशन हो
नाखून देखना – काम में परेशानी हो
नाक से खून बहना – धन में वृद्धि हो
नाटक देखना – गृहस्थी का सुख मिले
नाटक में भाग लेना – धोखा मिले
नारियल देखना – धन लाभ हो , अच्छा भोजन मिले
नाक पर चोट लगना -मान सम्मान में हानि हो
नासूर देखना – बीमारी से छुटकारा मिले
नापतोल करना – व्यापार में हानि हो
नाग के बिल में जाते देखना – धन संग्रह हो
नाग के बिल से बाहर निकलते देखना – धन हानि हो
नाग का डंग मारना – मान सम्मान बढे
नाग का घर में देखना – देखे गए स्थान की पवित्रता का संकेत
नाग उठाये देखना – - संपत्ति प्राप्त का संकेत
नाना नानी देखना – पारिवारिक सुख बढे
नाडा बंधना या टूटना – पारिवारिक कलेश बढे
नाला देखना – गहरा संकट आये
नाव देख्ना – गृहस्थी का सुख मिले
नाव में बैठना – अनेक संकट आये
नाई से हजामत बनवाना – धोखा मिले
नारियल देख्ना – शुभ संकेत , धार्मिक आयोजना हो
नाला देख्ना – कार्य में सफलता मिले
नारद देख्ना – धन लाभ परन्तु लड़ाई झगडा हो
नाभि देख्ना – प्रगति तथा धन लाभ हो
निरादर देख्ना – मान सम्मान बढे
निशाना लगाना – पुरानी इच्छा पूर्ण हो
नितम्ब देख्ना – गृहस्थी का सुख मिले
नीम का व्रक्ष देख्ना -बिमारी दूर होना
नीलम देख्ना -शुभ समाचार मिले , दुश्मन परस्त हो
नींद में सोना या नींद से उठाना – धन लाभ हो
नीलकंठ देख्ना – मान सम्मान बढे , विवाह हो
नींबू काटना या निचोड़ना – धार्मिक कार्य हो
नुकीली चीज़ से चोट लगना – वाद विवाद में फसना
नुकीला जूता देखना – मान सम्मान बढे
नेवला देखना – संकट समाप्त हो , स्वर्णाभूषण मिले
24 स्वप्नों का अर्थ   प
परी देखना – सफलता मिले , स्वस्थ्य लाभ हो , मान सम्मान में वृद्धि हो , धन बढे
पहाड़ देख्ना – शत्रु पर विजय हो
पम्प से पानी निकालना – व्यवसाय में रुकावट आये
प्रसाद बाँटना – रोग कम हो , समृध्धि बढे
पहाड़ पर चढ़ना – मान सम्मान तथा धन बढे
पहाड़ से उतरना -व्यापार में मंदा हो
परदेशी देखना – मनोकामना पूरण हो
पटका बांधना – मान सम्मान तथा धन बढे
पटाखा देखना – ख़ुशी मिले
पलंग देखना – अपमानित होना पड़े
पनघट सूना देखना – कही से निमंत्रण आये
पनघट पर भीड़ देखना – परिवार में उत्सव हो
परिवार देखना – शुभ फल मिले
पनीर खाना – धन वृद्धि हो
पपीता खाना – पेट खराब हो
पहरेदार देखना – चोरी की सम्भावना
पंजीरी खाना – बीमारी आने की सूचना
परछाई देखना अशुभ समाचार
पगड़ी देखना – धन हानि हो
पर्दा सफेद देखना – मान – सम्मान में हानि
पर्दा काला देखना – धन वृद्धि हो
पर्स देखना – गुप्त कार्य पूरा हो
पहिया देखना – प्रगति तेज हो
पंडाल देखना – किसी बड़े उत्सव में शामिल होना
पत्तल देखना या उसमें खाना -शुभ लक्षण
पत्थर देखना या मारना – सरकार से लाभ हो
पत्र लिखना – परेशानी हो
प्याज खाना या खिलाना – दुर्भाग्य पूर्ण घटना घटे
प्रशंसा सुनना – अशुभ संकेत
प्रसाद बाँटना – शुभ फल मिले
प्याऊ बनवाना – धन वृद्धि हो
