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सोमवार, 28 नवंबर 2016

6:46:00 pm

दुनिया के ये 6 लोग मजाक-मजाक में हो गये मालामाल

दुनिया के ये 6 लोग मजाक-मजाक में हो गये मालामाल

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आज मॉडर्न टेक्नोलॉजी की वजह से हमारे पास ऐसे यंत्र आ गए हैं जिनसे खजानों का ठिकाना पता करना आसान हो गया है, इन लोगों ने सिर्फ मेटल डिटेक्टर्स की मदद से ही इन खजानों का पता लगाया।

कहते हैं न कि ढूंढने से तो भगवान भी मिल जाते हैं, फिर खजाना क्या चीज है! दुनिया में कई जगहों पर अनमोल खजाने छिपे हुए हैं लेकिन कहा ये जाता है कि जिसकी किस्मत में जो होता है उसे वही मिलता है। लेकिन अब ऐसा नही है इन खजानों को पता लगाने वाले आप और हमारे जैसे सामान्य लोग ही हैं जिनकी किस्मत और मेहनत ने उन्हें करोड़पति बना दिया। आज मॉडर्न टेक्नोलॉजी की वजह से हमारे पास ऐसे यंत्र आ गए हैं जिनसे खजानों का ठिकाना पता करना आसान हो गया है, इन लोगों ने सिर्फ मेटल डिटेक्टर्स की मदद से ही इन खजानों का पता लगाया। गजबपोस्ट के अनुसार ये है इनकी कहानी और अब आप भी लग जाइये इस खजाने की खोज में।

1. खजाना: रोमन कॉइन होर्ड

जगह: फ्रॉम, सॉमरसेट

साल: 2010


डेव क्रिस्प फ्रॉम शहर के एक खेत में कुछ ढूंढ रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि शायद एक रोमन सिक्का मिल जाए लेकिन कुछ घंटों बाद ही उनके मेटल डिटेक्टर से आवाज आने लगी। पता चला कि रोमन युग के चांदी के सिक्कों का अब तक का सबसे बड़ा खजाना उनके हाथ लग गया था।

3 दिन तक चली खुदाई में 52,000 रोमन सिक्के मिले जिसकी कीमत करीब 5,00,000 पाउंड्स थी. लेकिन दुर्भाग्य से ये सारा खजाना राजकोष में चला गया।

2. खजाना: सिल्वरडेल होर्ड

जगह: हैरोगेट, नार्थ यॉर्कशायर

साल: 2007


डेविड और उसका बेटा एंड्रू नार्थ यॉर्कशायर के एक खेत में कुछ खोज रहे थे कि तभी लोहे के टुकड़ों के बीच उन्हें चांदी का एक बाउल मिला जिस पर बहुत सुन्दर नक्काशी थी. इसके बाद खुदाई करने पर उन्हें वहां से 617 चांदी के सिक्के और 65 चांदी केआइटम्स मिले। बताया जाता है कि ये सारी चीजें 900 अऊ में फ्रांस या जर्मनी में बनी थीं। इस खजाने को यॉर्कशायर म्यूजियम को बेच दिया गया था। डेविड और खेत के मालिक को 1 मिलियन पाउंड्स की भारी रकम मिल गयी।

3. खजाना: रिंगलमेयर कप

जगह: सैंडविच, केंट

साल: 2001


एक धुंधली सुबह, कीचड़ में कुछ ढूंढते हुए, ईस्ट केंट में रहने वाले क्लिफ ब्रैडशॉ ने अपने मेटल डिटेक्टर की आवाज सुनी। वहां खुदाई करने पर उन्हें एक दुर्लभ और उत्कृष्ट सोने का प्याला मिला, जिसे अब रिंगलमेयर कप के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार का ये दुनिया में दूसरा ही प्याला है। बताया जाता है कि ये प्याला कांस्य-युग (2300 इउ) का है। इस कप को ब्रिटिश म्यूजियम ने क्लिफ ब्रैडशॉ से 2,70,000 पाउंड्स में खरीदा था। मुझे तो लगता था कि कीचड़ में सिर्फ कमल ही खिलता है, यहां तो खजाना मिल गया।

×

4. खजाना: फिशपूल होर्ड

जगह: रेवन्सहेड, नॉटिंघमशायर

साल: 1966


1966 में, एक बिल्डिंग बनाने के लिए खुदाई करने पर मजदूरों को मध्यकालीन युग के सिक्कों का खजाना मिला। ब्रिटेन के इतिहास का ये सबसे बड़ा खजाना था। 15वीं शताब्दी के इस खजाने में 1,237 सोने के सिक्के, 4 अंगूठियां, 4 गहने और 2 सोने की चेन थीं।

अनुमान ये था कि युद्ध से भागते वक्त किसी ने इस खजाने को यहां छुपा दिया था। यहां मिले गहने बहुत ही सुन्दर और अनमोल हैं, इसीलिए ब्रिटिश म्यूजियम ने इस खजाने को 3,00,000 पाउंड्स में खरीद लिया।

