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शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

6:51:00 pm

अविश्‍वसनीय खोज! यह फल कुछ मिनट में ही ठीक कर देता है कैंसर

अविश्‍वसनीय खोज! यह फल कुछ मिनट में ही ठीक कर देता है कैंसर

इन दिनों इंटरनेट पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि एक ऐसी दवाई खोजी गयी है कि जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को मिनटों में ठीक कर सकती है।

एक जंगली फल के बीज का है ये कमाल 
वैज्ञानिकों ने दावा किया है उन्‍होंने कैंसर की एक प्राकृतिक और जादुई दवा खोज ली है जिससे की ये रोग मिनटों में दूर हो जायेगा। इस बारे में सोशल नेटवर्किंग साइटस पर काफी चर्चा हो रही है।  कहा जा रहाहै कि ये चमत्‍कारी असर एक जंगली फल के बीजों में छुपा है। दरसल कैंसर दूर करने की दवाइयों में EVS-46 का इस्‍तेमाल होता है जो इस फल के बीजों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 

इत्‍तेफाक से मिली दवा 
सबसे खास बात ये है कि ये दवा कैंसर पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों बिलकुल इत्‍तेफाक से मिल गयी। एक बार ऑस्‍ट्रेलिया में काम कर रहे शोध कर्ताओं ने देखा कि वहां एक ऑस्‍ट्रेलियन ब्‍लशवुड नाम के एक जंगली पेड़ पर कुछ फल लगे हैं और जंगली जानवर जैसे ही इस फल को खाते हैं बीजों को तुरंत थूक देते हैं। जानवरों के इस अजीब व्‍यवहार की जांच करने के लिए वैज्ञाानिकों ने इन बीजों की जांच की और पाया कि इन में कैंसर नष्‍ट करने वाले तत्‍व इतनी ज्‍यादा मात्रा में हैं कि इन्‍हें खाने से कैंसर कुछ मिनटों में ठीक हो सकता है। 
 
ऑस्‍ट्रेलिया के जंगलों में होता है ये वृक्ष 
कैंसर की इस रामबाण दवा के फलों वाला ये पेड़ उत्‍तरी ऑस्‍ट्रेलिया के जंगलों में होता है। ये एक रेयर वनस्‍पति है और वहां पर कुछ खाज इलाकों में ही पायी जाती है। यदि इसकी ये चमत्‍कारिक योग्‍यता प्रमाणित हो गयी तो निसंदेह ये अमूल्‍य हो जायेंगे।

8:56:00 am

खौलते तेल से भरी कड़ाही में बैठता है ये शख्स, वायरल तस्वीरों का सच

खौलते तेल से भरी कड़ाही में बैठता है ये शख्स, वायरल तस्वीरों का स


गरम तेल में हाथ डालकर पकौड़े और मछली तलने वाले तो आपने कई लोग देखे होंगे। लेकिन अगर कोई व्यक्ति खुद ही खोलते तेल में बैठ जाए तो इसे क्या कहेंगे आप? जानिए क्या है वायरल हो रही इन तस्वीरों का सच।

थाईलैंड स्थित नांग बु लपू प्रांत में बौद्ध भिक्षु खोलते तेल में बैठने का कारनामा कर दिखा रहे हैं। ऐसा करते समय बड़ी संख्या में लोग मौजूद होते हैं।

खौलते तेल की कड़ाही में बैठने के बाजवूद इस बौद्ध भिक्षु के शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। ये घंटो तक इसी तरह कड़ाही में बैठ कर ध्यान करते रहते हैं।

बौध भिक्षु द्वारा गरम तेल की कड़ाही में बैठने के दौरान आग की लपटे पूरी कड़ाही को ढक लेती हैं।

लेकिन भिक्षु बिना विचलित हुए अपने ध्यान में मग्न रहते हैं। देखने वाले दांतों तले उंगली दबाते हैं।

लेकिन ये भी माना जा रहा है कि ये भिक्षु शरीर और कड़ाही पर किसी तरह की जड़ी बूटी लगाते हैं। जिसकी वजह से आग का तापमान शरीर पर असर नहीं करता है। देखिए सोशल साइट्स पर वायरल हो रहा वीडियो।

8:51:00 am

17 महीने से प्रेग्नेंट है ये महिला, क्या बनेगा नया विश्व रिकॉर्ड?

17 महीने से प्रेग्नेंट है ये महिला, क्या बनेगा नया विश्व रिकॉर्ड?



आमतौर पर गर्भवती महिला 9 महीने में अपने बच्चे को जन्म देती है। लेकिन ये जानकर आप चौंक जाएंगे कि एक महिला ने 17 महीने की प्रेग्नेंट होने का दावा किया है। जानिए क्या वजह है कि ये महिला 17 महीने से प्रेग्नेंट है।

चीन की रहने वाली वांग नाम की महिला फरवरी 2015 से प्रेग्नेंट है। प्रेग्नेंट होने के पहले महीने से ही वह डॉक्टरों से जांच करवा रही है।

डॉक्टर ने वांग को 2015 के अंत में बच्चे की डिलीवरी की डेट भी दी थी। लेकिन समय निकलने के बाद घर वाले इस बात से परेशान हो गए की बच्चे का जन्म क्यों नहीं हो रहा।

वांग डॉक्टरों के पास 30 से ज्यादा बार चक्कर लगा चुकी है। ऐसे मे 14 वें हफ्ते में डॉक्टरों ने उसे बताया कि वह उसका सीजेरियन करके बच्चा बाहर नहीं ला सकते। क्योंकि भ्रूण अभी भी परिपक्व नहीं है।

17 महीने बीतने के बाद भी बच्चे के शरीर का निर्माण जारी है। ऐसे में महिला को तब तक इंतजार करना होगा जब तक बच्चे का शरीर पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाए। चीन के डॉक्टरों ने 18 वें महीने में बच्चे की डिलीवरी होने का दावा किया है।

8:39:00 am

आप जानते हैं, फांसी की सजा देने के बाद जज अपनी पेन की निब क्यों तोड़ देते हैं?

आप जानते हैं, फांसी की सजा देने के बाद जज अपनी पेन की निब क्यों तोड़ देते हैं?


