बृहस्पति देव की पूजा अर्थ और लाभ बृहस्पति की आराधना से मनोवांछित वरदान देवगुरु बृहस्पति की आराधना से मनोवांछित वरदान मिलता है इसलिए ऐसे जातक जिनकी शादी नहीं हो रही हो, उन्हें अथवा जिनका अपने जीवन साथी से सामंजस्य नहीं बनता हो, उन्हें भी गुरु को प्रसन्न रखने की हिदायत दी जाती है। इसी क्रम में आज हम देवगुरु बृहस्पति से संबंधित मंत्र, पूजा पद्धति और उन्हें प्रसन्न करने के अन्य उपायों को जानेंगे। शास्त्रों में बृहस्पति को देवगुरु माना गया है। गुरुवार को होती है आराधना गुरुवार के दिन बृहस्पति देव का पूजन किया जाता है। बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। वे धन समृद्धि, पुत्र प्राप्ति और शिक्षा के दाता हैं। उन्हें पीली वस्तुएं बेहद प्रिय हैं। देवगुरु शील और धर्म के अवतार हैं। देवताओं को हर संकट में देवगुरु ने अपने ज्ञान बल से ही बाहर निकाला। बुद्धि, ज्ञान और विद्या के देवता बृहस्पति यानि गुरु बुद्धि, ज्ञान और विद्या के देवता। ------- ज्योतिष विज्ञान के अनुसार बृहस्पति यानि गुरु बुद्धि, ज्ञान और विद्या के देवता हैं। यह गुण ही किसी व्यक्ति के चरित्र, व्यक्तित्व और भाग्य को नियत करते हैं। ------- किसी व्यक्ति का सुंदर, सात्विक, धार्मिक और आध्यात्मिक होना गुरु के शुभ होने के कारण ही होता है। दाम्पत्य सुख भी गुरु की अच्छे या बुरे योग पर निर्भर रहते हैं। गुरु बनाते हैं भाग्य यहीं नहीं जब व्यक्ति पूरे प्रयास और समय देकर भी अगर कामयाबी से दूर रहता हो, तब ऐसे वक्त नसीब का निर्णायक भी गुरु ही होता है। इस तरह गुरु बृहस्पति की पूजा से विद्या, ज्ञान प्राप्ति के साथ भाग्य बाधा खत्म हो जाती है। ------ जब किसी व्यक्ति को हर मनचाहा सुख मिलता है, तब वह स्वयं को खुशकिस्मत मानता है। किंतु थोड़ा ही कष्ट मिलने पर वह स्वयं की किस्मत को कोसने लगता है। तब वह उनसे छुटकारे के लिए तरह-तरह से धार्मिक उपायों को अपनाता है। किंतु कोई भी व्यक्ति दैनिक देव उपासना से ऐसी बदकिस्मती और परेशानियों से दूर रह सकता है। बृहस्पति पूजा की आसान विधि गुरुवार का दिन बृहस्पति आराधना के लिए नियत है। --------इस दिन सुबह नित्यकर्मों से निवृत होकर सर्वप्रथम स्नान करें। पीले वस्त्र पहनें। ------------- पीला वस्त्र पर गुरु बृहस्पति की प्रतिमा को रखकर देवगुरु चार भुजाधारी मूर्ति का पंचामृत स्नान यानि दही, दूध, शहद, घी, शक्कर कराएं। स्नान के बाद गंध, अक्षत, पीले फूल, चमेली के फूलों से पूजा करें l पीले वस्तुओं का प्रयोग पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल से बने पकवान, चने, गुड़, हल्दी या पीले फलों का भोग लगाएं। बृहस्पति मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नम:” का जप करें। बृहस्पति आरती करें। क्षमा प्रार्थना कर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। बृहस्पति कवच गुरु बृहस्पति की प्रतिमा की गंध, अक्षत, फूल से पूजा कर धूप व दीप जला पीले आसन पर बैठ नीचे लिखा बृहस्पति कवच बोलें: -------- अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुर पूजितम्। अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम्॥ बृहस्पति: शिर: पातु ललाटं पातु में गुरु:। कर्णौ सुरुगुरु: पातु नेत्रे मेंभीष्टदायक:॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें