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रविवार, 18 सितंबर 2016

ज्योतिष द्वारा मनपसन्द सन्तान कैसे हो

ज्योतिष द्वारा मनपसन्द सन्तान कैसे हो


मनचाही सन्तान लड़का या लड़की उत्पन्न करना हमारे वश की बात है बसर्ते हमें इस विषय पर प्रयाप्त और ठीक ठाक जानकारी हो । शास्त्र सम्मत बिधी बिधान के अनुसार मन पसन्द सन्तान की उत्पत्ती कैसे हो इस पर चर्चा हम यहाँ करेंगे । सभी दम्पति यह चाह्ते है की उनकी सन्तान स्वस्थ , सुन्दर और बुद्धिमान हो , साथ ही साथ दम्पति खुद निर्णय करे की उन्हे पुत्र चाहिए या पुत्री , लेकिन यह वहुत कम दंपत्ति जानते है की  ऐसा कैसे हो सकता है ।
यह जो बिधी हम बताने जा रहे है यह 100 प्रतिशत सफल सिद्ध हुयी है एक दम्पति ने इस बिधी का पालन किया फलस्वरूप  पांच पुत्रियों के बाद पुत्र उत्पन्न करने में सफलता पाई ।  गर्भ धारण संस्कार का उचित समय दो बातो पर निर्भर करता है । आपको लड़का चाहिए या लड़की । पुत्र को जन्म देने की इछा से किये जाने बाले गर्भधारण संस्कार का उचित समय ... एक तो यह की उस समय शुक्ल पछ  हो और दुसरी यह है की जिस दिन पत्नी का मासिक धर्म सुरु हुवा हो उस दिन रात को पहली रात मानकर गिनने पर आठमी , दशमी , बरहमी , या  चौदहमी रात हो ।
यह तो हुयी मोटी बात , मुख्य और जरुरी बाते जिसका पालन होना अनिवार्य होता है वह यह की इस गणित के अनुसार आगामि महीनो में ऐसा संयोग कब बनेगा । जब इधर स्त्री का मासिक धर्म शुरू हो और उधर शुक्ल पक्छ की एकंम  तिथि (परवा ) एक ही ही दिन पड़ जाये /  एक दो दिन आगे पीछे भी शुरू हो तो कार्य सिद्ध होने में कोई बाधा नहीं पड़ती / गणित के इस बिबरण को फर्मुला मान ले और जब भी पत्नी का ऋतुस्राव शुक्ल पछ की तिथियों से संयोग कार्यक्रम निर्धारीत कर ले / अवं अच्छी तैयारी के साथ अनुकूल रात्रियों में गर्भधान संस्कार आयोजित करे / सारे प्रयत्न निष्ठां पुर्बक और सतर्कता के साथ करे और फल भगवान पर छोड दे \ प्रायः संतान न होने के लिए स्त्री ( पत्नी ) को दोषी ठहराया जाता है और बदनाम भी किया जाता है / यदि पुरुष के सुक्र में पर्याप्त शुक्राणु नहीं हो .गर्भ स्थापित न होने का कारण स्त्री नहीं पुरुष होगा / नये बैज्ञानीक अनुसन्धान के आधार पर कहा जा सकता है . की व्यक्ती अपनी इछा से लड़का या लड़की पैदा कर सकता है . इस बात के वैज्ञानीक प्रमाण मिल चुके है . / स्त्री के अंडे ( ovum ) में केवल ( X ) क्रोमोसोम पाये जाते है . जबकि पुरुष में X और Y दोनों क्रोमोशोम्स होते है / यदि X और Y क्रोमोशोम्स का संजोग हो तो लड़का शरीर बनता है / और यदी गर्भधान के समय पुरुष के शुक्र में X क्रोमोशोम्स गैर मौजूद हुवा तो गर्भधान लड़की का हो जायेगा / भारतीय जयोतिष के अनुसार शुक्ल पछ के समय सम संख्या बाली आठवी .दशवी . बारहमी . अदि रात्रियो में गर्भधान करने से पुत्र प्राप्ति का बिधान बताया गया है / इन रात्रियो में चंद्रमा के प्रभाव से शुक्र में X क्रोमोशोम्स की उपस्थीती बनी रहती है / बैज्ञानिको के अनुसंधानानुसार चन्द्रमा के प्रभाब से पुरुषो के शुक्र में X क्रोमोसोम्स प्रयाप्त मात्रा में मौजुद पाई गई एवं बिशम रात्रियों में Y क्रोमोशोम्स की अधिकता थी / स्त्री अपने मासिक अबधी के 12 वे से 14 वे दिन के मध्य अत्यधिक प्रजनन सामर्थ्य रखती है /यदि पुत्र उत्पन्न करने की अभिलाषा हो तो पति व पत्नी को बड़े सयम के साथ गर्भधान के लिए सतर्कता पूर्वक नियम का पालन करते हुवे स्त्री के मासिक धर्म का पहला या दूसरा दिन शुक्ल पछ की पहली व दूसरी तिथि के साथ साथ पड़े तो सर्वाधीक प्रजनन छमता बाले 12 वे एवम 14 वे रात पुरुष के शुक्र में भी Y क्रोमोसोम्स सर्वाधिक सघन मात्रा में उपलब्ध रहते है . जो पुत्र  उत्पती के लिए अति आवश्यक और मूल कारक है / जब यह संयोग बने तभी 12 वे 14 वे दिनों में गर्भधान संस्कार होना चाहिये / अन्य दिनों में गर्भधान होने से कन्या सन्तान की सम्भाबना अधिक रहती है / यह ध्यान रखने की बात है की मासिक धर्म का पहला या दुसरा दिन शुक्ल पछ की पहली या दूसरी तिथि हो और 12 वे .. 14 वे दिनों के पहले या बाद में पुरुष ब्रम्हचर्य का पालन करे या गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करे                                    
 

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