फिल्मों में आपने ऐसे कई सीन देखे होंगे जिसमें जज मौत की सजा सुनाने के बाद अपने पेन की निब तोड़ देते हैं लेकिन इसके पीछे क्या राज होता है ये आपको नहीं पता होगा। ये सवाल आपके मन आया भी होगा कि आखिर मौत पर दस्तखत करने के बाद जज ये पेन की निब क्यों तोड़ देता है तो इस सवाल का जवाब हम देते हैं कि वो ऐसा क्यों करते हैं।
हमारे कानून में फांसी की सजा सबसे बड़ी सजा है। क्योंकि इससे व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है, इसलिए जज सजा को मुकर्रर करने के बाद पेन की निब तोड़ देता है और उम्मीद की जाती है कि आगे से ऐसे जघन्य अपराध ना हों। साथ ही साथ इसका मतलब ये भी होता है कि एक व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त होती है इसलिए जज इस सज़ा को मुकर्रर करने के बाद पेन की निब तोड़ देते हैं, ताकि उस पेन का इस्तेमाल दोबारा न हो सके।
सैद्धांतिक तौर पर, Death Sentence किसी भी जघन्य अपराध के मुकदमों के लिए समझौते का अंतिम एक्शन होता है, जिसे किसी भी अन्य प्रक्रिया द्वारा बदला नहीं जा सकता। जब फैसले में पेन से “Death” लिख दिया जाता है, तो इसी क्रम में पेन की निब को तोड़ दिया जाता है, ताकि इंसान के साथ-साथ पेन की भी मौत हो जाए।
अक्सर यह भी माना जाता है कि शायद फैसले से अपने आप को अलग रखने या फैसले को लेकर होने वाले प्रायश्चित या अपराधबोध को लेकर जज पेन की निब तोड़ देते हैं। एक बार फैसला लिख दिये जाने और निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके।
8:34:00 am

9 साल के बच्चे के मुंह में 32 नहीं बल्कि 300 दांत हैं!

9 साल के बच्चे के मुंह में 32 नहीं बल्कि 300 दांत हैं!


जिस उम्र में बच्चों के दूध के दांत टूटने लगते हैं उस उम्र में एक बच्चा अपने दांतों से परेशान है। 9 साल के इस बच्चे के मुंह में 32 नहीं बल्कि 300 दांत हैं। बचपन तक सब ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे दांतों के संख्या बढ़ने लगी। इस कदर बढ़ने लगी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। बढ़ते-बढ़ते बच्चे के मुंह में 300 दांत हो गए।
फिलीपिंस के जॉनक्रिस हाईपरडोंसिया नामक खतरनाक बिमारी से पीड़ित है। ये बहुत ही असमान्य बीमारी है। विश्व में 4 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित है। जॉन इस बीमारी की वजह से असहनीय पीड़ा से गुजरता है।
उसे बोलने में काफी तकलीफ होती है। वो सामान्य बच्चों की तरह सब कुछ नहीं खा पाता। उसे लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रहना पड़ता है।
बपचन में उसके मुंह में सब कुछ सामान्य था। जॉन के 20 दांत थे, लेकिन धीरे-धीरे वो बढ़कर 50 हो गए। एक्स-रे हुआ तो पता चला कि मुंह में 150 दांत है, कुछ सालों में उसके मुंह में 300 से ज्यादा दांत निकल आए हैं। ऐसे में अब धीरे-धीरे सर्जरी की मदद से जॉन के मुंह से 40 दांत निकाले गए हैं। अभी उसके 7 और ऑपरेशन होने हैं।
8:20:00 am

ओमान की इस लड़की को माना जा रहा है दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला, क्या आप इससे सहमत हैं?



ओमान की इस लड़की को माना जा रहा है दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला, क्या आप इससे सहमत हैं?


इन्टरनेट पर आजकल एक महिला की फोटोज़ छाई हुई हैं. हर वेबसाइट पर उसकी ख़ूबसूरती के चर्चे हैं. फेसबुक से लेकर ट्विटर तक लोग उसकी फोटोज़ शेयर कर रहे हैं. दरअसल, उसकी फोटोज़ इन्टरनेट पर वायरल हो चुकी हैं. इन तस्वीरों में दिखने वाली लड़की को दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की बताया जा रहा है.

कई लोग उन्हें ओमान के सुल्तान कबूस बिन सईद के बेटे या पोते की पत्नी बताते हैं. कुछ न्यूज़ चैनल इस लड़की को सऊदी शेख अव्दी अल मोहम्मद की पत्नी भी बता रहे हैं, लेकिन यह सब एक झूठ है. सच्चाई हम आपको बताते हैं.

इस महिला का नाम शायमा अल हम्मादी है. वो फेमस टीवी होस्ट हैं और ओमान की रहने वाली है. वो शादीशुदा हैं और फ़िलहाल क़तर के स्टेट चैनल में एंकरिंग करती हैं. उन्होंने ओमान के सरकारी चैनल सल्तनत ऑफ़ ओमान टीवी पर सबसे पहले शो होस्ट किया था.

इसमें कोई शक़ नहीं कि शायमा बला की खूबसूरत हैं और उनकी फोटोज़ देखने के बाद उनसे नज़र ही नहीं हटती है. आइए आपको भी दिखाते हैं उनकी कुछ तस्वीरें.


अब आप खुद ही बताइए कि ये दुनिया की सबसे सुन्दर महिला है या नहीं.

8:14:00 am

प्राचीन भारत में भी होता था घड़ी का उपयोग. अथर्ववेद में है ‘घटिका यंत्र’ का वर्णन


प्राचीन भारत में भी होता था घड़ी का उपयोग. अथर्ववेद में है ‘घटिका यंत्र’ का वर्णन


अकसर ये माना जाता है कि प्राचीन भारत में जो धार्मिक मान्यताएं रही हैं, वही आज प्राय: किसी खोज या आविष्कार का प्रतिनिधित्व करती रही हैं. आज भी हम एक ऐसे ही प्राचीन आविष्कार की बात करेंगे, जिसका नाता आज के आविष्कार से है. भारत में जितने भी धर्म हैं, या यूं कहें कि जिन धर्मों का उद्भव स्थल भारत रहा है, उन सभी धर्मों में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के लिए दिन और समय का काफ़ी महत्व होता है. लेकिन प्राचीन समय के लोगों के पास समय बताने का कोई विश्वसनीय तरीका नहीं था. माना जाता है कि उस समय धुप और छांव के आधार पर समय का अनुमान लगाया जाता था. इसको ही धूपघड़ी का नाम दिया गया. इन धूपघड़ियों का प्रचलन अत्यंत प्राचीन काल से होता आ रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जब बादल न हो तो इस घड़ियों से आप समय का अनुमान कैसे लगाएंगे.

