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मंगलवार, 13 सितंबर 2016

2:29:00 pm

Fact of Alice


तो इंसानों की नहीं, एलियनों की धरती थी ये!

आदिकाल से ही इस धरती पर रहने वाले लोगों की दिलचस्पी हमेशा ये जानने में रही है कि इस लोक के अलावा क्या कोई दूसरा लोक भी है जहां कोई जीव रहते हैं

विज्ञान को या वैज्ञानिकों को आज तक ऐसे कोई पक्के सुबूत नहीं मिले हैं जिन्हें देखकर ये दावा किया जा सके कि एलियनों का अस्तित्व वाकई में है। दावे प्रतिदावे तरह तरह के रहे हैं। कभी किसी अज्ञात उड़न तश्तरी देखने का दावा तो कभी धरती पर किसी हलचल का दावा।
 
लेकिन, विभिन्न तरह के साक्ष्य और भी हैं जो संकेत देते हैं कि हो सकता है कि एलियन होते ही हों और वो आज भी धरती पर आते हों और फिर चले जाते हों।

क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर ऐसे कई निशान और सुराग मिले हैं जो ना सिर्फ बहुत पुराने हैं बल्कि वो इतने सटीक हैं कि ये सोचना मुश्किल है कि उस काल में रह रहे लोगों ने उन्हें बनाया होगा। इस कड़ी में स्टोनहेंज के रहस्य से लेकर नैजका लाइन्स की सत्यता तक सब कुछ शामिल है।

जानबूझकर इंसानों से परहेज कर रहे हैं एलियंस


ब्रह्मांड में अगर कहीं एलियंस का आस्तित्व है तो वे अब तक इंसानों तक पहुंच गए होते लेकिन वे जानबूझकर हमसे परहेज कर रहे हैं।

वाशिंगटन: ब्रह्मांड में अगर कहीं एलियंस का आस्तित्व है तो वे अब तक इंसानों तक पहुंच गए होते लेकिन वे जानबूझकर हमसे परहेज कर रहे हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने एक समाज के अपने संसाधनों का उपयोग कर दूसरी दुनिया में जाने के लिए लगने वाले समय की गणना की है। उन्होंने पाया कि आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों के परग्रही जीवों की सभ्यता के पास धरती तक पहुंचने के लिए पर्याप्त से ज्यादा समय था।

डिस्कवरी न्यूज ने अध्ययन दल के अगुवा और गणितज्ञ थॉमस हेयर के हवाले से बताया, ‘...या तो हम अकेले हैं या फिर उन्होंने हमें अकेला छोड़ रखा है।’ प्रकाश एक सेकंड में 1,86,000 मील की दूरी तय करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हमारी आकाशगंगा के सबसे पुराने तारे की सभ्यता से शुरुआत की जाए तो भी उनके पास हम तक पहुंचने के लिए काफी समय था।

हेयर ने कहा, ‘... तो आखिर वे हैं कहां? या तो वे हमारे पास से गुजर चुके होंगे या फिर वे अपने ग्रह और सौर व्यवस्था में सिमटे हैं।’


2:17:00 pm

ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करें मिलेगी सरकारी नौकरी

ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करें मिलेगी सरकारी नौकरी

ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करोगे तो सरकारी नौकरी मिलेगी ये हम नहीं सरकार कह रही है। एक ऐसा देश है जहां की सरकार ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए कहा है और ऑफर..
दक्षिण कोरिया की सरकार ने लोगों को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के कई उपायों का एलान किया है। देश में गिरते जन्म दर से सरकार चिंतित है।
कोरियन हेराल्ड अखबार के मुताबिक प्रजनन संबंधी समस्या के इलाज के लिए सरकार आर्थिक मदद करेगी।सरकारी मदद सितंबर के महीने से मिलना शुरू होगी और इसके दायरे में सभी आय वर्ग के लोग आएंगे। अब तक सरकारी मदद केवल कम आय वाले दम्पति तक ही सीमित थी।
लेकिन इस बदलाव के बाद अब इलाज के लिए हर कोई कम से कम क़रीब 60 हजार रुपये पाने का हकदार होगा।
1960 के दशक के बाद से दक्षिण कोरिया में जन्म दर में तेजी से गिरवाट दर्ज की गई है। हाल के वर्षों में सरकार ने करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं लेकिन इसके बावजूद कोई खास फर्क नहीं पड़ा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री जंग चिन यू का कहना है कि जन्म दर में गिरावट को रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जानी चाहिए। इसके अलावा प्रजनन संबंधी उपचार करा रहे लोगों को अगले साल जुलाई से तीन दिन की अवैतनिक छुट्टी की गारंटी दी गई है।
दूसरा बच्चे के जन्म पर पिताओं को पितृत्व अवकाश भुगतान बढ़ाने का भी एलान किया गया है। अखबार के मुताबिक तीन या ज्यादा बच्चों वाले घरों को सार्वजनिक शिशु देखभाल की सुविधाओं में प्राथमिकता दी जाएगी।
कोरिया टाइम्स के मुताबिक इस साल के पहले पांच महीनों में पिछले साल के इन्हीं महीनों की तुलना में जन्म दर 5.3 फ़ीसदी की कमी आई है। वहीं आलोचकों का कहना है कि समस्या पैसों की नहीं बल्कि दक्षिण कोरिया की कॉर्पोरेट संस्कृति की है, जिसमें कर्मचारियों से घंटों काम करने की उम्मीद की जाती इस वजह से लोगों को लगता है कि वे बच्चों की देखभाल के लिए समय नहीं निकाल पाएंगे।

2:15:00 pm

गाड़ी में चलते हो तो सीट बेल्ट लगाते ही होगे, इसका आविष्कार किसने किया ये पता नहीं होगा

गाड़ी में चलते हो तो सीट बेल्ट लगाते ही होगे, इसका आविष्कार किसने किया ये पता नहीं होगा


गाड़ी में सभी बैठे होंगे सीट बेल्ट भी देखी होगी अरे वही जो सीट के साथ जुड़ी होती है उसके साथ खींचातानी भी की ही होगी। ईमानदार लोगों ने तो सीट बेल्ट लगाई भी होगी लेकिन इसे बनाया...
जब भी बात ड्राइविंग के दौरान सुरक्षा की आती है तो हमारे दिमाग में सबसे पहला ख्याल आता है सीट बेल्ट का। जिसका उपयोग आम तौर पर कार चलाने वाला ही करता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि सीट बेल्ट का आविष्कार किसने किया था या फिर यह कहें कि इस सीट बेल्ट को किसने बनाया था? सीट बेल्ट कोई नया आविष्कार नहीं है। 19वीं सदी में ही इसका आविष्कार हो गया था। आइये मिलते हैं उनसे जिसने इसे बनाया।
आपको बता दें कि सीट बेल्ट का आविष्कार 19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश इंजीनियर के द्वारा किया गया था उनका नाम था ‘जॉर्ज केली’ उन्होंने एडवर्ड जे ब्लॉगहोम के साथ मिलकर सीट बेल्ट का आविष्कार किया था। सबसे पहले इस सीट बेल्ट का इस्तेमाल ‘Nash’ और ‘Ford’ कंपनी ने शुरु किया था।
19वीं सदी में सीट बेल्ट कुछ अलग प्रकार की हुआ करती थी। यह सीट बेल्ट 3 पॉइंट सीट बेल्ट कहलाती थी। जो सीट बेल्ट आप आज के समय में देखते हैं वह सीट बेल्ट न्यूज़ बर्लिन नाम के इंजीनियर ने बनाई है।
तो भैया सीट बेल्ट 19वीं सदी का ही आविष्कार है फिर भी आप बिना पहने ही गाड़ी चलाते हैं और गाड़ी में जो बैठा रहता है वो भी सीट बेल्ट पर ध्यान नहीं देता है। अब इस जानकारी के बाद बिना सीट बेल्ट के गाड़ी मत चलाना क्योंकि इसे सोच समझकर ही बनाया गया है।

2:11:00 pm

एक उल्टी ने बाप-बेटे को बना दिया मालामाल!