5. खजाना: किंग्स रैनसम

जगह: लिचफील्ड, स्टैफोर्डशायर

साल: 2009


लिचफील्ड के प्राचीन शहर में कई खजाने दफन हैं, लेकिन इस छोटे से आइलैंड पर इतना बड़ा खजाना मिलेगा, ये किसी ने नहीं सोचा था। एक किसान के खेत में खुदाई करते वक्त टेरी हर्बर्ट को 5 किलो सोने और 1.3 किलो चांदी के जेवरात मिले।

ये जेवर एंग्लो-सैक्सन आर्ट के बहुत ही नायब नमूने थे। इस खजाने की कीमत करीब 3.26 मिलियन पाउंड्स थी। ये खजाना अब ब्रिटिश म्यूजियम में रखा हुआ है।

6. खजाना: हॉक्सन होर्ड

जगह: हॉक्सन, सफिक

साल: 1992


अब तक मिले सारे खजाने मेटल डिटेक्टर की मदद से मिले हैं, लेकिन हॉक्सन का ये खजाना तक मिला जब कुछ आदमी अपना हथौड़ा ढूंढने की कोशिश कर रहे थे। पीटर व्हॉट्लिंग ने अपने दोस्त एरिक को वो हथौड़ा खोजने के लिए बुलाया लेकिन खुदाई करते वक्त उन्हें कई हीरे-जवाहरात, चांदी के चम्मच और सोने गहने मिले।

पूरी तरह खुदाई करने पर वहां से 15,000 रोमन सिक्के और 200 दूसरी दुर्लभ चीजें मिलीं। इस खजाने के लिए एरिक को 1.75 मिलियन पाउंड्स की राशि मिली जो उसने अपने दोस्त पीटर के साथ बांटी। इतनी रकम किसी खजाना ढूंढने वाले को पहली बार मिली है।

7:56:00 am

नोटबंदी के दौर में जानें विश्व के 5 सबसे महंगे नोटों के बारे में!


नोटबंदी के दौर में जानें विश्व के 5 सबसे महंगे नोटों के बारे में!

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आज हम आपको बताने जा रहे हैं. विश्व के 5 सबसे महंगे नोटों के बारे में. आपको ये जान कर हैरानी होगी कि इन 5 सबसे ताकतवर नोटों की लिस्ट में अमेरिका शामिल नहीं है. आगे की स्लाइड्स में जानें इन नोटों के बारे में...!

1 कुवैत दीनार 224.33 भारतीय रुपए.

1 बहरीन दीनार 181.70 भारतीय रुपए

1 ओमान रियाल 178.01 भारतीय रुपए

1 लात्विया लात 110.42 भारतीय रुपए.

1 जॉर्डन दीनार 96.69 भारतीय रुपए.

7:42:00 am

कहा जाता है कि यह स्थल भगवान शिव जी और पार्वती जी का विवाह स्थल है

कहा जाता है कि यह स्थल भगवान शिव जी और पार्वती जी का विवाह स्थल है

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देवाति देव महादेव और देवी पार्वती का पवित्र विवाहस्थल! भगवान शिव जी और देवी पार्वती के विवाहस्थल की मनुस्मृति! शिवभक्तों के अनुसार विश्व की उत्पत्ति शिव की कृपा से हुई है और एक दिन यह शिव में ही विलीन हो जाएगी। भगवान भोले का शृंगार, विवाह, तपस्या और उनके भक्तगण - सब अद्वितीय हैं। उनके विवाह, तपस्या और भक्तों पर कृपा की कई कथाएं प्रचलित हैं।और ये कथाएं जहाँ जहाँ घटी हैं वे जगह आज तीर्थस्थलों के रूप में प्रसिद्द हैं।

उत्तराखंड जो ऐसे ही कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं के लिए प्रसिद्द है। यहाँ के कई स्थल सिर्फ पर्यटक स्थल के रूप में ही नहीं, पवित्र तीर्थस्थलों के रूप में भी लोकप्रिय हैं। यह पवित्र राज्य कई नदियों और संगमों का भी उद्गम स्थल है, और हर एक स्थान के पीछे एक रहस्य भी जुड़ा हुआ है। यहाँ का त्रियुगीनारायण मंदिर ऐसे ही पौराणिक मंदिरों में से एक है, जो उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण गाँव में स्थित है। यह गाँव रुद्रप्रयाग जिले का ही एक भाग है। त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह स्थल भगवान शिव जी और पार्वती जी का विवाह स्थल है।