भले ही आपके पास इसका जवाब न हो, लेकिन हमारे पूर्वजों के पास इसका जवाब ज़रूर है. प्राचीन काल में हमारे भारतीय पूर्वजों ने एक विशेष और अलग तरह की घड़ी को इज़ाद किया था, जो पानी के ऊपर आधारित थी, जिसे घटिका यंत्र कहा गया.

प्राचीन भारतीयों ने दिन और रात को पहले 60 भागों में बांट दिया था, जिसे 'घड़ी' कहा गया. इसके अलावा, रात और दिन को चार भागों में बांट दिया, जिन्हें 'पहर' कहा गया.

दरअसल, पानी में समय देखने के लिए सभी महत्वपूर्ण शहरों में लोगों के समूह को नियुक्त किया गया था, जिन्हें घरियालिस कहा गया. इनका काम समय बताना होता था. वैसे जलघड़ी में दो पात्रों का प्रयोग होता था. एक पात्र में पानी भर कर उसकी तली में छेद कर दिया जाता था. उसमें से थोड़ा-थोड़ा जल नियंत्रित बूंदों के रूप में नीचे रखे हुए दूसरे पात्र में गिरता था. इस पात्र में एकत्र जल की मात्रा नाप कर समय का अनुमान लगाया जाता था और यही एक अवधि के निश्चित समय का संकेत देता था.

जल घड़ी को धूप घड़ी के साथ ही सबसे पुराना समय मापक यंत्र के रूप में माना जाता है. हालांकि जब इसका पहली बार आविष्कार हुआ, यह इतना महत्वपूर्ण हो जाएगा, इसके बारे में कोई नहीं जानता था.

आज से हजारों साल पहले कटोरे के आकार की ये घड़ी का सबसे सरल फॉर्म में जलघड़ी के रूप में भारत, चीन और मिश्र आदि देशों में अस्तित्व में आयी.

इतिहासकारों का सुझाव है कि मोहनजोदड़ो से खुदाई में मिले बर्तनों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उस काल में जलघड़ी का प्रयोग किया गया होगा, क्योंकि खुदाई में मिले बर्तन के नीचे वाले भाग में एक पतला-सा छेद देखने को मिला है.

लगभग 2nd Millennium BCE से प्राचीन भारत में जल घड़ी का उपयोग किया जाता था, इसका उल्लेख अथर्ववेद में भी किया गया है.

7वीं शताब्दी के दौरान जब चीनी यात्री ने भारत का दौरा किया था, तब उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में जलघड़ी कैसे काम करती है, इसका विवरण दिया था. जल घड़ी में पानी की मात्रा मौसम के अनुसार बदलती रहती है. इस घड़ी को विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स द्वारा संचालित किया गया था.

जलघड़ी का विवरण जो सूर्य सिद्धांत में दिया गया है, Astrologer Varahimira के Pancasiddhantika में उसका विस्तार से वर्णन किया गया है. गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने Brahmasphutasiddhanta में जो काम किया है, वो सूर्य सिद्धांत से काफ़ी मिलता-जुलता है

8:09:00 am

27 हज़ार वेश्याओं वाले दुनिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया, Pattaya की चमक-दमक सिर्फ़ छलावा


27 हज़ार वेश्याओं वाले दुनिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया, Pattaya की चमक-दमक सिर्फ़ छलावा


एक औरत के लिए देह व्यापार मौत से कम नहीं है. वो चेहरे पर नकली मुस्कान लिए अपने ग्राहकों को खोजती ज़रूर है, लेकिन वो सचमुच ऐसा नहीं करना चाहती. अगर उसके पास सुकून से जीने का कोई और ज़रिया हो, तो वो ऐसा कभी नहीं करना चाहेगी. अपने भीतर की औरत को मारकर वो पुरुष के मनोरंजन का साधन बन जाती है, कभी मजबूरन तो कभी जबरन. इन सेक्स वर्कर्स की ज़िन्दगी को करीब से देखा और फोटोज़ में उतारने का प्रयास किया है LUKE Williams ने.

Pattaya, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के बाद वहां का सबसे व्यस्त पर्यटन केंद्र है. ये दुनिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है, जिसे दुनिया की अनाधिकृत सेक्स कैपिटल भी कहा जाता है. LUKE Williams ने इस जगह पर एक सप्ताह गुज़ारा.

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यहां पर 27 हज़ार से ज्यादा सेक्स वर्कर्स रहती हैं. इनमें से कई ऐसी भी होती हैं ,जिनके साथ समय बिताने के बाद कुछ लोगों ने उनसे शादी भी कर ली. कुछ लोगों की ये शादियां चलीं, तो कुछ की टूटीं. फिर भी दुनिया भर से यहां घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए ये किसी 'स्वर्ग' से कम नहीं है.

LUKE Williams कहते हैं कि 'यहां पहुंचकर मैंने सैकड़ों ऐसे गोरों को कम उम्र की थाई लड़कियों के साथ घूमते हुए देखा, जो खुद काफी उम्रदराज़ और मोटे थे. यहां गोरे लोगों की भरमार है. हर तीन व्यक्ति में से एक व्यक्ति गोरा है.'


Pattaya में दांतों को दूधिया सफ़ेद बनाने के लिए डेंटिस्ट और मेकअप का विज्ञापन करने वाले हर जगह मिल जाएंगे. इनका दावा होता है कि वो थाई लड़कियों की स्किन को एकदम सफ़ेद कर सकते हैं.