एक उल्टी ने बाप-बेटे को बना दिया मालामाल!


आम इंसान को किसी की उल्टी को देखकर ही घिन लग जाती है लेकिन इस घिन से जो पार पा जाता है वो मालामाल बन जाता है ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसने बाप-बेटे को मालामाल बना दिया...
क्या कभी आपने सोचा है कि उल्टी जैसी गन्दी चीज़ भी कभी किसी को मालामाल बना सकती है। ज़ाहिर है आप सोच रहे होंगे कि क्या फालतू की बात है। लेकिन सच मानिये ये हकीकत है।
यूनाइटेड किंगडम के वेस्टन सुपर फेयर में एक ऐसा अजीबो-गरीब वाकया सामने आया है जिसने वास्तव में किसी को यकीन नहीं करते हुए भी यकीन करने का अहसास करा दिया है। यानी कि हर कोई इस बात से हैरान हो रहा है कि ऐसा भी कुछ कमाल का वास्तव में हो सकता है।

जी हां, समुद्र की एक व्हेल की उल्टी ने यहां रहने वाले पिता-पुत्र को रातोरात मालामाल बना दिया है। दरअसल, 67 साल के एलेन डेरिक और 39 साल के उनके बेटे टॉम एक दिन बीच पर वॉल्क कर रहे थे। समुद्र के किनारे वॉल्क करने के दौरान उन्हें एक जगह पर आकर अजीब सी गंध आई।
इधर-उधर देखने पर उनको एक अजीब सी दिखने वाली वस्तु दिखी। इस वस्तु की उन्होंने जांच की तो उनको पता चला कि ये एम्बरग्रीस है जो की व्हेल की उल्टी से निकला है।
एंबरग्रीस मोम के जैसा एक पदार्थ होता है जिसका इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है। ये काफी दुलर्भ पदार्थ होता है जो 6 से 8 इंच का होता है और छोर पर आने ये पहले कई साल तक समुद्र में ही तैरता रहता है। नमक और सूर्य की किरणों में आकर ये मोम जैसे दिखने लगता है।
इसकी पुख्ता जांच के लिए उन्होंने इस पदार्थ के सैंपल इटली, न्यूजीलैंड और फ्रांस में भेज दिया है। अभी यहां से रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन उन्होंने इसको ऑनलाइन साइट पर 65 हज़ार डॉलर में बेचने के लिए ड़ाल दिया है।

2:08:00 pm

112 साल से बन रहा ये मंदिर आज भी है अधूरा, खर्च हो चुके हैं 400 करोड़ रुपये

112 साल से बन रहा ये मंदिर आज भी है अधूरा, खर्च हो चुके हैं 400 करोड़ रुपये

देश में एक ऐसा मंदिर है जो 112 सालों से बन रहा है लेकिन अभी तक बनकर तैयार नहीं हो पाया है। इसके पीछे कई लोगों का कहना है कि इस मंदिर को श्राप मिला है तो कई लोग अपनी ही बात कर रहे..

ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर होगा, जिसे बनाने में मजदूरों की 4 पीढ़ी गुजर गई। कई तथ्यों में यह ताजमहल को भी पीछे छोड़ रहा है। बताया जा रहा है कि 112 साल से बन रहे इस मंदिर में अभी तक 400 करोड़ का खर्चा आ चुका है।

राधास्वामी मत के प्रथम गुरु पूरन धानी माहाराज की समाधि और मंदिर ताज महल के सामने दयालबाग में बनाया जा रहा है। विश्व में इस विचारधारा का पालन करने वाले 2 करोड़ से भी अधिक लोग हैं। मंदिर और समाधि स्थल, ताज की तरह ही 52 कुओं की नींव पर बना हुआ है।

करीब 50 से 60 फीट गहराई तक पत्थरों को जमीन के अंदर डालकर उसके ऊपर पिलर लगाया गया है। इन पिलरों के ऊपर बन रहे गुंबद को इस तरह बनाया जा रहा है कि भूकंप या तूफान का असर इन पर न पड़े।

मंदिर का निर्माण 1904 में शुरू हुआ था। अब तक 112 साल बीत चुके हैं। अभी इसे बनकर पूरा होने में 10 साल और लग सकते हैं। मंदिर का नक्शा करीब 100 साल पहले इटली की एक कंपनी ने बनाया था। नक्शे में हर एक चीज तय है। जैसे, किस जगह कौन-सा पेड़ लगेगा।

112 साल से करीब 200 मजदूर लगातार इस मंदिर को बना रहे हैं। अब मजदूरों की चौथी पीढ़ी यहां काम कर रही है। हां आने वाले श्रद्धालुओं से कोई दान भी नहीं लिया जाता। पदाधिकारियों ने स्वीकार किया है कि करीब 7 करोड़ रुपए सालाना खर्च हो रहे हैं।

अब तक करीब 400 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसे बनाने में किसी तरह की सरकारी या गैर सरकारी मदद नहीं ली गई है। सिर्फ राधास्वामी मत के अनुयायी ही अपने पैसे से इसका निर्माण करवा रहे हैं।
2:06:00 pm

112 साल कि महिला रोज पीती है 30 सिगरेट

112 साल कि महिला रोज पीती है 30 सिगरेट

नेपाल में रहने वाली 112 वर्षीय बुजुर्ग महिला बतुली लेमिचेन पिछले 95 साल से हर रोज 30 सिगरेट पीती है। बतुली ने 17 साल की उम्र से सिगरेट पीना शुरु कर दिया था।

नेपाल में रहने वाली 112 वर्षीय बुजुर्ग महिला बतुली लेमिचेन पिछले 95 साल से हर रोज 30 सिगरेट पीती है। बतुली ने 17 साल की उम्र से सिगरेट पीना शुरु कर दिया था।

बतुली का सबसे बड़ा बेटा 85 साल का है जब कि चार अन्य इस दुनिया में नहीं रहे। उनके पति 80 साल पहले काम की तलाश में उन्हें अकेला छोड़कर भारत आ गए थे। बतुली बताती हैं कि सिगरेट के धुंए में मौजूद निकोटीन को कम करने के लिए उनकी अपनी तकनीक है। वो सिगरेट को 2 उंगलियों के बीच रखने की बजाय वो अपनी पूरी हथेली में लपेटकर पीतीं हैं। वो बाजार में मिलने वाली सिगरेट के बजाय तेंदू पत्ते से बनने वाली बीड़ी पीने की सलाह देती हैं।