परीक्षा में बैठना – कार्य में असफलता
पतंग उडाना – लम्बी यात्रा हो
पढ़ना या पढाना – काम में सफलता
पकवान खाना या बनाना – दुखो में वृद्धि हो
पहिया देखना – यात्रा सफल हो
पानी देखना – सुख समृधि बढे
पानी पीते देखना – धन वृद्धि हो
पोलिश करना -नौकरी में तरक्की हो
पान का वृक्ष देखना – संतान की समृधि हो
पागल देखना – शुभ कार्य में वृद्धि हो
पानदान देखना – मित्रता में वृद्धि हो
पाउडर लगाना – मान सम्मान बढे
पार्वती माता देखना – सुख समृधि बढे
पायल बजते देखना – स्त्री से वियोग हो
पारितोषिक मिलना – अपमानित होना पढ़े
पालकी पर बैठना – स्वस्थ्य खराब हो
पालना देखना – पारिवारिक सुख मिले
पालना झुलाना – संतान के लिए कष्ट बढे
पार्सल लेना – अचानक लाभ मिले
पाताल देखना – मान सम्मान बढे , प्रशंसा मिले
पाद मरना या अनुभव करना – व्यापार में लाभ हो व्यवसायिक यात्रा
पार करना (तैरकर) – मान सम्मान बढे
पिटारा देखना – धन लाभ हो
पिजरा देखना – स्वस्थ्य खराब हो
पिजरा खाली देखना – धन वृद्धि हो
पिजरे में पक्षी देखना – गृह कलेश हो
पीपल देखना – शुभ सन्देश मिले
पीला रंग देखना स्वास्थ्य खराब हो
पीठ देखना – मित्र से लाभ हो
पीतल के बर्तन देखना – धन लाभ हो , व्यापार बढे
पीली सरसों देखना – सब प्रकार से शुभ हो
पुस्तकालय देखना – समृधि बढे
पुस्तक खोना – मानहानि हो
पुस्तक मिलना – मान सम्मान में वृद्धि हो
पुजारी बनना – जीवन में उन्नति हो
पुडिया बंधना – शारीरिक कष्ट बढे
पुरस्कार मिलना – हानि हो
पुल पार करना – धन लाभ हो
पुल टूटते देखना – संकट से छुटकारा हो
पूजा पाठ करना – सुख शान्ति तथा समृद्धि की सूचना
पूर्वज देखना – शुभ स्वप्ना , समृद्धि बढे
पूजा या प्रार्थना करना – मानसिक शान्ति मिले
प्रेम प्रस्ताव रखना – विवाह में विलंभ हो
पेड़ पौधे देखना – कार्य में लाभ हो
पेटी खोलना – चोरी की संभावना
पेशाब करना – संकट दूर हो , धनप्राप्ति हो
पेढा खाना – मुह में रोग हो
पैर कटे देखना – शत्रु पर विजय हो
पैर खुजलाना – यात्रा शीघ्र हो
पैबंद लगाना – कष्ट के पूर्व सूचना
पैसा मिलना – मुफ्त का धन मिले
पेन पेंसिल देखना – परीक्षा में उत्तीरण हो
पोचा लगाना – स्थान परिवर्तन हो
पोशाक पहनना – बीमारी आने का संकेत
25 स्वप्नों का अर्थ   फ
फलाहार करना – सुख समृद्धि बढे
फटे कपडे देखना – धनहानि हो , चिंताए बढे
फ़कीर देखना – काम में सफलता मिले
फ़रिश्ता देखना – मनोकामना पूर्ण हो
फंदा लगाना या देखना – मुसीबतों से छुटकारा मिले
फफोला टूटना – मुसीबतें समाप्त हो
फवारा देखना – सभी मुसीबते दूर हो ,प्रसन्नता बढे
फाखता देखना – पत्नी की ओर से कष्ट मिले , मानसिक ग्लानी हो
फाटक देखना – मुकदमा समाप्त हो
फाटक पार करना -सफलता मिले
फिटकरी देखना – धन लाभ हो
फांसी लगाना – जीवन में दिशा परिवर्तन हो
फिरोजा रत्न देखना – शत्रुओं पर विजय हो
फूलवारी देखना – मनपसंद विवाह होना , ख़ुशी मिले
फुल्का खाते देखना – आर्थिक समृद्धि हो , परन्तु शोक समाचार मिले
फुलझडी छूटते देखना – विवाह में सम्मिलित हो
फुहार पढ़ते देखना – धन संमृद्धि बढे
फूलदान देखना – मान सम्मान बढे
फूटी आँख देखना – शारीरिक व् आर्थिक कष्ट बढे
फूंक मारना – सामाजिक कार्यो में मान सम्मान बढे
फूल खिलते देखना – प्रसन्नता बढे , संतान हो
फूल जलते देखना – प्रिय व्यक्ति की मृत्यु देखना
26 स्वप्नों का अर्थ   ब
बतक पानी में देखना – शुभ समाचार मिले
बतख ज़मीन पर देखना -धन हानि हो
बन्दर देखना – धन वृद्धि हो , अच्छा भोजन मिले
बटन लगाना – संकट आने की सूचना
बटन देखना – धन बढे
बरसात देखना शहर पर – खुशहाली बढे
बरसात देखना अपने घर पर – संकट आये
बरसात में छत्री लगाकर चलना – संकट दूर हो
बकरी चुराना या खोना – लडाई हो
बर्फ खाना – चिंताए दूर हो
बर्फ गिरते देखना – आर्थिक समृद्धि हो
बनिए को दरवाज़े पर देखना – क़र्ज़ बढे
बटुआ देखना – धन लाभ हो , रोग दूर हो
बनयान पेहेनना – धन बढे , सुख शान्ति मिले
बगुला देखना – सफ़ेद देखने पर लाभ , काला देखने पर हानि हो
बधाई का सन्देश मिलना – दुखद सूचना मिले
बछिया देखना – शुभ समाचार मिले
बाल गिरते देखना – आर्थिक कष्ट बढे
बाजू काटना – अपमानित होना पढ़े
बाजू पर चोट लगाना – माता पिता के लिए अनिष्टकारक
बाजू कटी देखना – शत्रु पर विजय मिले
बांस देखना – लगातार उन्नति हो
बाज़ देखना – दुर्घटना में फँसना पढ़े
बाज़ द्वारा झपट्टा मारना – पहाड़ से गिरने के लक्षण
बरात में जाना – अशुभ समाचार मिले
बाघ देखना – शत्रु पर विजय हो
बारहसिंघा देखना – दूर स्थान की यात्रा हो
बाढ़ देखना – संकटों से छुटकारा हो
बाढ़ में घिरना – वातावरण सुखद हो
बाढ़ में फंसे आदमियों को बचाना – गृह कलेश बढ़ना
बाढ़ के पानी में तैरना -व्यापार में सफलता मिले
बाढ़ में लोगों को डूबते देखना – लम्बी यात्रा हो
बादल बरसते देखना -पारिवारिक सुख शान्ति या समृद्धि
बादल से बिजली गिरते देखना -अशुभ समाचार मिले
बादल को छूना – धन वृद्धि हो
बाज़ार में स्वयं घूमना – अच्छे समाचार मिले
बाज़ार देखना – धन हानि हो , व्यापार में घाटा हो
बाजीगरी देखना – षडयंत्र में फसना पढ़े
बादाम खाना – स्वस्थ्य खराब हो , अस्पताल में भर्ती होना पढ़े
बादाम देखना – धन वृद्धि हो
बादशाह देखना – धन वृद्धि हो , मान सम्मान बढे
बाल कटे देखना सर के – क़र्ज़ से छुटकारा मिले
बाल काले देखना(अपने सर के) – अधिक धन मिले
बाल सफ़ेद देखना (अपने) – समाज में उच्च स्थान मिले
बाल कटे देखना – गृह कलेश बढे
बाल देखना (हथेली या तलुओं में) – क़र्ज़ में फसना पढ़े
बाल देखना (बगल के या नाभि के नीचे के) – अपमानित होना पढ़े
बातें बहुत करना – काम में वृद्धि हो , मान सम्मान बढे
बालू देखना – धन लाभ हो
बालू छानते देखना – आर्थिक परेशानी बढे
बिछु , सांप या भयानक जीव देखना – धन मिले
बौना देखना – शुभ समय नज़दीक है