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Kangaroo Korner नामक एक बार में LUKE Williams ने एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति से बात की, जिसने कहा, 'मैं थाई लड़कियों को प्राथमिकता देता हूं. मैं जानता हूं कि ये सब इन लड़कियों के लिए सिर्फ़ पैसे कमाने का एक जरिया है, लेकिन मैं उनसे प्यार की उम्मीद भी नहीं रखता हूं.'


जब LUKE Williams ने उससे पूछा कि वो ये सब कैसे कर पाता है, तो उसने कहा कि - बस मज़े करो, रिलैक्स रहो और मेरे साथ एक पैग और लगाओ.'

LUKE अगले दिन Pattaya Beach पर एक 50 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई आदमी से मिले, जिसे उसकी पहली पत्नी इसी जगह पर 12 साल पहले मिली थी. उसके बाद उन्होंने शादी कर ली थी और उनके दो बच्चे भी हुए. अभी दो हफ्ते पहले ही उनका तलाक़ हो गया है. अब वो एक 23 साल की थाई लड़की के साथ व्यस्त है, जिससे वो 10 दिन पहले ही मिला है.

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वो कहता है, ' थाई लड़कियां बहुत ही सहयोगी स्वभाव की और पति पर निर्भर रहने वाली होती हैं. मुझे गलत मत समझना लेकिन उनका इतना ज़्यादा मेरे अधीन रहना मुझे पसंद नहीं है. लेकिन वे खाना पकाती हैं, सफाई करती हैं और सचमुच हमारी अच्छी देखभाल भी करती हैं. मुझे ये सब नहीं पसंद है, लेकिन अब मुझे ये लड़की मिल गई है. हम दोनों 10 दिन पहले ही मिले. मुझे यकीन है कि ये मेरे लिए ठीक रहेगी. लेकिन मेरी पत्नी और मेरे मेरे बच्चे मुझसे नफ़रत करते हैं, यहां तक कि मेरे दोस्त भी मुझे गलत समझते हैं. लेकिन मुझे दरअसल ये लगता है कि मेरे पास सिर्फ़ 20 साल ज़िन्दगी के और बचे हैं, तो मैं उसे एन्जॉय करना चाहता हूं.'

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इसके बाद Windmill venue पहुंचे LUKE Williams ने देखा कि किस तरह थाई लड़कियां बेहद छोटी स्कर्ट्स में स्टेज पर खुद को प्रजेंट कर रही हैं. इनमें से किसी ने भी अंडरगारमेंट्स नहीं पहने हैं, लेकिन सबने हाई हील्स पहन रखी हैं. गोरे लोग स्टेज के चारों तरफ बैठे हैं. वे ड्रिंक कर रहे हैं और लड़कियों की तरफ इशारेबाज़ी कर रहे हैं. साथ ही उन्हें बार में मिलने वाली बियर ब्रांड की फोम स्टिक्स से मार भी रहे हैं.

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यहां पर LUKE Williams उस जगह पर भी गए, जो मेल सेक्स वर्कर्स के लिए है. यहां पर उन्हें ऑस्ट्रेलियाई सेक्स वर्कर मिला, जिसकी उम्र 73 साल थी. वो कहता हैं कि 'ऑस्ट्रेलिया में मुझे बार में जाने पर कोई नहीं पसंद करता, लेकिन यहां लोग मुझे पसंद करते हैं. यहां लोगों को जो चीज़ चाहिए, वो मैं दे सकता हूं और मुझे जो चाहिए वो ये लोग दे सकते हैं. यहां के लोग उम्रदराज़ मेल सेक्स वर्कर को पसंद करते हैं. पैसा ही सब कुछ है. ये सिर्फ़ लेन-देन का मामला है.'

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रेड लाइट एरिया में मिले अपने अनुभवों को LUKE ने शेयर किया है और कुछ फोटोज़ को भी.

कुछ भी कहिए, अपने शरीर को पैसे के लिए बेच पाना सबके बस की बात नहीं है. लेकिन जो लोग इसे करते हैं, वे सचमुच ऐसा करने को मजबूर हैं. इनकी चमक-दमक नहीं, इनके वो घाव देखिए, जो इनकी तक़दीर बन चुके हैं. आपको क्या लगता है, हमें ज़रूर कमेंट करके बताइए. 

8:05:00 am

प्राचीन रोम की ये कहानी है पिता-पुत्री के प्रेम की सबसे ऊंची और अजीब मिसाल

प्राचीन रोम की ये कहानी है पिता-पुत्री के प्रेम की सबसे ऊंची और अजीब मिसाल

रोम के एक इतिहासकार वलेरियस मैक्सिमस ने अपनी किताबFactorum Ac Dictorum Memorabilium में सदियों पहले एक घटना दर्ज की है. ये घटना नैतिकता के विपरीत होते हुए भी मानवीय मूल्यों पर खरी उतरती है. इसीलिए उसने इसे महान पुण्यशीलता या रोमन सम्मान का नाम दिया है.

पुरातन रोम में साइमन नाम के एक बुज़ुर्ग आदमी को आजीवन भूखे रहने की सज़ा दी गई. उसे एक कालकोठरी में बंद दिया गया और सख्त पहरा लगा दिया गया. राजा का हुक्म था कि जब तक ये मर न जाए इसे न तो कुछ खाने को दिया जाए और न कुछ पीने को. यहां तक कि पानी भी नहीं.

बूढ़े साइमन की एक बेटी थी जिसका नाम पेरू था. वो राजा के पास फ़रियाद ले कर गई कि मेरे पिता अब ज़्यादा देर तक ज़िन्दा नहीं रहेंगे इसलिए रोज़ाना मुझे उनसे मिलने की अनुमति दी जाए. राजा को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी. उसने आज्ञा दे दी परन्तु ये हुक्म भी दिया कि मिलने से पहले पेरू की अच्छी तरह से तलाशी ली जाए ताकि वो कोई भी खाने-पीने का सामान अन्दर न ले जा सके. आज्ञा का पालन किया गया. सैनिक उसकी अच्छी तरह से तलाशी लेते. रोजाना पेरू अपने बूढ़े पिता साइमन से मिलने जाती.