इस मंदिर की एक खास विशेषता है, मंदिर के अंदर जलने वाली अग्नि जो सदियों से यहाँ जल रही है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी और देवी पार्वती जी ने इसी अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। इसलिए इस जगह का नाम त्रियुगी पड़ गया जिसका मतलब है, अग्नि जो यहाँ तीन युगों से जल रही है। जैसा कि यह अग्नि नारायण मंदिर में स्थित है, इसलिए इसे पूरा त्रियुगीनारायण मंदिर कहा जाता है।

रुद्रप्रयाग पहुँचें कैसे? तो चलिए आज हम खुद भगवान शिव जी और देवी पार्वती के महा मिलन, उनके विवाह के साक्षी बनने के लिए चलते हैं। शिव और पार्वती का पवित्र विवाहस्थल! त्रियुगीनारायण मंदिर कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती अपने पिछले जन्म में देवी सती के नाम से भगवान शिव जी की पत्नी थीं, पर उनके पिता द्वारा जब भगवान शिव जी का अपमान किया गया, उनहोंने वहीं आत्मदाह कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। मृत्यु के बाद अपने अगले जन्म में उन्होंने राजा हिमवत की पुत्री के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव जी को अपनी सुंदरता से लुभाने के लिए हर एक कोशिश की।

7:40:00 am

तो इसलिए इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा

तो इसलिए इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा

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हाल ही में कुछ मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक पर काफी विवाद हुआ। मंदिर के प्रमुख लोगों का कहना था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए। दरअसल मंदिर प्रमुख का कहना है कि मासिक धर्म टेस्ट करने वाली मशीन के चेक होने के बाद ही महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलेगी। उन्हें लगता है कि महिलाओं की शुद्धता का पता लगाना मुश्किल होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म का उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथो में भी मिलता है। भागवत पुराण के अनुसार स्त्रियों को मासिक धर्म क्यों होता है? इस बारे में एक पौराणिक कथा मिलती है।

पुराण के अनुसार एक बार 'बृहस्पति' जो देवताओं के गुरु थे, एक बार वह देवराज इंद्र से काफी नाराज हो गए। इसी दौरान असुरों ने देवलोक परआक्रमण कर दिया और इंद्र को इंद्रलोक छोड़कर जाना पड़ा।

तब इंद्र, ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे मदद की मांग की। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि, इंद्र देव आपको किसी ब्रह्म-ज्ञानी की सेवा करनी चाहिए ऐसे में आपके दु:ख का निवारण होगा। तब इंद्र एक ब्रह्म-ज्ञानी व्यक्ति की सेवा करने लगे। लेकिन वो इस बात से अनजान थे कि उस ब्रह्म-ज्ञानी की माता असुर थीं। माता का असुरों के प्रति विशेष लगाव था। ऐसे में इंद्र देव द्वारा अर्पित सारी हवन सामग्री जो देवताओं को अर्पित की जाती थी, वह ब्रह्म-ज्ञानी असुरों को चढ़ाया करते थे। इससे इंद्र की सेवा भंग हो गई। जब इंद्र को यह बात पता चली तो वो बहुत नाराज हुए। उन्होंने उस ब्रह्म-ज्ञानी की हत्या कर दी। हत्या करने से पहले इंद्र उस ब्रह्म-ज्ञानी को गुरु मानते थे और गुरु की हत्या करना घोर पाप है। इसी कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष भी लग गया।

ये पाप एक भयानक दानव के रूप में उनका पीछा करने लगा। किसी तरह इंद्र ने स्वयं को एक फूल में छुपाया और कई वर्षों तक उसी में भगवान विष्णु की तपस्या करते रहे। भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और इंद्र को ब्रह्म हत्या के दोष से बचा लिया। उन्होंने इस पाप मुक्ति के लिए एक सुझाव दिया। सुझाव के अनुसार इंद्र ने पेड़, जल, भूमि और स्त्री को अपने पाप का थोड़ा थोड़ा अंश देने के लिए मनाया। इंद्र की बात सुनकर वह तैयार हो गए। इंद्र ने उन्हें एक-एक वरदान देने की बात कही।

सबसे पहले पेड़ ने ब्रह्महत्या के पाप का एक चौथाई हिस्सा लिया जिसके बदले में इंद्र ने पेड़ को अपने आप जीवित होने का वरदान दिया। इसके बाद जल ने एक चौथाई हिस्सा लिया तो इंद्र ने जल को वरदान दिया कि जल को अन्य वस्तुओं को पवित्र करने की शक्ति होगी।

तीसरे पड़ाव में भूमि ने ब्रह्म हत्या का दोष इंद्र से लिया बदले में इंद्र ने भूमि को वरदान दिया कि भूमि पर आने वाली कोई भी चोट से उसे कोई असर नहीं होगा और वो फिर से ठीक हो जाएगी। आखिर में स्त्री ही शेष बची थी। इंद्र का ब्रह्म हत्या का दोष स्त्री ने लिया। बदले में इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा। लेकिन महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा काम का आनंद उठा सकेगीं।