बाइबल – ज्ञान में वृद्धि हो
27 स्वप्नों का अर्थ   भ
भण्डार देखना – काफी धन लाभ हो
भटठा देखना – भूमि तथा भवन में वृद्धि हो
भभूत लगाना – शीघ्र विवाह हो तथा गृहस्थी का सुख मिले
भाई देखना – भाई की आयु वृद्धि हो तथा ,रोग दूर हो
भाभी देखना – स्वयं को कष्ट मिले , भतीजा जन्मे
भागते देखना – कष्ट मिटे , अच्छा समय आने वाला है
भंग का नशा करना – अपमानित होना पढ़े
भांड देखना -लडाई झगडा अथवा वाद विवाद में फँसना पड़े
भाला लेकर चलना – शत्रु पर विजय हो
भाला मारना – अपमानित होना पढ़े
भाले के खेल का प्रदर्शन करना – संकट या दुर्घटना आये
भीड़ का छठा देखना – काफी लाभ मिले
भीड़ का काटना – दुःख आये
भिन्डी देखना – सुखो में वृद्धि हो , आलस्य बढे
भिखारी देखना – कार्य के अच्छे परिणाम मिले
भीगते देखना – सुख समृद्धि में वृद्धि हो
भीख मांगना या देना – पारिवारिक सुख – संपत्ति तथा समृद्धि बढे
भीड़ देखना या उसमे चलना – कार्य अधूरा हो
भीड़ को उग्र रूप में देखना – कार्य में सफलता मिले
भूचाल देखना – तबाही आये , जनता पर संकट पढ़े
भूसा देखना – पशुओं से लाभ मिले
भूमिगत स्वयं को देखना – भयंकर बीमारी आये या विपत्ति बढे
भेडिया देखना – विश्वाश घात हो खतरे की सूचना
भेड़ अकेली देखना – अशुभ हो
भेड़ो को समूह देखना – लाभ हो
भैंसा देखना – संघर्ष करने से सफलता मिलेगी
भैस देखना – अच्छा भोजन मिले
28 स्वप्नों का अर्थ   म
मछर देखना – अपमानित होना पड़े
मछली देखना – गृहस्थी का सुख मिले
मखी देखना – धन हानि हो
मकडी देखना – बहुत अधिक मेहनत करनी पड़े
मकान बनते देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
मलाई खाना – धन वृद्धि हो
मंदिर या मस्जिद देखना – खुशहाली बढे
मंदिर में पुजारी देखना – गृह कलेश बढे
मर जाना – धन वृद्धि हो
मखमल पर बैठना – लम्बी बीमारी आये
मगरमच देखना – शुभ समाचार मिले
मंत्री देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
माला ( पूजा वाली ) शुभ समय आने का संकेत
माला फूलों की पहनाना- मान सम्मान में वृद्धि हो
मातम करना – खुशहाली बढे
माली देखना – घर में समृधि बढे
मिर्च खाना – काम में सफलता मिले
मिर्गी से पीड़ित होना या देखना – बुद्दि तेज हो
मिठाई खाना या बाँटना – बिगडे काम बने
मीट खाना – मनोकामना पूरण हो
मुर्दा उठा कर ले जाते देखना – बिना कमाया माल मिले
मुर्दे को जिन्दा देखना – चिंता दूर हो
मुर्दा शारीर से आवाज़ आना – बना काम बिगड़ जाना
मुर्दों का समूह देखना – गलत सोसाइटी में काम करना पड़े
मुर्दे को नहलाना – धन वृद्धि हो
मुर्दे को कुछ देना – शुभ समाचार
मुर्दे के साथ खाना -अच्छा समय आये
मुर्गा देखना -विदेश व्यापार बढे
मुर्गी देखना -गृहस्थी का सुख मिले
मोहर लगाना – धन वृद्धि हो
मुरझाये फूल देखना – संतान को कष्ट हो
मुंडन कराना या होते देखना -गृहस्थी का तनाव दूर हो