इतनी उम्र के बावजूद बतुली अपना लगभग हर काम खुद ही करती हैं। पिछले साल नेपाल में आए भूकंप में उनका घर तबाह हो गया था लेकिन उन्होंने अपने रिश्तेदारों के यहां रहने के बजाय एकमंदिर को अपना घर बना लिया।
2:04:00 pm

मंदिर बनाने के लिए ‘टाइगर’ ढ़ोता है ईंटें

मंदिर बनाने के लिए ‘टाइगर’ ढ़ोता है ईंटें

अगर धार्मिक स्थलों के निर्माण की बात हो तो देखा जाता है कि लोग स्वयं नि:स्वार्थ भाव से अपनी सेवा देने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन ऐसा सिर्फ इंसान नहीं करते। हरियाणा के बजीदा रोड़ान गांव का यह कुत्ता 'टाइगरÓ रोज ग्रामीणों को मंदिर में ईंट ढ़ोते देखता

अगर धार्मिक स्थलों के निर्माण की बात हो तो देखा जाता है कि लोग स्वयं नि:स्वार्थ भाव से अपनी सेवा देने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन ऐसा सिर्फ इंसान नहीं करते। हरियाणा के बजीदा रोड़ान गांव का यह कुत्ता 'टाइगरÓ रोज ग्रामीणों को मंदिर में ईंट ढ़ोते देखता था। एक दिन वह अचानक बच्चों की भीड़ में शामिल हो मुंह से ईंटें ढ़ोने लगा। लोग कुत्ते को ऐसा करते देख हतप्रभ थे। इसके बाद हर दिन वो ग्रामीणों की भीड़ में शामिल हो मंदिर-निर्माण के लिए ईंटें ढ़ोने लगा।

हालांकि इस कार्य के दौरान उसने अपने कुछ दांत भी गंवाए। शुरू के पंद्रह दिनों में उसके दो दांत टूट कर गिर गए। इससे टाइगर बीमार पड़ गया। उसे चिकित्सक के पास ले जाया गया। बीमारी के कारण कई दिनों तक वो वहां नहीं आया। लेकिन अचानक कुछ दिनों बाद उसका मालिक उसे वहां ले आया। फिर क्या था, उसने ईंटें मुंह में दबा ली और ग्रामीणों के काम में साथ देने लगा। कुछ ही दिनों में टाइगर इस कार्य का इतना अभ्यस्त हो गया कि वो रोजाना पचहत्तर से सौ ईंटें ढ़ोने लगा। जब भी वह थक जाता तो पेड़ के नीच छांव में बैठकर सुस्ता लेता।
2:01:00 pm

इस मंदिर में भजन नही गूंजता है कुछ और...

इस मंदिर में भजन नही गूंजता है कुछ और...

आमतौर पर मंदिरों में भजन और आरती की आवाज लाउडस्पीकर से गूंजती रहती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में एक अनोखा मंदिर है। यहां के लाउडस्पीकर में आरती नही बल्कि रेलवे की जानकारी गूंजती रहती है।

आमतौर पर मंदिरों में भजन और आरती की आवाज लाउडस्पीकर से गूंजती रहती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में एक अनोखा मंदिर है। यहां के लाउडस्पीकर में आरती नही बल्कि रेलवे की जानकारी गूंजती रहती है।

रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी राज नारायण मिश्रा 28 वर्र्षों से लोगों को रेलवे की जानकारी दे रहे हैं। रेलवे की जानकारी देने के लिए अब राज नारायण व्हाट्सऐप का भी प्रयोग कर रहे हैं। अपनी इसी सेवा के लिए मशहूर राज नारायण जी को लोग अब 'टे्रन वाले बाबा जी' के नाम से जानते हैं।

दरअसल राज नारायण मिश्रा अपने गांव के लोगों के लिए फ्री में रेलवे सूचना केंद्र चलाते हैं। वह मंदिर के लाउडस्पीकर से ट्रेन के समय और बाकी सूचनाओं के बारे में जानकारी देकर सुबह समय पर उठने और ट्रेन पकडऩे के लिए वक्त पर रेलवे स्टेशन निकलने में ग्रामीणों की मदद करते हैं। रिटायर होने से पहले मिश्रा गणेश शंकर विधार्थी मैमोरियल मेडिकल कॉलेज की लैबोरेट्री में असिस्टेंट के तौर पर कार्यरत थे।

स्थानीय स्कूल टीचर का कहना है कि इस गांव के लोग रोज सुबह मिश्रा की आवाज सुनने के बाद ही उठते हैं। मिश्रा एक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर ट्रेन के आने-जाने और बाकी जरूरी जानकारियां लोगों को देते हैं।

1:58:00 pm

7 लाख रुपए में बिका लादेन का पुतला

7 लाख रुपए में बिका लादेन का पुतला


दुनियाभर में आतंक और नफरत के प्रतीक के रूप में जाना जाने वाला ओसामा बिन लादेन का एक पुतला 7 लाख रूपए से अधिक में नीलाम हुआ। इस पुतले को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा तैयार करवाया गया था और इसमें ओसामा बिन लादेन को एक शैतान के रुप

दुनियाभर में आतंक और नफरत के प्रतीक के रूप में जाना जाने वाला ओसामा बिन लादेन का एक पुतला 7 लाख रूपए से अधिक में नीलाम हुआ। इस पुतले को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा तैयार करवाया गया था और इसमें ओसामा बिन लादेन को एक शैतान के रुप में दिखाया गया है।

यह पुतला सीआईए ने 2005 में बनवाया था जिसकी नकल सारे अफगानिस्तान में बांटी जानी थी। इसका मकसद लादेन के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाकर अफगानिस्तान के बच्चे और उनके माता-पिता को लादेन और उसके संगठन अल-कायदा का समर्थन करने से रोकना था।

12 इंच लंबे इस पुतले का कोड नेम 'डेवील आईÓ रखा गया था। इसमें ओसामा का चेहरा लाल और काले रंग से रंगा गया है जबकी आंखें हरे रंग की हैं जो बेहद डरावनी लगती हैं। इस पुतले के लिए सबसे बड़ी बोली 11,879 डॉलर की रही जो इसके 2,500 डॉलर के बेस प्राइज से लगभग चारगुना अधिक है। अभी तक इस पुतले को जीतने वाले की पहचान सामने नहीं आई है।

इस पुतले को डोनाल्ड लेवाईन ने डिजाइन किया था जिन्हें हैसब्रो कंपनी के लिए 'जीआई जोÓ का खिलौना डिजाइन करने के लिए जाना जाता है। इस वर्ष मई में डोनाल्ड की मृत्यु हो गई थी।
1:54:00 pm

शेर और चीते भी घबराते हैं इस लड़की से

शेर और चीते भी घबराते हैं इस लड़की से

शेर और चीते को देख तो अच्छे-अच्छे के पसीने छूट जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बता रहे हैं जो चीते और शेर के साथ बेखौफ हो घूमती है।
शेर और चीते को देख तो अच्छे-अच्छे के पसीने छूट जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बता रहे हैं जो चीते और शेर के साथ बेखौफ हो घूमती है।
जी हां, नामिबिया की बुश गर्ल के नाम से मशहूर ये लड़की शेर और चीते से जरा भी नही घबराती।

