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मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

9:46:00 am

भारत की इन खतरनाक सड़कों पर ड्राइव करने वाला ही असली ड्राईवर

भारत की इन खतरनाक सड़कों पर ड्राइव करने वाला ही असली ड्राईवर

भारत में बहुत से घाट, घाटी और पहाड़ी रास्ते है, जिनमें से कुछ रास्ते इतने खतरनाक है, जहां हर समय मौत का साया मंडराता रहता है। यदि आप भी ऐसी ही किसी जगह जा रहे हैं, तो यह देख लें कि कहीं आपकी मंजिल के रास्ते में यह खतरनाक रास्ते तो नहीं है और यदि है तो आप संपूर्ण इंतजाम और सावधानी से जाएं। कहते हैं कि जानकारी ही बचाव है।हालांकि यदि आप रोमांचक और साहसिक यात्रा के शौकिन है तो यह रास्ते आपने लिए सबसे अच्छे साबित होंगे,

जोजी ला पास, जम्मू कश्मीर

जोजी ला पास भारत की सबसे खतरनाक सड़कों में से एक है। यहां पर गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर की सांसें हलक में अटकी रहती है, क्योंकि एक छोटी सी चूक से भी उनकी जान जा सकती है। बता दें कि सी लेवल से 3,538 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये रोड लद्दाख और कश्मीर को जोड़ता है।

कोल्ली हिल्स, तमिलनाडु

तमिलनाडु का कोल्ली हिल्स एक पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। लेकिन यहां तक जाने का मतलब जान जोखिम में डालने जैसा है। इस कारण से इस हिल को माउंटेन्स ऑफ डेथ के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, कोल्ली हिल्स तक पहुंचने के लिए घाटों से होकर गुजरना पड़ता है।

केलॉन्ग-किश्तवार रोड, हिमाचल प्रदेश

केलॉन्ग-किश्तवार रोड दुनिया के सबसे ज्यादा खूबसूरत और खतरनाक रास्तों में एक है। अगर आप नई-नई गाड़ी चलाना सीखे हैं, तो इस सड़क पर न जाने में ही आपकी भलाई है। ये रास्ता हिमाचल प्रदेश के केलॉन्ग से किश्तवाड़ के बीच में पड़ता है।

स्पिति वैली, हिमाचल प्रदेश

इस सड़क को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितनी खतरनाक होगी। यहां पर ड्राइवर्स को कई विपरित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इस पहाड़ी की ढलान इसे और खतरनाक बनाती है। ठंड के मौसम में कब बर्फबारी शुरू हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। इस रास्ते पर जाने के लिए अप्रैल से अक्टूबर तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है।

एनएच 22 किन्नौर रोड, हिमाचल प्रदेश

किन्नौर रोड पर चलते हुए आपको संकरी अंधेरी गुफाएं और लटकती हुई चट्टानें मिलेंगी। एक छोटी सी गलती आपको यहां बहनेवाली बस्पा नदी में पहुंचा सकती है। इसके अलावा भी इस रास्ते में आपको कई दिल-दहलाने वाले खतरों का सामना करना पड़ता है।

चांगला

गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति जब भी यहां से गुजरता है तो उसकी जान अटकी हुई होती है, क्योंकि ऐसा खतरनाक रास्ता कभी भी कहीं भी जान ले सकता है। चांगला की ज्यादातर जगहें सालभर बर्फ से ढकी हुई होती है। यहां पर हमेशा भारतीय सेना मौजूद होती है, क्योंकि अक्सर बर्फ गिरने की वजह से लंबा जाम लग जाता है और यहां की सड़के मोटी बर्फ की चादर ओढ़ लेती है। जिसे दिन-रात सेना के जवान रास्ते को साफ रखने में मदद करते हैं। यहां पर जाते वक्त गरम कपड़े और दवाईयां जरूर साथ में ले जाना चाहिए। यहां की ठंडी हवाएं आपको स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।