मुहर्रम देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
मूंगा पहनना या देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
मूंग मसूर या मोठ देखना – अनेक परेशानी हो
मोची देखना -यात्रा लाभदायक हो
मोम देखना – झगडे या विवाद में समझोता हो
मोर नाचते देखना – शुभ समाचार मिले
मोर मोरनी देखना – दांपत्य सुख में वृद्धि हो
मोजा पहनना – पति पत्नी में प्रेम बड़े
मोमबत्ती देखना – विवाह हो
29 स्वप्नों का अर्थ   य
यन्त्र बनाना या देखना – अशुभ फल हो
यग करना या देखना – धन वृद्धि हो
यमराज देखना – बीमारी दूर हो
योजना बनाना -अशुभ फल
योगासन करना – शुभ फल
30 स्वप्नों का अर्थ   र
रजाई ओड़ना – धन मिले
रजाई नई बनवाना – स्थान परिवर्तन हो
रजाई फटी पुरानी देखना – शुभ कार्य के लिए निमंत्रण हो
रस्सी लपेटना – सफलता मिले
रथ देखना -यात्रा करनी पड़े
रसभरी खाना – विवाह हो
रसगुल्ला खाना – धन वृद्धि हो
रद्दी देखना – रुका हुआ धन मिले
रंग करना – सम्बंधित वास्तु की हानि हो
रक्षा करना – मान सम्मान में वृद्धि हो
रफू करना – नई वस्त्रो या आभूषनो की प्राप्ति हो
रक्षा बंधन देखना – धन वृद्धि हो
रसोई घर गन्दा देखना – अच्छा भोजन मिले
रसोई घर स्वछ देखना -धन का संकट आये
रास्ता देखना (साफ) -तरक्की मिले
रास्ता देखना (टेड़ा मेडा ) परेशानी हो
राख देखना – धन नाश हो
रॉकेट देखना – धन संपत्ति में वृद्धि हो
रात देखना -परेशानी आये
राइ देखना – काम में रूकावट आये
राक्षश देखना – संकट आये
रामलीला देखना – सुख सौभाग्य में वृद्धि
रिश्वत लेना – सावधान रहे
रिवाल्वर चलाना – शत्रुता समाप्त हो
रिक्शा देखना या उसमे बैठना – प्रसन्त्ता बढे
रेलवे स्टेशन देखना -लाभदायक यात्रा हो
रेल देखना – कष्ट दायक यात्रा हो
रेडियो बजता देखना – प्रगति में रूकावट हो
रेफ्रिजिरटर देखना – आर्थिक लाभ हो
रेगिस्तान देखना – धन सम्पदा में वृद्धि
रोजा रखना – आर्थिक संकट आने का संकेत
रोना – मान सम्मान में वृद्धि हो
रोशनदान से देखना – विदेश से धन की प्राप्ति हो
रोटी खाना या पकाना – बीमारी आने का संकेत
रोटी बाँटना – धन लाभ हो
रोटी फैंकना या गिरी हुई देखना – देश में मन न लगे , विदेश की यात्रा शीघ्र हो
31 स्वप्नों का अर्थ   ल
लंगर खाना या देखना -धन वृद्धि हो ,व्यवसाय में तेजी आये
लंगूर देखना -शुभ समाचार मिले
लंगोटी देखना -आर्थिक कठिनाईया बढे
लकीर खींचना -गृह कलेश बढे , अनावश्यक झगडे हो
लटकना या लटकते हुए देखना -सोचा हुआ काम शीघ्र बने , आर्थिक समृद्धि बढे
लड़का गोद में देखना (अपना) – धन वृद्धि हो , व्यवसाय में तेजी आये
लड़का गोद में देखना (अनजान) – परेशानी बढे ,घर में कलेश हो
लड़ना – विद्रोहियों के साथ – देश तथा समाज में अशांति फैले
लगाम देखना -मान सम्मान बढे , धन वृद्धि हो
लक्ष्मी का चित्र देखना -धन तथा सुख सौभाग्य की वृद्धि हो
लहसुन देखना – धन वृद्धि हो परन्तु अन्न व् सब्जी के व्यापार में हानि हो
लक्कड़ बाघ देखना – नयी मुसीबतें आने का संकेत
लपटें देखना (आग की ) – परिवार में शान्ति बढे , झगडा ख़तम हो
लाल आँखे देखना – शुभ फल की प्राप्ति
लालटेन जलना – चलते हुए काम में रोड़ा अटके
लालटेन बुझाना – अनेक समस्या स्वयं निपट जाये
लाट या मीनार देखना -आयु वृद्धि हो , सुख शान्ति बढे
लाठी देखना -सुख शांति में वृद्धि हो ,अच्छे सहयोगी मिले
लाल टीका देखना -सत्संग से लाभ हो, कामो में सफलता मिले
लाल वस्त्र दिखाई देना – धन नाश हो ,खतरा बढे
लाल आकाश में देखना -लडाई झगडा व् आतंक में वृद्धि ,धन तथा देश की हानि हो
लिबास (अपने कपडे)सफ़ेद देखना – सुख , शान्ति तथा समृद्धि में वृद्धि हो
लिबास हरा देखना – धन दौलत बढे , स्वस्थ्य अच्चा हो
लिबास पीला देखना -स्वस्थ्य में खराबी आये ,चोरी हो
लिबास मैला देखना -धन हानि हो ,खराब समय आने वाला है
लिफाफा खोलना -समाज में मानहानि हो , गुप्त बात सामने आये
लोहा देखना – काफी मेहनत करने के बाद सफलता मिले
लोहार देखना – मान सम्मान बढे , शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो
लोबिया खाना – धन तथा व्यवसाय में वृद्धि हो
लौकी देखना या खाना -शुभ समाचार मिले , धन वृद्धि हो ,नौकरी में पदोंनिती हो
32 स्वप्नों का अर्थ   व
वकील देखना – कठिनाई बढे , झगडा हो
वजीफा पाना -काम में असफलता मिले , धनहानि हो
वरमाला देखना या डालना -घर में कलेश हो मित्र से लडाई हो
वसीयत करना -भूमि सम्बन्धी विवाद हो , घर में तनाव बढे
वायदा करना – झूठ बोलने की आदत पढ़े
वाह वाह करके हसना -मान सम्मान का ध्यान रखे , शत्रु बदनाम करेंगे
वार्निश करना (घर की वस्तुओं पर)- परिवार पर संकट आये, स्वस्थ्य खराब हो
वाष्प उड़ते देखना – धनहानि हो , दुर्घटना तथा शारीरिक कष्ट हो
विदाई समारोह में भाग लेना – व्यापार में तेजी आये , धन वृद्धि हो
विमान देखना – धन हानि हो
विस्फोट देखना या सुनना – नया कारोबार शुरू हो , बड़े व्यक्तियों से मुलाकात हो
वीणा बजाना (स्वयं द्वारा) – धन धान्य तथा समृद्धि प्राप्त हो
वीणा बजाना – शोक समारोह में शामिल होना पड़े , (दूसरो द्वारा)मानसिक कष्ट हो
वृद्धा देखना – अशुभ समाचार मिले
33 स्वप्नों का अर्थ   श
शंख बजाना, देखना, सुनना – शुभ समाचार
शंकरजी को देखना – सुखो में वृद्धि
शरबत देखना – बीमारी दूर हो
शतरंज देखना – समय व्यर्थ में बर्बाद हो
शराब देखना – बिना कमाया धन मिले
शराब पीना – धन वृद्धि हो
शमा (दीपक )देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
शमा दान देखना – बीमारी दूर हो
शहद की मक्खी देखना – धन वृद्धि हो
शहद देखना – शुभ कार्यो में रूचि बढे
शरीफा खाना या देखना – स्वस्थ्य में लाभ हो
शहतूत देखना – अच्छा भोजन मिले
शहनाई बजाना या देखना – दुखद समाचार मिले
शमशान पर जाना – आयु वृद्धि हो
शहर को जाना – धन वृद्धि हो
शहर का विनाश देखना – अपना निवास स्थान खाली करना पड़े