रोज़ यही क्रम चलता रहा. काफी दिन बीत गए. जेलर ने साइमन की हालत देखने की सोची. उसको आशंका थी कि साइमन भूख-प्यास से बेसुध और बेहोशी की हालत में मरने की कागार पर होगा. उसे जेल में डाले आज तीसरा हफ्ता पूरा हो गया है. परन्तु जब उसने साइमन को देखा तो हैरान रह गया. ये क्या!! वो तो भला-चंगा नज़र आ रहा था.बिना खाए-पिए जहां उसे हफ्ते-दस दिन में मर जाना चाहिए था, वो आश्चर्यचकित रूप से तीसरे हफ्ते तक न सिर्फ ठीक-ठाक नज़र आ रहा था, परंतु हरकत भी कर रहा था. हालांकि वो सामान्य से कमज़ोर था, परंतु फिर भी असामान्य रूप से स्वस्थ था. उसको शंका हुई कि पेरू कोई न कोई खाने-पीने की चीज़ ज़रूर इसके लिए ले कर आती है. उसने पेरू और साइमन की मुलाकात देखने की सोची और एक कोने में छिप कर बैठ गया.

पेरू के आने का वक़्त हुआ. वो आई और साइमन से दो चार बातें कीं. उसके बाद जेलर ने जो देखा उससे उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं. बड़ी चालाकी से पेरू ने बाहर खड़े सैनिकों की तरफ पीठ कर ली और फिर उसने धीरे से अपनी चोली उठाई और अपना स्तन अपने बूढ़े बाप के मुंह को लगा दिया. बूढ़ा बाप ने बेबसी से आंखें बंद कीं और चुपचाप स्तनपान करने लगा. जेलर ये देख कर हक्का-बक्का रह गया. उसने ऐसा दृश्य देखे जाने की कल्पना तक न की थी. वो बाहर आया और उन दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया. उन दोनों को खूब गालियां दी और पेरू को भी अपने बाप के साथ बंद कर दिया गया.

बात जंगल में आग की तरह फ़ैल गई. राजा को पता चला तो वो बहुत क्रोधित हुआ. उसने उन दोनों को राजदरबार में पेश होने का हुक्म दिया. साइमन और पेरू की खूब थू-थू हुई. लोगों ने कहा कि इन दोनों ने बाप-बेटी के रिश्ते को कलंकित किया है, इसलिए इन्हें सख्त से सख्त सज़ा दी जानी चाहिए.

जहां हर तरफ इन बाप-बेटी के खिलाफ बातें हो रही थीं, वहीं कुछ लोगों ने इसका दूसरा पक्ष भी देखा.उन्होंने कहा कि ये घटना पिता और पुत्री के अतुलनीय प्रेम का उदाहरण है. पेरू का अपने पिता के प्रति प्रेम बिलकुल सच्चा था और वो किसी भी कीमत पर उसकी जान बचाना चाहती थी, इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया. धीरे-धीरे लोगों पर इस घटना के सकारात्मक पक्ष का ज़्यादा प्रभाव पड़ने लगा. उनकी पेशी के दिन लोग सड़कों पर उतर आए और राजमहल के बाहर इकठ्ठा हो गए. विद्रोह के डर से और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए राजा द्वारा भावनात्मक फैसला सुनाया गया, जिसमें सिर्फ पेरू को ही नहीं स्वतंत्र किया गया, बल्कि उसके पिता साइमन को भी दंडमुक्त कर दिया गया.

8:01:00 am

जब सोने के विमान से उतरे सुल्तान तो सब की अांखे फटी रह गई

जब सोने के विमान से उतरे सुल्तान तो सब की अांखे फटी रह गई

कैनबरा, आइएएनएस। शाही अंदाज के लिए दुनिया भर में विख्यात मलेशिया के सुल्तान इब्राहिम इस्माइल ने एक बार फिर इसका परिचय दिया है। इब्राहिम गुरुवार को जब स्वर्ण जड़ित विमान से पर्थ के हवाई अड्डे पर उतरे तो लोगों की आंखें फटी रह गई।
इब्राहिम अपनी पत्नी रजा जरिथ सोफिया के साथ आस्ट्रेलिया की यात्रा पर पहुंचे हैं। वह पश्चिम आस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में एक शाही महल बनवा रहे हैं। दंपती निर्माण कार्य की प्रगति का मुआयना करने यहां आए हैं। दोनों आमतौर पर पश्चिम आस्ट्रेलिया में छुट्टियां बिताने आते रहते हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक सुल्तान इब्राहिम बोइंग-737 विमान से पर्थ हवाई अड्डे पर लैंड किया।
विमान की लागत सौ मिलियन डॉलर (668 करोड़ रुपये) बताई जा रही है। इब्राहिम के मनमुताबिक विमान को तैयार करने में दो साल का वक्त लग गया। इसमें डाइनिंग रूम, शयन कक्ष, शॉवर की सुविधा और तीन रसोई घर हैं। मलेशिया के सुल्तान पर्थ में वाटरफ्रंट के सामने तीन मंजिला इमारत बनवा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पश्चिमी आस्ट्रेलिया के सरकार से 6.5 मिलियन डॉलर (43.44 करोड़ रुपये) में जमीन खरीदी थी। इब्राहिम की कुल संपत्ति एक अरब डॉलर बताई जाती है।
7:44:00 am

रोज छिपकली खाता है ये शख्स, कारण जानकर चौंक जाएंगे

रोज छिपकली खाता है ये शख्स, कारण जानकर चौंक जाएंगे


टीवी पर आने वाले एडवेंचर प्रोग्राम में अक्सर आपने लोगों को गिरगिट, छिपकलियों, सांप और कीड़े-मकौड़ों को खाते देखा होगा। लेकिन भारत में एक ऐसा शख्स है जो बिना छिपकली का सूप पीए नहीं रह सकता। 

मध्य प्रदेश के मैना गांव में रहने वाला कैलाश छिपकली खाने का बेहद शौकीन इंसान है। जिसकी वजह से लोग इसे विष पुरुष भी कहते हैं।

कैलाश तकरीबन 20 सालों से छिपकली को उबालकर खाता है। यही नहीं जिस पानी में छिपकली को उबाला जाता है उस पानी को रोजाना पीता है।

सोने से पहले ये आदमी तीन छिपकलियों का जूस पीता है। इसे पिए बिना उसे नींद नहीं आती।

सोने से पहले ये आदमी तीन छिपकलियों का जूस पीता है। इसे पिए बिना उसे नींद नहीं आती।


" BBE THIINKOON " NOTHING IMPOSSIBLE


7:39:00 am

दिन में दो बार गायब हो जाता है महादेव का ये मंदिर(OM NAMAH SHIVAYA)

दिन में दो बार गायब हो जाता है महादेव का ये मंदिर



सुनने में आपको अचरज होगा, लेकिन भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जो रोजाना दो बार गायब हो जाता है। यहां आने वाले भक्त रोज इस मंदिर को गायब होते देखते हैं।

गुजरात के वड़ोदरा से कुछ दूरी पर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर को 'गायब मंदिर' नाम से भी जाना जाता है। स्तंभेश्वर नाम का यह मंदिर सुबह और शाम को पलभर के लिए ओझल हो जाता है।

ओझल होने के कुछ समय बाद ही ये मंदिर अपने स्थान पर नजर आने लगता है। इस गायब होने वाले मंदिर को देखने लोग दूर-दूर से पंहुचते हैं।

ओझल होने के कुछ समय बाद ही ये मंदिर अपने स्थान पर नजर आने लगता है। इस गायब होने वाले मंदिर को देखने लोग दूर-दूर से पंहुचते हैं।

यही वजह है कि लोग मंदिर के दर्शन तभी तक कर सकते हैं, जब तक समुद्र में ज्वार कम हो।

Om namah shivaya , har har Mahadev ,Jai Hindu hai Hindu dharm 

"BBE THIINKOON" POWER OF HINDU 
7:33:00 am

8 साल की उम्र में 8 बार बिक चुकी ये बच्ची और 100 बार हुआ रेप

8 साल की उम्र में 8 बार बिक चुकी ये बच्ची और 100 बार हुआ रेप

 

NEW DELHI:- हाल ही में इराक से 1100 महिलाओं को आईएस के चुंगल से छुडवाई गई थी। इन्ही में से एक वो थी, जो 8 साल की उम्र में 10 महीने के अंदर उसे 8 बार बेचा गया। इतना ही नहीं, उसके साथ 100 बार रेप भी हुआ। इन सबकी कुछ ना कुछ दर्दनाक कहानी जरूर है।

अब 18 साल की हो चुकी यास्मीन उन 1,100 महिलाओं में से हैं जो आईएस की कैद से छूट भागी थीं और अब जर्मनी में मानसिक इलाज करवा रही हैं। इनमें से ज्यादातर यजीदी धार्मिक समुदाय से हैं। यह यजीदी लड़की इराक के रिफ्यूजी कैंप में दो हफ्तों से छिपी हुई थी। जब उसे अपने टेंट के बाहर आईएस के लड़ाकों की आवाज सुनाई दी तो उसकी रूह कांप गई। उसे अपने साथ हुई वहशत और हैवानियत याद आ गई, जब आईएस के लड़ाकों ने उसके शरीर को नोच दिया था।

वह फिर से वही सब नहीं सहन कर सकती थी। 17 साल की यास्मीन सोचने लगी कि खुद को कैसे बचाऊं। और उसे एक ख्याल आया। एक ऐसा ख्याल जो इंसान के लिए खुदकुशी से भी बुरा हो सकता है। उसने सोचा कि अपने आप को ऐसा बदशक्ल कर लूं कि मुझे कोई देखना ही ना चाहे। यह सोचकर यास्मीन ने अपने ऊपर केरोसीन डाला और आग लगा ली। यास्मीन के बाल और चेहरा जल गए। उनकी नाक, होंठ और कान पूरी तरह पिघल गए।

जर्मनी के डॉक्टर यान इल्हान किजिलहान को यास्मीन इसी हालत में पिछले साल उत्तरी इराक के एक रिफ्यूजी कैंप में मिली थी। शारीरिक रूप से तो वह पूरी तरह नकारा हो ही चुकी थी, मानसिक तौर पर भी वह इस कदर डरी हुई थी कि डॉक्टर को अपनी ओर आते देख चिल्लाने लगी थी कि कहीं उसके अपहरणकर्ता ही तो नहीं आ गए।

 अब उन नारकीय दिनों को याद करते हुए यास्मीन जब बात भी करती है तो उसकी मुट्ठियां भींच जाती हैं और वह कुर्सी को कसकर पकड़ लेती है। उसे याद आता जब डॉक्टर यान पहली बार उसके कैंप में आए थे और उसकी मां से कहा था कि जर्मनी में उसकी मदद हो सकती है। वह बताती है, "मैंने कहा, बेशक मैं वहां जाना चाहती हूं और सुरक्षित रहना चाहती हूं। मैं फिर से वही पुरानी यास्मीन बनना चाहती हूं।" यास्मीन अपना पूरा नाम जाहिर नहीं करना चाहती क्योंकि अब भी उसे डर लगता है

7:29:00 am

नीले रंग में ही क्यों दिखते हैं भगवान विष्णु, ये है रहस्य


नीले रंग में ही क्यों दिखते हैं भगवान विष्णु, ये है रहस्य

पौराणिक कथाओं में हिन्दू देवी-देवताओं के अवतार के बारे में विवरण मिलता है, जिसमें उनके द्वारा धारण किए गए वस्त्रों, प्रतीकों और अलंंकारों के बारे में बताया गया है. जैसे भगवान शिव के बारे में उनके नीले कंठ से जुड़ी हुई समुद्र मंथन की एक कहानी मिलती है. उसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी क्यों प्रिय है इसका रहस्य भी पौराणिक कहानियों में बताया गया है.

क्या है नीले रंग का रहस्य

इसी प्रकार आपने भगवान विष्णु के ऐसे कई चित्र देखें होंगे, जिसमें उनका रंग नीला दिखाया गया है. बहुत कम लोग भगवान विष्णु के इस नीले रंग के रहस्य को जानते हैं. वास्तव में भगवान विष्णु का ये नीला रंग जीवन के प्रति हमें एक नजरिया भी देता है. जीवन के इस रहस्य को समझकर हम स्वयंं में ये गुण उतार सकते हैं.