बुशमैन समुदाय के करीब रहने के कारण इसको बुश गर्ल का नाम दिया गया।
नामीबिया की मशहूर संरक्षणवादी व टीवी कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता मर्लीसी करीब पिछले 30 वर्र्षों से इन वन्यजीवों के बीच है। दरअसल नामीबिया के नेशनल पाकों के बीच उसके पिता का फार्म हाउस है और वहां 9 से ज्यादा जंगली चीते हैं मर्लीसी बिना डरे अपनी मोटरबाइक पर सवार हो इन चीतों के बीच चली जाती है और चीतें जैसे ही उस पर हमला करने की सोचते हैं वैसे ही मर्लीसी जब उनके करीब जाती है तो वो डर कर भाग जाते है। सोशल साइटस पर भी इसकी बहादुरी के कई वीडियो वायरल हो चुके है।

1:53:00 pm

शेर और चीते भी घबराते हैं इस लड़की से

शेर और चीते भी घबराते हैं इस लड़की से

शेर और चीते को देख तो अच्छे-अच्छे के पसीने छूट जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बता रहे हैं जो चीते और शेर के साथ बेखौफ हो घूमती है।
शेर और चीते को देख तो अच्छे-अच्छे के पसीने छूट जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बता रहे हैं जो चीते और शेर के साथ बेखौफ हो घूमती है।
जी हां, नामिबिया की बुश गर्ल के नाम से मशहूर ये लड़की शेर और चीते से जरा भी नही घबराती।

बुशमैन समुदाय के करीब रहने के कारण इसको बुश गर्ल का नाम दिया गया।
नामीबिया की मशहूर संरक्षणवादी व टीवी कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता मर्लीसी करीब पिछले 30 वर्र्षों से इन वन्यजीवों के बीच है। दरअसल नामीबिया के नेशनल पाकों के बीच उसके पिता का फार्म हाउस है और वहां 9 से ज्यादा जंगली चीते हैं मर्लीसी बिना डरे अपनी मोटरबाइक पर सवार हो इन चीतों के बीच चली जाती है और चीतें जैसे ही उस पर हमला करने की सोचते हैं वैसे ही मर्लीसी जब उनके करीब जाती है तो वो डर कर भाग जाते है। सोशल साइटस पर भी इसकी बहादुरी के कई वीडियो वायरल हो चुके है।

1:48:00 pm

ईरान में अगर कुत्ता पाला तो खैर नहीं!!!

ईरान में अगर कुत्ता पाला तो खैर नहीं!!!

ईरान में अगर अब कुत्ता पाला और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर घुमाया तो खैर नहीं। नये कानून के तहत नियम तोडऩे पर 74 कोड़े खान पड़ेंगे और 3700 डॉलर का जुर्माना भी देना पड़ेगा। इस्लाम धर्म में कुत्तों को गंदा माना जाता है और इसलिए ईरान में कुत्तों को पालने
ईरान में अगर अब कुत्ता पाला और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर घुमाया तो खैर नहीं। नये कानून के तहत नियम तोडऩे पर 74 कोड़े खान पड़ेंगे और 3700 डॉलर का जुर्माना भी देना पड़ेगा।
इस्लाम धर्म में कुत्तों को गंदा माना जाता है और इसलिए ईरान में कुत्तों को पालने का उतना प्रचलन भी नहीं है। हालांकि, ईरान के समृद्ध इलाकों में रहने वाले लोग अपने घरों में कुत्ते पालते हैं और कई अब उन्हें लेकर बाहर भी घुमाने निकलते हैं। इस बढ़ते प्रचलन को गैर इस्लामिक मानते हुए इस पर जल्द ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
ईरान की संसद के 32 सदस्यों ने इस प्रचलन पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में एक विधेयक पेश किया है। प्रस्ताविक विधेयक के अनुसार कानून का उल्लंघन करने वालों को 370 से 3700 डॉलर तक का जुर्माना या 74 कोडों की सजा भुगतनी होगी।

1:45:00 pm

लाल शहद' इसके आगे शराब का नशा भी कुछ नहीं, दुनिया भर में है इसकी डिमांड

लाल शहद' इसके आगे शराब का नशा भी कुछ नहीं, दुनिया भर में है इसकी डिमांड

आपने अपने घर के आसपास पेड़ों पर मधुमक्खियों के छत्ते तो जरूर देखे होंगे। इन छत्तों से शहद निकलता है। यह शहद कई बीमारियों में बहुत कारगर है। आयुर्वेद में शहद को अमृत के समान बताया..

शहद, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। हर रोज शहद के सेवन से कई बीमारियां दूर होती हैं। लेकिन हिमालयन क्लिफ मधुमक्खियों का ये शहद किसी नशे से कम नहीं। ये मधुमक्खियां विश्व की सबसे बड़ी मधुमक्खियां हैं। ये जहरीले फलों से रस इकट्ठा करती हैं। इनके शहद को 'लाल शहद' कहते हैं। बेहद नशीला होने के साथ इस शहद में कई औषधीय गुण भी होते हैं।

और इसीलिए इस शहद की दुनियाभर में मांग है। इसके साथ ही एक बात जान लेना बहुत जरूरी है कि इस शहद को निकालना किसी खतरे से कम नहीं है। इस शहद के फायदे भी बहुत हैं, ये शहद सेक्स की इच्छा को भी बढ़ाता है। ये शहद नेपाल के एक दूर-दराज इलाकों में पाया जाता है।

इसे Gurung ट्राइब के लोग बड़ी जद्दोजहद के बाद निकालते हैं। इस शहद की लो​कप्रियता पूरी दुनिया में है। ये डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर और यौन शक्ति के लिए फायदेमंद होता है। ये शहद अपने फायदे से ज्यादा अपने नशीलेपन की वजह से डिमांड में रहता है।

इसका नशा एब्सिन्थे की तरह होता है। एब्सिन्थे एक नशीला पेय पदार्थ है जो कई देशों में बैन है। एक और बात ध्यान देने योग्य है कि इसके अधिक सेवन से दिल की बीमारी बढ़ जाती है। इस शहद को निकालने वाले बेहद जोखिम उठा कर ये काम करते हैं। पहले ये लोग एक रस्सी के सहारे कई फीट ऊंची खड़ी चढ़ान पर चढ़ते हैं, इसके बाद धुएं से मधुमक्खियों को भगाते हैं इसके साथ ही गुस्साई मधुमक्खियों के डंक को भी झेलते हैं और तीन दिन तक लगातार शहद इकट्ठा करते हैं जो इस शहद को बेहद खास और बेहद खतरनाक बनाता है।

यहां हर साल लगभग 20-50 गैलन शहद निकलता है। इसलिए यहां पर बाहर के लोग शहद खरीदने आते हैं इतना ही नहीं कई लोग तो हंटर्स को बेमौसम शहद निकालने के लिए पैसे भी देते हैं जिसका सीधा असर हमारे ईकोसिस्टम पर पड़ता है