शव के साथ चलना – भाग्य वृद्धि
शरीर की मालिश करना – रोग बढे
शमियाना देखना – धन वृद्धि हो
श्राद्ध करना – अच्छा समय आने की सूचना
शाल ओड़ना -अपयश मिले
शार्क मछली देखना – विदेश यात्रा हो
शिकार करना – परिवार पर संकट आये
शीशा देखना – लम्बी बीमारी आये
शीशा तोड़ना – परेशानी आये
शेर देखना – शत्रु पर विजय हो
शोक मगन होना – घर में उत्सव का आयोजन हो
34 स्वप्नों का अर्थ   श्र
श्रंगार करना – प्रेम प्रसंगों में वृद्धि हो
श्रंगार दान टूटना – दांपत्य जीवन में सुख व् सफलता मिले
35 स्वप्नों का अर्थ   ह
हड्डी देखना – शुभ समाचार मिले , स्वस्थ्य में लाभ
हरियाली देखना – मन प्रसन्न रहेगा
हल्दी की गाँठ देखना – आर्थिक प्रगति हो
हल्दी पीसी देखना – परेशानी आये हकीम देखना – बीमारी आये परन्तु ज्ञान भी बढे
हत्या होते देखना – दीर्घायु हो , दुश्मनों से सावधान रहे
हत्या करना – लडाई झगडा शान्ति हो
हरा रंग देखना – सुख शान्ति में वृद्धि हो
हथौडा देखना – सम्मान मिले परन्तु परिश्रम अधिक हो
हशीश पीते देखना – कष्टों में वृद्धि हो
हजामत बनते देखना – ठगे जाने की संभावना
हज करना – मनोकामना पूर्ण हो
हमला होना – दुर्घटना की पूर्व
हवा में उड़ते देखना – यात्रा में कष्ट आये
हवा तेजी से चलते देखना – दुखो में वृद्धि हो
हवा माध्यम चलते देखना -शत्रु हानि पहुंचाए
हथकडी देखना – परेशानियां बढे
हथेली देखना (पुरुष का) – शत्रुता बढे
हथेली देखना (स्त्री का ) – प्यार बढे
हवेली देखना – किसी नजदीकी व्य समाचार
हलवाई की दूकान देखना – इच्छाए बहुत बढे परन्तु अपूर्ण रहे
हवाई जहाज़ देखना – व्यापार में अधिक झूठ बोलना पढ़े , लाभ हो
हँसना – अकारण परेशानी बढे
हसती स्त्री देखना – गृह कलेश बढे
हसाना (दूसरों के द्वारा ) – मनोकामना पूर्ण हो
हसुली देखना – जीवन में आनंद बढे
हाथ देखना – अच्चे मित्रों से मुलाकात हो
हाथ कटा हुआ देखना – लडाई में हानि हो
हाथ पर चित्रकारी देखना – आजीविका के लिए संघर्ष करना पढ़े
हाथ धोना – काम अपूर्ण रहे , नाकामयाबी मिले
हाथ से आसमान छूना – मनोकामना पूर्ण हो , काम में तरक्की मिले
हाथ बंधे देखना – बुरे काम का बुरा नतीजा भुगतना पढ़े
हाथी देखना – संतान हो , नया कार्य शुरू हो
हाथी की सवारी करना – मान सम्मान बढे , सरकार से लाभ हो
हाथी मस्त देखना – धनवृद्धि हो
हिसाब किताब लगाना – अपव्यय हो , काम में सावधानी बरते
हिरन देखना – सफलता मिले , शीघ्र विवाह हो , धन लाभ हो
हिमपात देखना – बिगडे काम बने , काफी धन की प्राप्ति हो
हिमखंड देखना – किसी नजदीकी मित्र से धोखा मिलने की संभावना है
हीरा देखना – धन वृद्धि हो परन्तु संघर्ष अधिक हो
हुंकार सुनना – शत्रु से पराजय होना पड़े
हुक्का पीना या पिलाना – मित्रता बढे
हुक्का पीते देखना – व्यर्थ में समय खराब हो
हुकुम का इक्का देखना – चलते हुए काम में रुकावट आएगी , निराशा बढे
