जिंदगी भर सिर्फ 3 साडिय़ों में रहने वाली मदर टेरेसा को इन चमत्कारों ने बना दिया संत
जिंदगी भर सिर्फ 3 साडिय़ों में रहने वाली मदर टेरेसा को इन चमत्कारों ने बना दिया संत
कम से कम दो चमत्कार करना जरूरी है संत का दर्जा पाने के लिए
फोटो- मदर टेरेसा की पुरानी तस्वीर।
भारत रत्न मदर टेरेसा को रविवार को वेटिकन सिटी में एक समारोह के दौरान रोमन कैथोलिक चर्च के पोप उन्हें संत की उपाधि दी। इस समारोह में दुनियाभर से आए मदर के एक लाख अनुयायी भी हुए। इस समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में केंद्र सरकार का एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, दिल्ली से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में और बंगाल से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य स्तरीय दल भी इस कार्यक्रम में शरीक होंगे।
मदर टेरेसा के पास जिंदगीभर सिर्फ 3 साडिय़ां ही रहीं। जो वो खुद ही धोती थीं। वे कहा करती थी कि दुनिया में हजारों लाखों लोग ऐसे हैं जिनके पास तन ढकने के लिए भी कपड़े नहीं हैं। जितने कम कपड़ों से काम चल जाए वो बेहतर क्योंकि ये भी मानवता की सेवा ही है। 1997 में मदर टेरेसा का निधन हो गया था, लेकिन मदर टेरेसा के नाम से दो बीमारियों के चमत्कारिक ढंग से ठीक होने के बाद वेटिकन ने उन्हें संत बनाने का रास्ता साफ कर दिया था। बता दें कि संत का दर्जा पाने के लिए कम से कम दो चमत्कार करना जरूरी है।
पहला चमत्कारओडिशा की एक महिला मोनिका बेसरा को पेट का अल्सर था। दावा किया गया कि 2002 में मिशनरी ऑफ चैरिटी की ननों द्वारा की गई प्रेयर से वो ठीक हो गई थी। ननों ने मदर टेरेसा की तस्वीर वाले लॉकेट को मोनिका के पेट पर फेरा था जिसके बाद वह ठीक हो गई। खुद मोनिका ने कहा था कि उसे एक पोट्रेट से चमत्कारिक किरणें निकलती दिखाई दी थीं। हालांकि इस पर काफी विवाद हुआ था क्योंकि मोनिका के पति का कहना था कि उसकी पत्नी चमत्कार से नहीं बल्कि इलाज से ठीक हुई थी।
दूसरा चमत्कारब्राजील में ब्रेन डिसीज से परेशान एक इंजीनियर मार्सिलियो ब्रेन ट्यूमर से परेशान था। उसके घर वालों ने मदर टेरेसा से प्रार्थना की कि उनका बेटा ठीक हो जाए। 17 दिसंबर 2015 को चर्च ने कहा कि टेरेसा की प्रार्थना से ही वह युवक ठीक हो पाया। इसे मौजूदा पोप फ्रांसिस ने मान्यता दी थी।
नोबेल मिला तो डिनर कैंसिल कर गरीबों पर खर्च किया पैसा
बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी होगी कि मदर टेरेसा को 1979 में जब नोबेल पीस अवॉर्ड मिला तो उन्होंने प्रोग्राम के बाद होने वाला डिनर कैंसिल करवा दिया था। उन्होंने कहा कि वे इस पर खर्च होने वाला पैसा कोलकाता के गरीबों पर खर्च करना चाहेंगी। मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा में ही बिताया। वे किसी की सेवा करते समय किसी भी बात से किरकती नहीं थी।
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