1:43:00 pm

हमेशा संडे को ही छुट्टी क्यों होती है, इसके पीछे छिपी हुई है बहुत बड़ी कहानी

हमेशा संडे को ही छुट्टी क्यों होती है, इसके पीछे छिपी हुई है बहुत बड़ी कहानी


संडे का इंतजार हर किसी को रहता है क्योंकि यही वो दिन होता है जिसमें हफ्ते भर के काम निपटाने होते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ थोड़ा वक्त बिताने का समय मिल जाता है लेकिन ये संडे की छुट्टी हमें यूं ही नहीं मिल गई थी इसके पीछे किसी का संघर्ष जुड़ा हुआ है।
यार संडे को चलते हैं न घूमने। संडे को करते हैं पार्टी। पक्का भाग्यवान इस संडे को काम पूरा कर दूंगा। इस संडे तो कहीं नहीं जा रहा, पूरा दिन आराम करुंगा। उफ्फ, एक संडे और इतने काम।
हांजी हो भी क्यों न, आखिर संडे को छुट्टी जो मिलती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि हमारे लिए संडे की छुट्टी कराने वाले कौन थे। किस लिए संडे की छुट्टी दिलाई गई थी। संडे की छुट्टी कोई एक दिन में घोषित नहीं हो गई थी। इसके लिए बकायदा आठ साल तक लम्बी लड़ाई लड़ी गई थी। तब कहीं जाकर अंग्रेज अफसरों ने संडे की छुट्टी घोषित की थी। और इस आंदोलन के अगुआ थे नारायण मेघाजी लोखंडे।
बात अंग्रेजी शासनकाल की है। कपड़ा और दूसरे तरह की मिलों में भारतीय मजदूरों की बड़ी संख्या थी। लेकिन उन भारतीय मजदूरों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं था। इसी दौरान नारायण मेघाजी लोखंडे मजदूरों के हक में आवाज उठाई।
कहा जाता है कि लोखंडे ही वो श्ख्स थे जिन्होंने मिल मजदूरों के हक में पहली बार आवाज उठाई थी। लोखंडे को श्रम आंदोलन का जनक भी कहा जाता है। भारत में ट्रेड यूनियन का पिता भी कहा जाता है। आंदोलन में ज्योतिबाफुले का साथ भी लोखंडे को मिला था। वर्ष 1881 में लोखंडे ने मिल मजदूरों के लिए संडे की छुट्टी करने की मांग रखी। लेकिन अंग्रेज अफसर इसके लिए तैयार नहीं हुए।
संडे की छुट्टी के संबंध में लोखंडे का तर्क था कि सप्ताह के सात दिन मजदूर काम करते हैं, लिहाजा उन्हें सप्ताह में एक छुट्टी भी मिलनी चाहिए। संडे की छुट्टी लेना इतना आसान नहीं था, लिहाजा लोखंडे को इसके लिए एक आंदोलन छेड़ना पड़ा।
आंदोलन वर्ष 1881 से लेकर 1889 तक चला। इतना ही नहीं लोखंडे ने मजदूरों के हक में इन मांग को भी अंग्रेज अफसरों के सामने उठाया था। दोपहर में आधा घंटे का खाने के लिए अवकाश, हर महीने की 15 तारीख तक वेतन मजदूरों को मिल जाए और काम के घंटे तय हो जाएं।
मौजूद दस्तावेजों की मानें तो मजदूरों के लिए लोखंडे ने संडे की छुट्टी पिकनिक मनाने या पत्नी के बताए घर के तमाम काम पूरा करने के लिए नहीं मांगी थी। छुट्टी लेने के पीछे उनका तर्क था कि सप्ताह के सात दिन मजदूर अपने परिवार के लिए काम करते हैं। एक दिन देश और समाज के लिए भी होना चाहिए। जिससे वो देश और समाज हित में भी काम कर सकें।


1:22:00 pm

ये वो शहर है जिसपर पैसा तो पानी की तरह बह रहा है लेकिन रहने वाला कोई नहीं, जानिए वजह?

ये वो शहर है जिसपर पैसा तो पानी की तरह बह रहा है लेकिन रहने वाला कोई नहीं, जानिए वजह?

इस दुनिया में कई किस्से होते रहते हैं लेकिन कुछ तो बहुत ही अजीब होते हैं ऐसी ही एक खबर है...एक शहर..जिस पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है लेकिन...

चीन के लानचो शहर की कहानी अजब है। इस शहर को चीन के उत्तर-पश्चिम में बंजर पड़े पहाड़ों को काटकर बनाया गया है। यहां की सिल्क रोड को इकनॉमी बेल्ट का हीरा माना जाता है। इस शहर के निर्माण में चीन ने खूब खर्च किया है। फिर भी इस शहर में कोई रहना नहीं चाहता। दरअसल, चीन के लोग इस शहर को पूरी तरह से भूतों का शहर मानते हैं।

लानचो न्यू एरिया चीन से गांसु प्रांत में है। चीन इस शहर को लेकर बहुत आशावादी है। चीन चाहता है कि वो मूलभूत सुविधाओं में खर्चा कर इस शहर को विकसित करने के साथ ही पश्चिमी क्षेत्रों को आर्थिक मुख्यधारा में लाए। 315 स्कवायर मील जैसा बड़ा शहर बनाने के लिए सैंकड़ों चट्टानों को बुलडोजर के जरिए सपाट कर दिया गया है।

वहीं रहने के लिए बनाई गई इमारतें और गलियां भी हैं। साथ ही प्राचीन सिल्क रोड को पुनर्जीवित करके एशिया के दिल में अपनी जगह मजबूत कर सकें। लेकिन चीन की इन आशाओं पर तब पानी फिरता हुआ दिख रहा है, क्याोंकि यहां की इमारतें और गलियां काफी वक्त से सूनी पड़ी। भूतहा शहर के नाम से पहचान बन जाने की वजह से कोई यहां रहने नहीं आना चाहता।

1:19:00 pm

ये वो संकेत हैं जो बताते हैं कि अब मौत करीब है!


ये वो संकेत हैं जो बताते हैं कि अब मौत करीब है!

इंसान की जीवन लीला कब खत्म होगी ये तो भगवान ही जाने, फिर कई ऐसे संकेत होते हैं जिससे पता चलता है कि कोई इंसान कब मरने वाला है।

जीवन और मौत को लेकर लोग हमेशा चिंतित रहते हैं। भले ही विज्ञान ने कितनी ही तरक्की कर ली हो लेकिन मौत को वश में कर पाना उसके लिए भी मुमकिन नहीं है। लेकिन भगवान शंकर से संबंधित शिवपुराण में ऐसी कई बातें बताई गई हैं जो मौत के आने के संकेतों की ओर इशारा करती हैं।

इसमें भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु के संबंध में कुछ विशेष संकेत बताए हैं। जिनके द्वारा जाना जा सकता है कि कितने समय में किसी व्यक्ति की मौत हो सकती है।

शिवपुराण के अनुसार जिस मनुष्य को ग्रहों के दर्शन होने पर भी दिशाओं का ज्ञान न हो, मन में बैचेनी छाई रहे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने में हो जाती है।

जिस व्यक्ति को अचानक नीली मक्खियां आकर घेर लें। उसकी आयु एक महीना ही शेष जाननी चाहिए।

शिवपुराण में भगवान शिव ने बताया है कि जिस मनुष्य के सिर पर गिद्ध, कौवा अथवा कबूतर आकर बैठ जाए, वह एक महीने के भीतर ही मर जाता है। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।