पौराणिक मतों के अनुसार स्त्रियां ब्रह्म हत्या यानी अपने गुरु की हत्या का पाप सदियों से उठाती आ रही हैं। इसलिए उन्हें मंदिरों में अपने गुरुओं के पास जाने की इजाजत नहीं है। मान्यता है कि तभी से स्त्रियों में मासिक धर्म का होना शुरू हुआ। हालांकि आधुनिक युग में वैज्ञानिक मत को मानने वाले लोग इन बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं।

6:46:00 am

मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्‍थर, करीब आने वाले का जिन्‍न करते हैं ये हाल

मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्‍थर, करीब आने वाले का जिन्‍न करते हैं ये हाल

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यहां है ये किला
भोपाल के पास एक किला है। ये किला भोपाल से 50 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है। इस किले का नाम है रायसेन का किला। कहते हैं कि इस किले के अंदर पारस पत्‍थर मौजूद है। इस किले को 1200 ईस्‍वी में बनवाया गया था। इसकी खासियत ये है कि ये बलुआ पत्‍थर का बना हुआ है। इसके साथ ही इस किले की एक और खासियत है।

ये है दूसरी खासियत
इसकी दूसरी खासियत ये है कि इस किले में सबसे पुराना वॉटर हार्वेस्‍टिंग सिस्‍टम लगा हुआ है। इस किले को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस किले के राजा के पास एक पारस का पत्‍थर था। उस पारस के पत्‍थर को लेने के लिए यहां पर कई युद्ध हुए। ऐसा ही एक युद्ध राजा रायसेन ने लड़ा। दुखद ये है कि वो उस युद्ध में हार गए। अब वो पत्‍थर किसी और के हाथ में न चला जाए, इसलिए उन्‍होंने उसको किले के अंदर ही तालाब में फेंक दिया। आखिर में युद्ध के दौरान ही राजा की मौत भी हो गई। मरने से पहले उन्‍होंने पारस पत्‍थर के बारे में किसी को नहीं बताया।

ऐसा हुआ राजा के साथ फिर
उनकी मौत के बाद वो किला वीरान हो गया। इसके बावजूद उस पारस पत्‍थर को ढूंढने उस किले में बहुत से लोग गए। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी किले में पत्‍थर को ढूंढने जाता, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता। इसके पीछे का कारण बताया गया कि क्‍योंकि उस पारस पत्‍थर की रखवाली जिन्‍न करते हैं। यही वजह है कि उसको ढूंढने के लिए जाने वाला हर इंसान मानसिक संतुलन खो देता है।

अब तांत्रिकों को दे दी गई है जिम्‍मेदारी
वहीं आपको ये भी बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है। बताया जाता है कि अब पत्‍थर की खोज होनी बंद हो गई है। कहते हैं कि अब इस काम के लिए सिर्फ तांत्रिकों की ही मदद ली जाती है। दिन में इस किले को लोगों के लिए खोल दिया गया है। दिन में यहां लोग घूमने के लिए आते हैं। वहीं रात होते ही यहां खुदाई का काम शुरू हो जाता है। इस खुदाई की बात का सबूत ये है कि किले में दूसरे दिन बड़े-बड़े गढडे देखने को मिलते हैं। फिलहाल, यहां पारस पत्‍थर और जिन्‍न के बारे में अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। पुरातत्‍व विभाग अभी इस मामले में खोज कर रहा है।

6:46:00 am

मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्‍थर, करीब आने वाले का जिन्‍न करते हैं ये हाल

मिल गया पता : इस किले में है पारस पत्‍थर, करीब आने वाले का जिन्‍न करते हैं ये हाल

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यहां है ये किला
भोपाल के पास एक किला है। ये किला भोपाल से 50 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है। इस किले का नाम है रायसेन का किला। कहते हैं कि इस किले के अंदर पारस पत्‍थर मौजूद है। इस किले को 1200 ईस्‍वी में बनवाया गया था। इसकी खासियत ये है कि ये बलुआ पत्‍थर का बना हुआ है। इसके साथ ही इस किले की एक और खासियत है।

ये है दूसरी खासियत
इसकी दूसरी खासियत ये है कि इस किले में सबसे पुराना वॉटर हार्वेस्‍टिंग सिस्‍टम लगा हुआ है। इस किले को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस किले के राजा के पास एक पारस का पत्‍थर था। उस पारस के पत्‍थर को लेने के लिए यहां पर कई युद्ध हुए। ऐसा ही एक युद्ध राजा रायसेन ने लड़ा। दुखद ये है कि वो उस युद्ध में हार गए। अब वो पत्‍थर किसी और के हाथ में न चला जाए, इसलिए उन्‍होंने उसको किले के अंदर ही तालाब में फेंक दिया। आखिर में युद्ध के दौरान ही राजा की मौत भी हो गई। मरने से पहले उन्‍होंने पारस पत्‍थर के बारे में किसी को नहीं बताया।