रोहतांग पास, लेह-मनाली रोड

जब वी मेट फिल्म में इस रास्ते की खूबसूरती को दिखाया गया था, लेकिन रियल में ये रोड बेहद ही खतरनाक है। इस कारण से इसे Pile Of Corpses (लाशों का ढेर) भी कहा जाता है। दरअसल, खराब मौसम की वजह से अब तक इस रोड पर कई लोगों की मौत हो चुकी है। यहां लैंडस्लाइड होना आम बात है।

9:39:00 am

भारत का सबसे साफ-सुथरा शहर, यहां कूड़ा बेचकर कमाई करते हैं लोग

भारत का सबसे साफ-सुथरा शहर, यहां कूड़ा बेचकर कमाई करते हैं लोग

वोट बटोरने के लिये सफाई का मुद्दा तो हर नेता छेड़ रहा है लेकिन जहां बात इस मुद्दे को अमल में लाने की होती है तो अच्छे-अच्छे के पसीने छूट जाते हैं। हर जगह लगे गंदगी के ढ़ेर इसका जीता जागता उदाहरण है।

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की भारत में ही एक शहर ऐसा भी हे जो जिसे भारत का सबसे साफ सुथरा शहर घोषित किया गया है। जी हां, ये शहर है मैसूर। इस हकीकत से तो हर कोई वाकिफ है कि कोई भी काम तभी सफल हो सकता है जब उसमें सभी का योगदान हो। इस मामले में मैसूर के लोग वाकई तारीफ के काबिल हैं। इनाडुइंडिया के अनुसार मैसूर के शहर कुंबर कोप्पल में अपने शहर को साफ रखने के साथ-साथ कूड़े से कमाई भी कर रहे हैं। कुंबर कोप्पल के नागरिक कार्यकर्ता जीरो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की देखरेख करते हैं। यहां तक कि मैसूर के इस छोटे से कस्बे में कूड़े-कचरे से होने वाली आय ही उनकी कमाई का मुख्य साधन है।

कुंबर कोप्पल में प्रतिदिन 200 घरों से कूड़ा-कचरा इकट्ठा कर गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। इस कचरे का 95 प्रतिशत हिस्सा भेज दिया जाता है। फिर इसे वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में भेज दिया जाता है जहां प्रतिदिन पांच टन कचरे से खाद तैयार की जाती है।

इसी प्रकार इकट्ठे किये गये गीले कचरे से कंपोस्ट में बदल दिया जाता है, जिसे किसानों को उर्वरक के रूप में बेचा जाता है। वहीं सूखा कचरा प्लास्टिक और मैटल के सामान को इकट्ठा कर बेच दिया जाता है। इससे प्राप्त आय को साफ सफाई में लगे कार्यकर्ताओं के बीच बांट दिया जाता है। आय के अलावा इन कार्यकर्ताओं को इस कार्य के बदले आवास और स्वास्थ्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती है। इसके साथ ही इस कमाई के एक हिस्से को जीरो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की मैंटेनेंस के लिये खर्च किया जाता है।

मैसूर को सुंदर और साफ सुथरा बनाने में यहां कि \'स्त्री शक्ति\' का महत्वपूर्ण योगदान है। यह यहां रहने वाली महिलाओं का समूह है जो हर घर से कूड़ा कचरा एकत्रित करता है और वहां के लोगों को स्वच्छता के लिये जागरूक भी करता है। ध्यान देने योग्य बात ये है कि यहां रहने वाला प्रत्येक नागरिक सफाई का बहुत ध्यान रखता है इसलिये मैसूर का नाम सबसे स्वच्छ शहरों में आता है।

मैसूर के कुंबर कोप्पल एक ऐसा उदाहरण है जो कहता है कि एक छोटा सा प्रयास बहुत कुछ बदल सकता है। जरूरत है तो बस जागरूक होने की।

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