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भगवान विष्णु के नीले रंग का ये है अर्थ

नीला रंग आकाश का प्रतीक है यानि जिस प्रकार आकाश अपरिभाषित है, उसी प्रकार भगवान विष्णु भी अपरिभाषित हैंं. आकाश की तरह ही वो बहुत विशाल हैं. जीवन में नीला रंग हर परिस्थिति में विशाल होने का सूचक है. नीला रंग समुद्र और जल का भी होता है. भगवान विष्णु समुद्र में देवी लक्ष्मी के साथ निवास करते हैं. इस कारण भी उनका नीला रंग है.

नीले रंग से जीवन के प्रति ये भी नजरिया मिलता है कि जिस तरह पानी हर एक चीज को स्वयंं में घोलकर भी अपना अस्तित्व जीवित रखता है, उसी प्रकार हमें भी जीवन के प्रत्येक रंग या परिस्थिति को खुद में समाहित करके सामंजस्य बिठाकर चलना चाहिए.पौराणिक कहानियों के अनुसार ये भी माना जाता है कि समुद्र के भीतर जलचरों के साथ निवास करने के कारण भी भगवान विष्णु ने समुद्र का नीला रंग स्वयंं में धारण कर लिया था
इस वरदान को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु को लेना पड़ा श्रीकृष्ण के रूप में जन्म

श्रीकृष्ण के जन्म की कथा तो हम सभी जानते हैं. अपने मामा कंस के पापों का अंत करने और धर्म की स्थापना करने के लिए श्रीकृष्ण ने मनुष्य के रूप में धरती पर जन्म लिया था. पौराणिक कहानी के अनुसार श्रीकृष्ण के जन्म के पीछे एक सीख छुपी हुई है. धर्म और न्याय की स्थापना के लिए श्रीकृष्ण को जन्म लेते ही अपने माता-पिता को छोड़कर जाना पड़ा.
आंधी, तूफान के बीच वासुदेव अपने अबोध पुत्र कृष्ण को एक टोकरी में रखकर अपने मित्र नंदलाल के घर पहुंच गए. नंदलाल और यशोदा माता ने श्रीकृष्ण का पालन-पोषण किया. श्रीकृष्ण जन्म की कहानी को पढ़कर अधिकतर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि आखिर श्रीकृष्ण ने देवकी के गर्भ में जन्म क्यों नहीं लिया, वो चाहते तो यशोदा माता के गर्भ से भी जन्म ले सकते थे.

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इस कारण श्रीकृष्ण ने लिया था देवकी के गर्भ से जन्म

इसके पीछे एक पौराणिक कहानी मिलती है. इस कहानी के अनुसार पिछले जन्म में देवकी भगवान विष्णु की भक्त थी. वो भगवान विष्णु जैसा पुत्र ही प्राप्त करना चाहती थी, लेकिन भगवान विष्णु अवतार थे, इस कारण पिछले जन्म में देवकी का ये वरदान पूरा करना बहुत मुश्किल था.
तब भगवान विष्णु ने देवकी को वचन दिया कि द्वापर युग में वो कृष्ण के रूप में अवतरित होंगे, फिर वो मनुष्य के रूप में जन्म लेने पर देवकी के गर्भ से ही जन्म देंगे. इस प्रकार देवकी का पूर्वजन्म का वरदान फलित करने के लिए श्रीकृष्ण ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया था
गांधारी के शाप के बाद जानें कैसे हुई भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु

महाभारत पर आधारित अधिकांश पौराणिक कथाओं की माने तो महाभारत की सभी घटनाओं के लिए भगवान श्रीकृष्ण को ही जिम्मेदार माना गया है. उन्होंने ही धर्म की संस्थापना के लिए महाभारत युद्ध को होने दिया लेकिन ऐसा करने के बाद अर्थात हस्तिनापुर में धर्म की संस्थापना के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने क्या खोया यह आज भी लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय है.

गांधारी का शाप

युद्ध के बाद महर्षि व्यास के शिष्य संजय ने जब गांधारी को इस बात की जानकारी दी कि अपने साथियों के साथ पांडव हस्तिनापुर में दस्तक दे चुके हैं तो उनका दुखी मन गम के सागर में गोते लगाने लगा, सारी पीड़ा एकदम से बाहर आ गई. उनका मन प्रतिशोध लेने के लिए व्याकुल हो रहा था इसके बावजूद भी वह शांत थी, लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि पांडवों के साथ भगवान श्रीकृष्ण भी है तो वह आग बबूला हो गईं. वह सभा में जाकर श्रीकृष्ण पर क्रोधित होने लगी और कहा कि “तुम्हे विष्णु का अवतार कहा जाता है, तुम्हारी भगवान की तरह पूजा की जाती है लेकिन जो तुमने काम किया है वह काफी शर्मनाक है”.

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महान तपस्विनी गांधारी आगे कहती हैं “अगर युद्ध का परिणाम पता था तो तुम इसे टाल भी सकते थे, क्यों इतने लोगों की हत्या होने दी? मैंने आपसे कई बार अनुरोध किया कि इस विनाश को होने से रोक लो लेकिन आपने एक नहीं सुनी. अपनी माता देवकी से पुछो कि पुत्र के खोने का गम क्या होता है”?

गांधारी की बाते सुनकर भगवान श्रीकृष्ण मुसकुरा रहे थे. श्रीकृष्ण का यह रूप देख गांधारी हैरान थी तथा उनका गुस्सा और बढ़ गया. उन्होंने कहा “अगर मैंने भगवान विष्णु की सच्चे मन से पुजा की है तथा निस्वार्थ भाव से अपने पति की सेवा की है, तो जैसा मेरा कुल समाप्त हो गया, ऐसे ही तुम्हारा वंश तुम्हारे ही सामने समाप्त होगा और तुम देखते रह जाओगे. द्वारका नगरी तुम्हारे सामने समुद्र में डूब जाएगी और यादव वंश का पूरा नाश हो जाएगा”

भगवान श्रीकृष्ण को शाप देने के बाद माता गांधारी की आंखे बंद हो गई और क्रोध की अग्नि भी शांत हो गई. वह भगवान श्रीकृष्ण के कदमों में जा गिरी. श्रीकृष्ण ने मुस्कुराते हुए गांधारी को उठाया और कहा “‘माता’ मुझे आपसे इसी आशीर्वाद की प्रतीक्षा थी, मैं आपके शाप को ग्रहण करता हूं”. हस्तिनापुर में युधिष्ठिर का राज्याभिषेक होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण द्वारका चले गएं.