होटल देखना – काम में तंगी आये , धन की कमी हो





36 स्वप्नों का अर्थ   द
दरवाजा बंद देखना – चिंता बढे
दही देखना -धन लाभ हो
दलिया खाना या देखना – स्वस्थ्य कुछ समय के लिए ख़राब हो
दरार देखना – घर में फूट
दलदल देखना – काम में आलस्य हो
दरवाजा खोलना – नया कार्य शुरू हो
दरवाजा गिरना – अशुभ संकेत
दक्षिणा लेना या देना – व्यापार में घाटा
दमकल चलाना – धन वृद्धि हो
दर्पण देखना – मानसिक अशांति
दस्ताना पहनना – शुभ समाचार
दहेज़ लेना या देना – चोरी की सम्भावना
दरजी को काम करते देखना – कोर्ट से छुटकारा
दवा खाना या खिलाना – अच्छा मित्र मिले
दवा गिरना – बीमारी दूर हो
दांत टूटना – शुभ
दांत में दर्द देखना -नया कार्य शुरू हो
दाडी देखना – मानसिक परेशानी हो
दादा या दादी देखना जो मृत हो – मान सम्मान बढे
दान लेना – धन वृद्धि हो
दान देना – धन हानि हो
दाह क्रिया देखना – सोचा हुआ कार्य बनने के संकेत
दातुन करना -कष्ट मिटे
दाना डालना पक्षियो को – व्यापार में लाभ हो
दाग देखना – चोरी हो
दामाद देखना -पुत्री को कष्ट हो
दाल कपड़ो पर गिरना -शुभ लक्षण
दाल पीना – कार्य में रूकावट
दाढ़ी सफेद देखना – काम में रूकावट
दाढ़ी काली देखना – धन वृद्धि हो
दियासिलाई जलाना – दुश्मनी बढे
दीपक बुझा देना – नया कार्य शुरू हो
दीपक जलाना – अशुभ समाचार मिले
दीवाली देखना – व्यापार में घाटा हो
दीपक देखना – मान सम्मान बढे
दुल्हन देखना – सुख मिले
दुकान करना – मान सम्मान बढे
दुकान बेचना – मानहानि हो
दुकान खरीदना – धन का लाभ होना
दुकान बंद होना – कष्टों में वृद्धि हो
दुपट्टा देखना – स्वस्थ्य में सुधार हों
दूल्हा /दुल्हन बनना – मानहानि हों
दूल्हा /दुल्हन बारात सहित देखना -बीमारी आये
दूरबीन देखना – मान सम्मान में हानि हों
दूध देखना – आर्थिक लाभ मिले
दुकान पर बैठना – प्रतिष्ट बढे,धन लाभ हों
देवता से मंत्र प्राप्त होना – नए कार्य में सफलता
देवी देवता देखना – सुख संपत्ति की वृद्धि होना
दोना देखना – धन संपत्ति प्राप्त होना
दोमुहा सांप देखना – दुर्घटना हों, मित्र द्वारा विश्वासघात मिले
दौड़ना – कार्य में असफलता हों
देवी देवता देखना – कृष्ण – प्रेम संबंधो में वृद्धि
देवी देवता देखना – राम – सफलता मिले
देवी देवता देखना – शिव – मानसिक शांति बढे
देवी देवता देखना – विष्णु – सफलता मिले
देवी देवता देखना – ब्रह्मा – अच्छा समय आने वाला है
देवी देवता देखना – हनुमान -शत्रु का नाश हो
देवी देवता देखना – दुर्गा – रोग दूर हो
देवी देवता देखना – सीता – पहले कष्ट मिले फिर समृधि हो
देवी देवता देखना – राधा – शारीरिक सुख मिले
देवी देवता देखना – लक्ष्मी – धन धन्य की प्राप्ति हो
देवी देवता देखना – सरस्वती -भविष्य सुखद हो
देवी देवता देखना – पार्वती – सफलता मिले
देवी देवता देखना – नारद -दूर से शुभ समाचार मिले
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