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रविवार, 18 सितंबर 2016

रेकी आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत!!!

रेकी आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत!!!



रेकी जापानी शब्द है, जो 'रे' और 'की' दो शब्दों से मिलकर बना है। 'रे' का अर्थ है सर्वव्यापी और 'की' का मतलब है 'जीवन-शक्ति' या प्राण। इस प्रकार रेकी आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, जो ब्रह्मांड में हमारे चारों ओर व्याप्त है। समय के साथ-साथ कुछ कारणों से जब हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह असंतुलित हो जाता है, तभी हमारे शरीर पर कई रोगों का आक्रमण होता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए ऊर्जा का सुचारु रूप से प्रवाह आवश्यक है।

रेकी की खोज : ऐसा माना जाता है कि भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध और ईसा मसीह में यह उपचारक शक्ति मौजूद थी, जिससे वे किसी भी प्राणी को अपने स्पर्श मात्र से रोग मुक्त कर देते थे। इस विधि की खोज का श्रेय जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक डॉ. उसुई को जाता है। डॉ. उसुई के नाम पर ही इस प्राकृतिक उपचार को उसुई पद्धति भी कहा जाता है। उपचार की प्रकृति: रेकी चिकित्सा पद्धति में हथेलियों से छूकर उपचार किया जाता है। इसलिए यह पद्घति स्पर्श चिकित्सा की श्रेणी में आती है। रेकी उपचारक के हाथों की दोनों हथेलियों से रेकी ऊर्जा प्रवाहित होती है।

शरीर के सात चक्र : रेकी देने वाले के शरीर में ऊर्जा तरंगों के रूप में बहती है, जो उसकी हथेलियों के माध्यम से प्रवाहित होकर उपचार में मदद करती है। हमारे शरीर में सात प्रमुख चक्र होते हैं, जिससे हमारे शरीर में ऊर्जा प्रवाहित होती है। इन्हीं चक्रों में ऊर्जा के प्रवाह को सुचारु रूप से संचालित करने पर हमारे रोग दूर हो जाते हैं। इसके लिए किसी बाहरी प्रयास की आवश्यकता नहीं होती। मात्र सोचने और हथेलियां रखने से उपचार की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।

अध्यात्म में सहायक : रेकी केवल रोगों को दूर करने का एक माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन जीने की कला भी सिखलाती है। अधिकतर रोगों का मूल कारण है तनाव, चिंता, उत्तेजना और अहंकार जैसी नकारात्मक मन:स्थिति। यह विधि न केवल हमें भावनात्मक रूप से संतुलित करती है, बल्कि हमारे अंदर सकारात्मक सोच को भी विकसित करती है। अध्यात्म भी हमारे अंदर सकारात्मक सोच में ही वृद्धि करते हैं। ध्यान के सहारे हम आध्यात्म की तलाश करते हैं। रेकी भी संपूर्ण ध्यान पद्धति या मेडिटेशन तकनीक है। अध्यात्म के समान ही रेकी मानसिक स्तर पर व्यक्ति को मजबूत करती है, क्योंकि यह आपके दिमाग से नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर उसके स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा भरती हैं।रेकी का सबसे पहला कार्य मन को निरोग और स्वस्थ बनाना है। जब हमारा मन स्वस्थ होता है, तो हमारा शरीर भी स्वस्थ होता है औरहम आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर हो पाते हैं।

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