यदि अचानक किसी व्यक्ति का शरीर सफेद या पीला पड़ जाए और लाल निशान दिखाई दें तो समझना चाहिए कि उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाएगी। जिस मनुष्य का मुंह, कान, आंख और जीभ ठीक से काम न करें, शिवपुराण के अनुसार उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है।

जिस मनुष्य को चंद्रमा व सूर्य के आस-पास का चमकीला घेरा काला या लाल दिखाई दे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 15 दिन के अंदर हो जाती है। अरूंधती तारा व चंद्रमा जिसे न दिखाई दे अथवा जिसे अन्य तारे भी ठीक से न दिखाई दें, ऐसे मनुष्य की मृत्यु एक महीने के भीतर हो जाती है।

त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) में जिसकी नाक बहने लगे, उसका जीवन पंद्रह दिन से अधिक नहीं चलता। यदि किसी व्यक्ति के मुंह और कंठ बार-बार सूखने लगे तो यह जानना चाहिए कि 6 महीने बीत-बीतते उसकी आयु समाप्त हो जाएगी।

जब किसी व्यक्ति को जल, तेल, घी तथा दर्पण में अपनी परछाई न दिखाई दे, तो समझना चाहिए कि उसकी आयु 6 माह से अधिक नहीं है। जब कोई अपनी छाया को सिर से रहित देखे अथवा अपने को छाया से रहित पाए तो ऐसा मनुष्य एक महीने भी जीवित नहीं रहता।

जब किसी मनुष्य का बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक फड़कता ही रहे, तब उसका जीवन एक मास ही शेष है, ऐसा जानना चाहिए। जब सारे अंगों में अंगड़ाई आने लगे और तालू सूख जाए, तब वह मनुष्य एक मास तक ही जीवित रहता है।

जिस मनुष्य को ध्रुव तारा अथवा सूर्यमंडल का भी ठीक से दर्शन न हो। रात में इंद्रधनुष और दोपहर में उल्कापात होता दिखाई दे तथा गिद्ध और कौवे घेरे रहें तो उसकी आयु 6 महीने से अधिक नहीं होती। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।

जो मनुष्य अचानक सूर्य और चंद्रमा को राहू से ग्रस्त देखता है (चंद्रमा और सूर्य काले दिखाई देने लगते हैं) और संपूर्ण दिशाएं जिसे घुमती दिखाई देती हैं, उसकी मृत्यु 6 महीने के अंदर हो जाती है।

शिवपुराण के अनुसार जो व्यक्ति हिरण के पीछे होने वाली शिकारियों की भयानक आवाज को भी जल्दी नहीं सुनता, उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है। जिसे आकाश में सप्तर्षि तारे न दिखाई दें, उस मनुष्य की आयु भी 6 महीने ही शेष समझनी चाहिए।

शिवपुराण के अनुसार जिस व्यक्ति को अग्नि का प्रकाश ठीक से दिखाई न दे और चारों ओर काला अंधकार दिखाई दे तो उसका जीवन भी 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।

1:17:00 pm

एक ऐसा शहर जिसकी आधी आबादी करती है भूत-प्रेत से बातें

एक ऐसा शहर जिसकी आधी आबादी करती है भूत-प्रेत से बातें

भूत प्रेतों के बारे में सुना बहुत होगा लेकिन इस बात पर यकीन कर पाना मुश्किल होता है कि भूतों का भी वजूद है। एस ऐसा शहर जहां पर लोग इनसे बातें करते हैं।

एक ऐसा शहर जिसकी आधी आबादी करती है भूत-प्रेतों से बातें – संसार का सबसे बड़ा रहस्य है मृत्यु जहां जाकर सब कुछ समाप्त हो जाता है। मृत्यु के बाद क्या है और क्या नहीं है यह एक ऐसा रहस्य है ज‌िसे ज‌ितना समझने की कोश‌िश करेंगे आप उतना ही उलझते जाएंगे क्योंक‌ि हर धर्म में मृत्यु के बाद की स्थ‌ित‌ि का अलग-अलग वर्णन क‌िया गया है।

मृत्यु के बाद की स्थ‌ित‌ि के बारे में कई वैज्ञान‌िक शोध भी क‌िए जा रहे हैं और पारामनोवैज्ञान‌िक अलग-अलग तरह के दावे करते रहे हैं। पारामनोवैज्ञान‌िकों के अनुसार मृत्यु के बाद भी कुछ अस्त‌ित्व बचा रहता है। अगर प्रयास क‌िया जाए तो मृत व्यक्त‌ि से संपर्क क‌िया जा सकता है।

मृत्यु को प्राप्त हुए व्यक्त‌ि से संपर्क करने के कई तरीके हैं ज‌िनसे परलोक गए व्यक्त‌ि को वापस अपने बीच बुला सकते हैं। मृत्यु के बाद भौत‌िक शरीर समाप्त हो जाता है, व्यक्त‌ि एक उर्जा एक आत्मा के रुप में मौजूद होता है। इसल‌िए उनसे संपर्क करने के ल‌िए एक माध्यम की जरुरत होती है।

अमेर‌िका का एक शहर ऐसा ही है जहां की आधी आबादी इस बात का दावा करती है क‌ि उनमें ऐसी शक्त‌ि मौजूद है क‌ि वह माध्यम बनकर या अन्य तरीकों से परलोक गए व्यक्त‌ि की आत्मा से संपर्क कर सकते हैं।

यहां के लोग प्रेतात्माओं से पीड़‌ित व्यक्त‌ियों का उपचार करने का भी दावा करते हैं इसल‌िए दूर-दूर से लोग यहां पारलौक‌िक शक्त‌ियों का अनुभव करने आते रहते हैं। अपनी इन्हीं खूब‌ियों के कारण इस शहर को ‘साइकिक कैपिटल’ भी कहा जाता है।

दुन‌िया भर में ‘साइकिक कैपिटल’ के नाम से ज‌िस शहर को जाना जाता है उस शहर का नाम है कासाडागा टाउन। माना जाता है क‌ि यहां रहने वाले ज्यादातर लोग मनोविज्ञान के जानकार हैं और मृत आत्माओं से साक्षात्कार करने का दावा करते हैं। 1875 में इस टाउन को न्यूयॉर्क के आध्यात्मिक गुरु जॉर्ज कॉल्बी ने बसाया था। धीरे-धीरे यहां लोग बसने लगे, जो खुद स्प्रिचुअल हीलर्स बन गए।

आज कासाडागा में 100 से अधिक स्प्रिचुअल हीलर्स हैं, जो मृत आत्माओं से संपर्क होने का दावा करते हैं। हर साल यहां सैकड़ों लोग दूर-दूर से बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। यहां इसाईयत, दर्शन और विज्ञान के मिले-जुले आधार पर केंद्रित आध्यात्म का एक अनूठा रूप देखने को मिलता है।

यहां के स्प्रिचुअल हीलर्स टैरो कार्ड्स या हस्तरेखाओं को पढ़कर इन आत्माओं से संपर्क करने का दावा करते हैं। हर साल यहां करीब 15 हजार लोग आते हैं। यही कासाडागा की अर्थव्यवस्था का आधार भी है।

इंडियन हिप्नोसिस एकेडमी के प्रमुख डा. जे पी मलिक बताते हैं कि किसी व्यक्ति को हिप्नोटाइज करके पूर्वजन्म में हुई घटनाओं को देखा जा सकता है। इतना ही नहीं अगर व्यक्ति चाहे तो वह हिप्नोसिस के माध्यम से किसी मृत आत्मा से संपर्क कर सकते हैं। यानी मध्यम के द्वारा आत्माओं से संपर्क क‌िया जा सकता है।

चेतन मन में आत्माओं से संपर्क करना मुश्किल होता है। लेकिन अचेतन मन को आत्माओं से जोड़ा जा सकता है। आत्माओं से संपर्क होने के बाद व्यक्ति उनसे अपने प्रश्न पूछ सकता है। इनका कहना है कि यह काम व्यक्ति खुद भी कर सकता है लेकिन किसी एक्सपर्ट की सलाह से करे तो बेहतर रहता है क्योंकि कई बार व्यक्ति बहुत डर जाता है। ऐसे समय में व्यक्ति को संभालने के लिए एक एक्सपर्ट की जरूरत होती है।

इन्होंने यह भी बताया कि आत्माएं जो बुलाने पर आ जाती हैं वह अपनी मर्जी से खुद ही चली जाती हैं इसलिए हिप्नोटिज्म के द्वारा आत्मओं से संपर्क करने पर यह डर नहीं रहता कि आत्मा आ गई तो लौट कर जाएगी या नहीं। ऐसे में यह अव‌िश्वनीय नहीं कहा जा सकता है क‌ि लोग आत्माओं से संपर्क कर सकते हैं।

1:13:00 pm

अगर आप भी बनना चाहते हैं एक शहर के मालिक तो यहां करें क्लिक

अगर आप भी बनना चाहते हैं एक शहर के मालिक तो यहां करें क्लिक

जरा सोच के देखिए कि आप पूरे शहर के मालिक हों...उस शहर में आपका राज चलता हो...वैसे आपका ये सपना पूरा हो सकता है लेकिन एक शर्त पर अगर आप भूतों से नहीं डरते हैं तो...जानिए क्या है...
अमेरिका के कोलोरैडो में एक भूतिया शहर के तौर पर कुख्यात केबीन क्रीक बिकने वाला है और अगर आपको भूतों से डर नहीं लगता, तो महज 3.5 लाख डॉलर (सवा दो करोड़ रुपये) देकर इसे खरीद सकते हैं।
दरअसल अमेरिकी वेबसाइट क्रेगलिस्ट पर इसके बिक्री के लिए एक विज्ञापन डाला गया है। इसके मुताबिक, यह शहर खरीदने पर आपको इसके साथ आठ कमरों का एक सराय (मोटल), एक पुराना गैस स्टेशन, सड़क किनारे एक कैफे, दो घर और एक प्राइवेट शूटिंग रेंज मिलेगा।
अगर आपको भूतों से नहीं बल्कि दूसरे आपराधिक तत्वों से डर लगता है, तो इसके लिए करीब दो हेक्टेयर में फैले इस शहर में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस भूतिया शहर के मालिक जेम्स जॉनसन ने यहां 16 सीसीटीवी लगा रखे हैं, जिससे आप हर जगह अपनी नजर रख सकेंगे।
जॉनसन कहते हैं, बिक्री की विज्ञापन डालने के बाद कई लोगों ने इसमें रुचि दिखाई है। इसे देखने के लिए कई लोग आए और उन्हें यह जगह बेहद पसंद आई, लेकिन पैसों की कमी और लोन ना मिलने की वजह से इसे खरीद नहीं पाए। जॉनसन को इस शहर के लिए अब तक कोई खरीददार नहीं मिला है। अब इसकी वजह भूतों का डर है या पैसों की कमी ये तो वहीं बता सकते हैं।
आपको बता दें कि डेनवर से महज 90 किलोमीटर दूर स्थित केबिन क्रीक को 1970 के दशक से पहले कम ही लोग ही जानते थे, लेकिन तभी वहां एक कत्ल हुआ, जिसके पीछे लोगों को भूतों लगा। इस हत्या के बाद इस शहर के भूतिया होने की चर्चा जोर पकड़ने लगी और धीरे-धोरे कई लोग इसे 'भूतिया शहर' के नाम से जानने लग
12:59:00 pm

एक इंडियन शादी जिसके नाम दर्ज है गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, अभी तक नहीं टूटा ये रिकॉर्ड

एक इंडियन शादी जिसके नाम दर्ज है गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, अभी तक नहीं टूटा ये रिकॉर्ड

शादियां तो आपने बहुत सी अटेंड की होंगी और एक से एक बड़ी शादी में गए भी होंगे लेकिन एक ऐसी शादी जिसको गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है वो भी ये एक भारतीय की शादी थी।

शादी सबके लिए सुनहरा सपना होता है। सब अपनी-अपनी शादी में खास करना चाहते हैं. लेकिन भारत में एक ऐसी शादी हुई जो कि गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गई। ये शादी खास थी, लेकिन इसका अंत दुखद रहा।

भारत के स्टील टायकून लक्ष्मीनिवास मित्तल की बेटी की शादी गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। लक्ष्मी मित्तल की बेटी वनीशा और अमित भाटिया की शादी में साल 2004 में हुई थी। इस शादी में लक्ष्मी मित्तल ने 514 करोड़ रुपए खर्च किए। इस शादी की दुनियाभर में चर्चा हुई। 6 दिनों तक शादी का कार्यक्रम पेरिस में चला।

मित्तल के दामाद बने अमित भाटिया लंदन में बैंकर थे। हालांकि, सबसे महंगी शादी समारोह में जो रिश्ता बना था वह आगे चल नहीं पाया। साल 2014 में मित्तल की बेटी वनिशा और अमित के बीच तलाक हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों ने आपसी सहमति के बाद तलाक ही लिया है।

लेकिन इस शादी में खर्च किए गए रकम के आधार पर इसे गिनीज बुक में एंट्री मिल गई और ये दुनिया की सबसे महंगी शादी बन गई।

12:58:00 pm

अगर आपके पास है 1 रुपये का नोट तो आप बन सकते हैं करोड़पति, जानिए कैसे?

अगर आपके पास है 1 रुपये का नोट तो आप बन सकते हैं करोड़पति, जानिए कैसे?

सोच के देखो कि एक रुपये का नोट आपको एक करोड़ रुपये दिला तो...यकीन कर पाना मुश्किल है लेकिन एक सच्चाई भी है जिसको जानकर आप एक रुपये के नोट को ऐसे ही खर्च नहीं करेंगे।

आपके लिए एक रुपए की क्या अहमियत है? शायद कुछ भी नहीं, लेकिन एक रुपए का नोट आपको करोड़पति बना सकता है। अगर आप इसे मजाक समझने की भूल कर रहे हैं तो सतर्क हो जाइए इसे मजाक समझना अापके करोड़पति बनने की राह में रोड़ा साबित हो सकता है।

यदि आपके पास किसी दुर्लभ नंबर का नोट है तो बस तैयार हो जाइए। दुनिया में एेसे बहुत से शौकीन हैं जिन्हें दुर्लभ नोटों के संग्रह का शौक है। एेसे लोग अपने पसंदीदा नंबरों के नोटों को करोड़ों में खरीदते हैं।

पसंदीदा नोटों का क्रेज देखने के लिए आपको ज्यादा दूर जाने की भी जरूरत नहीं है। आपको बस र्इ-काॅमर्स वेबसाइट र्इबे पर जाना है। जहां एक रुपए से लेकर 1000 रुपए तक के नोटों की नीलामी करोड़ों में हो रही है।

र्इबे पर देश के पूर्व गवर्नर मोंटेक सिंह अहलूवालिया के हस्ताक्षर वाला एक रुपए का नोट दो लाख रुपए में बेचा जा रहा है, वहीं 100 रुपए के दो नए नोट 250000 रुपए में बिक रहे हैं। इसका कारण है इन नोटों पर मौजूद सीरियल नंबर। इनके सीरियल नंबर के आखिर में 786 आैर 000000 हैं।

र्इबे पर 1000 रुपए का नोट करीब एक करोड़ रुपए में बेचा जा रहा है। नोट बेचने वाले ने दावा किया है कि कुछ नोटों पर प्रिंट करते वक्त इंक गिर गया है, वहीं इसके सीरियल नंबर भी दुर्लभ हैं। ऊंची कीमत में बिकने वाले कुछ नोट एेसे हैं, जिनमें या तो सीरियल नंबर ही नहीं है या फिर मिसप्रिंट हैं।

र्इबे पर इन नोटों के लिए बोली लगार्इ जाती है, जो सबसे ज्यादा बोली लगाएगा नोट उसे ही दिए जाएंगे। अगर आपके पास भी कुछ एेसे नोट हैं तो जल्द हो जाइए तैयार। आप भी ये नोट बेचकर करोड़पति बन सकते हैं।

12:56:00 pm

इस पुलिस ऑफिसर के हाथों अरेस्ट होना चाहते हैं लोग, जानिए क्यों?

इस पुलिस ऑफिसर के हाथों अरेस्ट होना चाहते हैं लोग, जानिए क्यों?

पुलिस का नाम सुनते ही लोगों की सांसे फूलने लगती हैं किसी पुलिसवाले को देखकर सिट्टीपिट्टी गुम हो जाती है लेकिन एक पुलिस अधिकारी ऐसी भी है जिसके हाथों लोग गिरफ्तार होना चाहते हैं

जो आम लोग पुलिस विभाग में नहीं होते, वो पुलिसवालों से बचना ही बेहतर समझते हैं। लेकिन जर्मनी में लोगों को एक पुलिस ऑफिसर की नज़रों से बचना बिल्कुल भी पसंद नहीं है।

दरअसल, जर्मनी की सीनियर पुलिस कमिश्नर एड्रिएन कोलेसजर की खूबसूरती की वजह से लोग उन्हें बार-बार देखना चाहते है और इसले लिए उन्हें इस पुलिस ऑफिसर की नज़रों में भी आ जाने से गुरेज नहीं है।

इनके फैन्स यहां तक कहते हैं कि वो इनके सामने गाड़ी स्पीड में चलाएंगे, जिससे वो हमें अरेस्ट कर सकें। इस सीनियर पुलिस ऑफिसर की उम्र अभी 31साल है और इनकी तस्वीरे इंस्टाग्राम पर छाई हुई हैं।

उन्होंने अपनी जो फोटोज पोस्ट की हैं, लोग उनके दीवाने हुए जा रहे हैं। एड्रिएन रोज अपनी फिट बॉडी की फोटोज अपलोड करती हैं। उनके सोशल मीडिया पर एक लाख से ज्यादा फोलोअर्स हो गए हैं।

काम के साथ-साथ वो अपने 28 साल के ब्वॉयफ्रेंड को भी पूरा टाइम देती हैं। जर्मनी की इस सीनियर पुलिस कमिश्नर के मुताबिक हर औरत चाहती है कि उसका बैक अच्छा हो। इसलिए वो जिम में खासतौर पर अपने हिप और बैक पर ध्यान देती हैं।

इस सीनियर पुलिस कमिश्नर का कहना है कि वो अपनी फोटोज महिलाओं को ध्यान में रखकर पोस्ट करती हैं, ना कि मर्दों को। साथ ही वो कहती है कि वो परफेक्ट नहीं हैं, लेकिन अपनी लाइफ से खुश हैं।

12:55:00 pm

ये महिला बोलती है...खुल जा सिम-सिम और इसके घरों के दरवाजे खुल जाते हैं, जानिए कैसे?

ये महिला बोलती है...खुल जा सिम-सिम और इसके घरों के दरवाजे खुल जाते हैं, जानिए कैसे?

दरवाजा खोलने के लिए खुल जा सिम-सिम...इस जुमले का कई बार इस्तेमाल किया होगा आपने कभी कभी तो दरवाजा खुल भी जाता था...ये महिला भी कुछ इसी तरह से अपने घर के दरवाजे खोलती है, जानिए कैसे

दुनियाभर में साइंटिस्ट कई ऐसी तरकीब खोज निकाली है जिससे आप और हम अब तक अंजान थे। आपको यह जानकार ताज्जुब होगा कि आज साइंटिस्ट ने ऐसी-ऐसी खोज कर लीं है कि जिससे आपको दरवाजे खोलने के लिए चाबी की जरूरत नही पड़ेगी।

सिडनी में रहने वाली शांति कोरपोरल ने ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी के दम पर अपने दोनों हाथों में माइक्रोचिप इम्प्लांट करवा लीं हैं, जिनकी मदद से अब वो अपने दरवाजों को बिना किसी चाभी की मदद से खोल सकती हैं। इतना ही नहीं वो बिना पासवर्ड के ही अपने कंप्यूटर को एक्सेस कर सकती हैं।

Adelaide Advertiser रिपोर्ट के अनुसार, शांति इन माइक्रोचिप को इम्प्लांट करवाने के बाद अपने हाथों को सुपरह्यूमन पॉवर की तरह यूज करती हैं। इसके बाद अब वो अपने वॉलेट और कार्ड्स के झंझटों से दूर होना चाहती है, ताकि वो एक अच्छी लाइफस्टाइल जी सके। शांति ने बताया कि इस तरह से आप अपनी लाइफ को सेट कर सकते हैं, ऐसी लाइफ जिसमें आपको किसी भी तरह के पासवर्ड और पिन को याद रखने की चिंता नहीं रहेगी।

वो बताती हैं कि Opal के साथ आपको एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर मिलेगा जिसे एक चिप के अंदर प्रोग्राम कर दिया जाएगा। इसके माध्यम से एक दरवाजा जो स्वाइप कार्ड से खुलता है या आपका कंप्यूटर या फिर फोटोकॉपियर आदि सब कुछ आपके हाथों के इशारे पर खुलेगा।

इस चिप को दोबारा ढूंढ पाना नामुमकिन है क्योंकि ये मात्र एक चावल के दाने के आकार में है। इस माइक्रोचिप को कई तरह की इन्फॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए एक स्मार्टफोन की तरह यूज़ किया जा सकता है। अभी तक लगभग 400 लोग इसके ऑफर को स्वीकार कर चुके हैं और इसे इम्प्लांट कराना चाहते हैं।

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