ऋषि मुनियों का शाप

विश्‍वामित्र, असित, ऋषि दुर्वासा, कश्‍यप, वशिष्‍ठ और नारद आदि बड़े-बड़े ऋषि विभिन्न जगहों की यात्रा करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम से मिलने के लिए द्वारका पहुंचे. वहां श्रीकृष्ण के भक्त इन ऋषि मुनियों का आदर सत्कार करना तो दूर उन्हें अपमानित करने लगे.

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एक बार तो श्रीकृष्ण और जाम्‍बवती नंदन साम्‍ब को स्‍त्री वेश में सजाकर इन ऋषि मुनियों के पास ले जाया गया और उनसे पूछा गया- “ऋषियों, यह कजरारे नैनों वाली बभ्रु की पत्‍नी है और गर्भवती है. यह कुछ पूछना चाहती है लेकिन सकुचाती है. इसका प्रसव समय निकट है, आप सर्वज्ञ हैं. बताइए, यह कन्‍या जनेगी या पुत्र”. ऋषियों से मजाक करने पर उन्‍हें क्रोध आ गया और वे बोले, “श्रीकृष्‍ण का पुत्र साम्‍ब वृष्णि और अर्धकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए लोहे का एक विशाल मूसल उत्‍पन्‍न करेगा. केवल बलराम और श्रीकृष्‍ण पर उसका वश नहीं चलेगा. बलरामजी स्‍वयं ही अपने शरीर का परित्‍याग करके समुद्र में प्रवेश कर जाएंगे और श्रीकृष्‍ण जब भूमि पर शयन कर रहे होंगे, उस दौरान जरा नामक व्याध उन्‍हें अपने बाणों से बींध देगा”. एक अन्य कथा में ऐसा माना जाता है कि यह शाप ऋषि दुर्वासा ने अपमानित करने के बदले यदुवंशी बालकों को दी थी.

मुनियों की यह बात सुनकर वे सभी किशोर भयभीत हो गए और ऋषियों से क्षमा मांगी. उन्‍होंने तुरंत साम्‍ब का पेट (जो गर्भवती दिखने के लिए बनाया गया था) खोलकर देखा तो उसमें एक मूसल मिला. यादव और ज्यादा घबरा गएं. उन्होंने यह बात राजा उग्रसेन सहित सभी को को बताई. उग्रसेन ने मूसल का चूरा-चूरा करवा दिया तथा उस चूरे व लोहे के छोटे टुकड़े को समुद्र में फिंकवा दिया जिससे कि ऋषियों की भविष्यवाणी सही न हो. इस घटना के बाद द्वारका के यादव सबकुछ भुल गए थे.

लेकिन जिस लोहे के टुकड़े को समुद्र में फेंका गया था उसे एक मछली निगल गई और चूरा लहरों के साथ समुद्र के किनारे आ गया और कुछ दिन बाद एरक (एक प्रकार की घास) के रूप में उग आया. मछुआरों ने उस मछली को पकड़ लिया. उसके पेट में जो लोहे का टुकडा था उसे जरा नामक ब्‍याध ने अपने बाण की नोंक पर लगा लिया.

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शाप का असर

द्वारका में मदिरा का सेवन करना प्रतिबंधित था लेकिन महाभारत युद्ध के 36 साल बाद द्वारका के लोग इसका सेवन करने लगे. लोग संघर्षपूर्ण जीवन जीने की बजाए धीरे-धीरे विलासितापूर्ण जीवन का आनंद लेने लगे. गांधारी और ऋषियों के शाप का असर यादवों पर इस कदर हुआ कि उन्होंने भोग-विलास के आगे अपने अच्छे आचरण, नैतिकता, अनुशासन तथा विनम्रता को त्याग दिया.

एक बार यादव उत्सव के लिए समुद्र के किनारे इकट्ठे हुए. वह मदिरा पीकर झूम रहे थे और किसी बात पर आपस में झगड़ने लगे. झगड़ा इतना बढ़ा कि वे वहां उग आई घास को उखाड़कर उसी से एक-दूसरे को मारने लगे. उसी 'एरका' घास से यदुवंशियों का नाश हो गया. हाथ में आते ही वह घास एक विशाल मूसल का रूप धारण कर लेती. श्रीकृष्‍ण के देखते-देखते साम्‍ब, चारुदेष्‍ण, प्रद्युम्‍न और अनिरुद्ध की मृत्‍यु हो गई. इस नरसंहार के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने इसकी जानकारी हस्तिनापुर के राजा युधिष्ठर को भिजवाई और अर्जुन को द्वारका भेजने के लिए कहा. श्रीकृष्ण के बुलावे पर अर्जुन द्वारका गए और वज्र तथा शेष बची यादव महिलाओं को हस्तिनापुर ले गए.

भगवान श्रीकृष्ण का अंतिम समय

इस घटना के बाद बलराम ने समुद्र में जाकर जल समाधि ले ली. यह जान भगवान श्रीकृष्ण भी उनके समाधि लेना चाहता थे लेकिन बलराम की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नई आई.

भगवान श्रीकृष्ण महाप्रयाण कर स्वधाम चले जाने के विचार से सोमनाथ के पास वन में एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ कर ध्यानस्थ हो गए. तभी जरा नामक एक बहेलिए ने वन में प्रवेश किया और भूलवश भगवान श्रीकृष्ण को हिरण समझकर विषयुक्त बाण चला दिया, जो उनके पैर के तलुवे में जाकर लगा और भगवान श्रीकृष्ण स्वधाम को पधार गए. इस तरह गांधारी तथा ऋषियों के शाप से समस्त यदुवंश का नाश हो गया और कृष्ण के देहांत के बाद द्वापर का अंत और कलियुग का आरंभ हुआ

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