ऐसा हुआ राजा के साथ फिर
उनकी मौत के बाद वो किला वीरान हो गया। इसके बावजूद उस पारस पत्‍थर को ढूंढने उस किले में बहुत से लोग गए। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी किले में पत्‍थर को ढूंढने जाता, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता। इसके पीछे का कारण बताया गया कि क्‍योंकि उस पारस पत्‍थर की रखवाली जिन्‍न करते हैं। यही वजह है कि उसको ढूंढने के लिए जाने वाला हर इंसान मानसिक संतुलन खो देता है।

अब तांत्रिकों को दे दी गई है जिम्‍मेदारी
वहीं आपको ये भी बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है। बताया जाता है कि अब पत्‍थर की खोज होनी बंद हो गई है। कहते हैं कि अब इस काम के लिए सिर्फ तांत्रिकों की ही मदद ली जाती है। दिन में इस किले को लोगों के लिए खोल दिया गया है। दिन में यहां लोग घूमने के लिए आते हैं। वहीं रात होते ही यहां खुदाई का काम शुरू हो जाता है। इस खुदाई की बात का सबूत ये है कि किले में दूसरे दिन बड़े-बड़े गढडे देखने को मिलते हैं। फिलहाल, यहां पारस पत्‍थर और जिन्‍न के बारे में अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। पुरातत्‍व विभाग अभी इस मामले में खोज कर रहा है।

रविवार, 20 नवंबर 2016

1:15:00 pm

कहते हैं यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं

कहते हैं यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं

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https://youtu.be/Pwu80dnVUr4


यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर के पिछले हिस्से में उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत रखते हैं और पूरी हो जाने पर दुबारा आकर उसे सीधी बनाते हैं।

भगवान गणेश के कई सिद्ध मंदिरों में चिंतामन गणेश मंदिर भी हैं। पूरे देश में कुल चार चिंतामन मंदिर हैं। कहते हैं यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भोपाल, उज्जैन, गुजरात और रणथंभौर में इन गणपति मंदिरों की सिद्धियां इनकी स्थापना की चर्चित कहानियों में छुपी हैं।

भोपाल से 2 किलोमीटर की दूरी पर सीहोर में स्थित चिंतामन गणेश मंदिर की दंतकथा बेहद रोचक है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य ने की थी लेकिन इसकी मूर्ति उन्हें स्वयं गणपति ने दी थी।प्रचलित कहानी के अनुसार एक बार राजा विक्रमादित्य के स्वप्न में गणपति आए और पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में अपनी मूर्ति होने की बात बताते हुए उसे लाकर स्थापित करने का आदेश दिया। राजा विक्रमादित्य ने वैसा ही किया। पार्वती नदी के तट पर उन्हें वह पुष्प भी मिल गया और उसे रथ पर अपने साथ लेकर वह राज्य की ओर लौट पड़े। रास्ते में रात हो गई और अचानक वह पुष्प गणपति की मूर्ति में परिवर्तित होकर वहीं जमीन में धंस गई। राजा के साथ आए अंगरक्षकों ने जंजीर से रथ को बांधकर मूर्ति को जमीन से निकालने की बहुत कोशिश की पर मूर्ति निकली नहीं। तब विक्रमादित्य ने गणमति की मूर्ति वहीं स्थापित कर इस मंदिर का निर्माण कराया।

×

मंदिर में स्थापित गणपति की मूर्ति की आंख चांदी की बनी है। वास्तविक मूर्ति की आंख हीरे की थी। स्थानीय लोगों के अनुसार आज मंदिर और मूर्ति की सुरक्षा के लिए रात के समय मंदिर परिसर में ताला लगाया जाता है लेकिन पहले ऐसा नहीं था। 150 साल पहले इस खुले परिसर में मूर्ति की हीरे की आंख चोरी हो गई। कई दिनों तक आंख की जगह से दूध की धार टपकती रही और आखिरकार मुख्य पुजारी के स्वप्न में गणपति जी ने आकर इस जगह चांदी की आंख लगाने का आदेश दिया। पुजारी ने इसे चिंतामन मंदिर में स्थापित गणपति के नए जन्म के रूप में माना और चांदी की आंख लगाने के अवसर पर भंडारा किया। तब से हर साल उस दिन की याद में यहां मेला लगता है।

यहां हर माह गणेश चतुर्थी पर भंडारा करने की प्रथा है। स्थानीय लोगों के अनुसार 60 साल पहले यहां प्लेग की बीमारी फैली थी। तब इसी मंदिर में लोगों ने इसके ठीक होने की प्रार्थना की और प्लेग के खत्म हो जाने पर गणेश चतुर्थी मनाए जाने की मन्नत रखी। प्लेग ठीक हो गया और तब से हर माह गणेश चतुर्थी पर भंडारे की यह प्रथा चली आ रही है। यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर के पिछले हिस्से में उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत रखते हैं और पूरी हो जाने पर दुबारा आकर उसे सीधी बनाते हैं।

इसी प्रकार उज्जैन में बने चिंतामन मंदिर की मान्यता है कि त्रेतायुग में स्वयं भगवान राम ने गणपति की मूर्ति स्थापित कर इस मंदिर का निर्माण कराया था। चर्चित कथा के अनुसार वनवास काल में एक बार सीता जी को प्यास लगी। तब पहली बार राम की किसी आज्ञा का उल्लंघन करते हुए लक्ष्मण ने पास ही कहीं से पानी ढूंढ़कर लाने से इनकार कर दिया। राम ने अपनी दिव्यदृष्टि से वहां की हवाएं दोषपूर्ण होने की बात जान ली और इसे दूर करने के लिए गणपति के इस चिंतामन मंदिर का निर्माण कराया। कहते हैं बाद में लक्ष्मण ने मंदिर के बगल में एक तालाब बनवाया जो आज भी लक्ष्मण बावड़ी के नाम से यहां मौजूद है। इस मंदिर में एक साथ तीन गणपति की मूर्तियां स्थापित हैं।

11:11:00 am

पहलवानो के पहलवान दारा सिंह के बारे में ये दस बातें नही जानते होंगे आप

पहलवानो के पहलवान दारा सिंह के बारे में ये दस बातें नही जानते होंगे आप

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https://youtu.be/Pwu80dnVUr4

1- महाबली के नाम से मशहूर दारा सिंह कुश्‍ती में कभी ना हारने वाले चैम्पियन्‍स के भी चैम्पियन हैं। 1968 की वर्ल्‍ड चैम्पियन शिप के साथ ही उन्‍होंने कुश्‍ती में हमेशा जीत हासिल की।

2- दारा सिंह ने 1962 में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। रामानंद सागर के शो रामायण में हनुमान का किरदार उनके सबसे यादगार किरदारों में से एक है।

3- फिल्‍म जब वी मेट में वो आखरी बार करीना कपूर के दादा जी के रूप में नजर आये थे। 1996 में उन्‍हें रेसलिंग आबजर्व न्‍यूजलेटर में हाल आफ फेम चुना गया।

4- दारा सिंह ने कई वर्ल्‍ड क्‍लास चैम्पियन्‍स के खिलाफ कुश्‍ती लड़ी। जिसमें जेबियोस्‍को और लू टीज की हार भी शामिल है। उन्‍होंने रूस्‍तमे हिंद के साथ रूस्‍तमें पंजाब सारीखे कई नामों से नवाजा गया। यूकोन एरिच को हराकर उन्‍होंने कनाडियन ओपेन टेग टीम चैम्पियनशिप भी जीती थी।

5-  1970 में दारा सिंह ने पहली फिल्‍म डॉयरेक्‍ट की जिसका नाम नाकन दुखिया सब संसार था। फिल्‍म एक ब्‍लाकबास्‍टर हिट साबित हुई।

6- पहली बार दारा सिंह ने फिल्‍म बजरंग बली में हनुमान जी का किरदार निभाया था। इसके बाद उन्‍होंने टीवी स्‍क्रीन पर भी धारावाहिक रामायण में हनुमान का किरदार निभाया था।

6- पहली बार दारा सिंह ने फिल्‍म बजरंग बली में हनुमान जी का किरदार निभाया था। इसके बाद उन्‍होंने टीवी स्‍क्रीन पर भी धारावाहिक रामायण में हनुमान का किरदार निभाया था।

8- 1947 में दारा सिंह ने 'भारतीय स्टाइल' की कुश्ती में मलेशियाई चैंपियन त्रिलोक सिंह को हराकर कुआलालंपुर में मलेशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप जीती। पंजाब के अमृतसर जिले में जन्मे दारा सिंह ने अपने समय के बड़े-बड़े पहलवानों को अखाड़े की धूल चटाई थी।

9- पांच साल तक फ्री स्टाइल रेसलिंग में दुनिया भर के पहलवानों को चित्त करने के बाद दारा सिंह भारत आकर 1954 में भारतीय कुश्ती चैंपियन बने। इसके बाद उन्होंने कॉमनवेल्थ देशों का दौरा किया और विश्व चैंपियन किंग कॉन्ग को भी धूल चटा दी।

10- दारा सिंह की लोकप्रियता को देख कनाडा के विश्व चैंपियन जार्ज गार्डीयांका और न्यूजीलैंड के जॉन डिसिल्वा ने 1959 में कोलकाता में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में उन्हें खुली चुनौती दे डाली जिनमे दारा सिंह ने दोनो को धूल चटाई थी।

10:15:00 am

The FBI admits visits of “beings from other dimensions” – Declassified FBI document

The FBI admits visits of “beings from other dimensions” – Declassified FBI document

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https://youtu.be/Pwu80dnVUr4


According to a declassified document released by the FBI, not only are we being visited by Alien beings from other worlds, but we have been visited by “beings from other dimensions.”


Is it surprising that the FBI has shown interest in the study of the UFO phenomena? Is it possible that many science fiction films are actually based on real events, or better called “leaks” given by the government in order to deliberately raise awareness among the population?

In 2011 after some documents were “declassified” a report written by a special agent of the FBI in 1947 reached the public. The special agent of the FBI, a lieutenant colonel whose identity, remained anonymous because of “national security” gather numerous data on the UFO phenomena after interviewing and studying the phenomena for years.

According to reports and “Declassified” documents, we have been visited by numbs extraterrestrial species, some of these, are not only from other planets but from other dimensions. Some of these beings originate from an ethereal plane coexistent with our physical universe. These “entities” that could “materialize” on our planet appeared as giant translucent figures.

Here is a transcript of some of the most important details of the report:

1. Part of the disks carry crews; others are under remote control

2. Their mission is peaceful. The visitors contemplate settling on this plane

3. These visitors are human-like but much larger in size

4. They are not excarnate Earth people but come from their own world

5. They do NOT come from a planet as we use the word, but from an etheric planet which interpenetrates with our own and is not perceptible to us

6. The bodies of the visitors, and the craft, automatically materialize on entering the vibratory rate of our dense matter

7. The disks posses a type of radiant energy or a ray, which will easily disintegrate any attacking ship. They reenter the etheric at will, and so simply disappear from our vision, without trace

8. The region from which they come is not the “astral plane”, but corresponds to the Lokas or Talas. Students of osoteric matters will understand these terms.

9. They probably can not be reached by radio, but probably can be by radar. if a signal system can be devised for that (apparatus)

Addendum: The Lokas are oval shape, fluted length oval with a heat-resistaning metal or alloy is not yet known the front cage contains the controls, the middle portion a laboratory; the rear contains armament, which consists essentially of a powerful energy apparatus, perhaps a ray.

What are your thoughts on this? If these beings have been visiting us in the last 50 to 60 years, is it possible that these same beings visited Earth hundreds and thousands of years ago? Is it possible that these beings influenced civilization as we know it today? And is it possible that they are still influencing the way of life on Earth?

7:40:00 am

200 साल बाद खोला गया ईसा मसीह का मकबरा, जानें अंदर क्‍या दिखा...

200 साल बाद खोला गया ईसा मसीह का मकबरा, जानें अंदर क्‍या दिखा...

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खोलने की अनुमति मिली
इजरायल के यरुशलम में ईसा मसीह का करीब 200 साल पुराना मकबरा बना है। यह चर्च ऑफ द हॉली स्पल्चर नाम से काफी फेमस है। इस चर्च को लेकर मान्‍यता है कि इसी में 33वीं ईसवी में ईसा मसीह को दोबारा जीवित होने से पहले दफनाने के लिए रखा गया था। ऐसे में हाल ही में यह मकबरा अभी खोला गया है। हालांकि इसे बस 60 घंटे ही खोलने की अनुमति मिली है। ग्रीक शोधकर्ताओं का कहना है कि यह चर्च काफी समय पहले क्षतिग्रस्‍त है। 1927 के भूकंप में छतिग्रस्त हुए इस चर्च को दोबारा मरम्‍मत कराने की मांग हो रही थी, लेकिन इसकी परमीशन नहीं मिल रही थी।

हैरान करने वाले द्श्‍य
हालांकि लगातार प्रयासों से काफी मुश्‍िकल के बाद ईसाई संस्‍थाओं ने इसकी इजाजत दी है। जिससे अब इसमें मरम्‍मत कार्य काफी तेजी से चल रहा है क्‍योंकि इसे एक निश्‍चित समय में बंद भी करना है। सबसे खास बात तो यह है कि इस मकबरे के ऊपर 1810 में पवित्र चट्टान पर संगमरमर की पट्टी रखी गई थी। ऐसे में जब इसे खोलने के लिए संगमरमर की चट्टान हटाई गई तो काफी हैरान करने वाले द्श्‍य दिखे। यहां पर कई ईसाई धर्मगुरु और श्रद्धालु भी दिखे। वहीं जो भी 200 साल बाद इस मकबरे के खोले जाने की बात सुनता है तो कुछ पलों के लिए हैरान हो जाता है।

शनिवार, 19 नवंबर 2016

8:04:00 pm

SpaceX Successfully Tests its Mars Ship Out at Sea

SpaceX Successfully Tests its Mars Ship Out at Sea

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A Small Step to Mars

Mars just got a step closer for SpaceX this week. On Wednesday, Elon Musk’s venture space company announced that it successfully tested the liquid oxygen tank (LOX) for its Interplanetary Transport System (ITS). The huge piece, which looks like a giant black orb, is critical for its Mars spaceship.

In a tweet, SpaceX confirmed that the test “[h]it both of our pressure targets.”  The LOX is a fuel tank made of carbon fiber and has a diameter of roughly 12 meters (about 40 ft). According to ITS plans from SpaceX, the LOX will be fitted in the rocket’s upper stage.

Musk previously showed photos of a prototype LOX, presumably the same one used in the test, during his September 27 presentation at the 67th International Astronomical Congress (IAC) in Guadalajara, Mexico. “This is really the hardest part of the spaceship,” Musk said then. “The other pieces … we have a pretty good handle on, but this was the trickiest one. So we wanted to tackle it first.”

From Dream to Reality

In an October 23 Reddit AMA, Musk said that SpaceX will “take [the tank] up to 2/3 of burst pressure on an ocean barge in the coming weeks.” Last Wednesday’s tweet confirmed that this was actually done successfully.

Ever since his announcement last September, all curious eyes are on SpaceX as it seems to take the lead in bringing humanity to Mars. While it isn’t the only Mars program in development, with NASA having its own and Boeing recently joining the race, SpaceX’s plans appear to be the most far along of the bunch.

SpaceX understands the importance of getting the LOX right, as the company isn’t unfamiliar with fuel tank mishaps. Soon, as the tweet also announced, SpaceX will move to “full cryo testing” for the LOX.

7:46:00 pm

जब इंदिरा गांधी ने बचपन में अपनी प्‍यारी गुड़िया आग के हवाले कर दी

जब इंदिरा गांधी ने बचपन में अपनी प्‍यारी गुड़िया आग के हवाले कर दी

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1. इंदिरा गांधी की प्रतिभा बचपन से ही दिखने लगी थी। पांच साल की इंदिरा ने स्वदेशी आंदोलन से प्रभावित होकर अपनी सबसे पसंदीदा विदेशी गुड़िया जला दी थी। यह गुड़िया इंग्‍लैंड में बनी थी |

2. इंदिरा गांधी ने अपने जिंदगी का सबसे कठिन फैसला 25 साल की उम्र में लिया। कांग्रेस और परिवार के विरोध से बावजूद फिरोज गांधी से शादी की।

3. इंदिरा ने जब राजनीति में प्रवेश किया तो वो हमेशा चुप रहती थीं। जिसके कारण विपक्ष उन्हें 'गूंगी गुड़िया' कहकर पुकारने लगा। लेकिन 1971 में पाकिस्तान के विभाजन के बाद नेताओं की उनके बारे में छवि बदल गई और उन्हें 'दुर्गा' कहा जाने लगा। यही दुर्गा एटमी परीक्षण के बाद 'आयरन लेडी' कहलाने लगीं।

4. इंदिरा गांधी को अंधेरे से बहुत डर लगता था। अपने इस डर के बारे में एक बार खुद कहा था कि “मुझे अंधेरे से डर लगता है, रात को बेडरूम तक जाने में डरती हूं। लेकिन मैंने निश्चय किया है इससे जल्द छुटकारा पाना है।”

5. काफी कम लोगों को पता है कि इंदिरा गांधी जवाहर लाल नेहरू की इकलौती संतान नहीं थीं। दिसंबर 1924 में उनकी मां कमला नेहरू ने एक बेटे को भी जन्म दिया था, लेकिन जन्म के कुछ महीने तक ही वह जीवित रहा।

6. इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए। उन्होंने 1969 में 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। उस समय के वित्तमंत्री मोरारजी देसाई ने भी इंदिरा के इस कदम का विरोध किया था। हालांकि बाद में वे मान गए थे।

7. इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के बाद बैंकों की 40 प्रतिशत पूंजी को प्राइमरी सेक्टर जैसे कृषि और मध्यम छोटे उधोगों में निवेश के लिए रखा। देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बैंक शाखाएं खोली गई। साल 1969 में 8261 शाखाएं थीं वहीं 2000 तक 65,521 शाखाएं हो गई।

8. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान की जनता ने सिविल वॉर शुरू कर दिया। पाक से परेशान 10 लाख रिफ्यूजी भारत आ गए थे। लेकिन भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद पाक सेना ने सरेंडर किया और बांग्लादेश अलग देश बना।

9. 25 जून, 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। इसके बाद अगले 21 महीनों तक देश भर में आपातकाल लागू रहा। विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को रातों-रात जेल में डाल दिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया। इन सबका असर ये हुआ कि 1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी की क़रारी हार हुई। आपातकाल को भारतीय इतिहास का काला अध्याय माना जाता है।

10. सिख चरमपंथी नेता जरनेल सिंह भिंडरावाला के समर्थकों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया था। इंदिरा गांधी की सरकार ने सेना को स्वर्ण मंदिर पर हमला करने का निर्देश दिया। एक जून, 1984 से आठ जून, 1984 तक चले इस अभियान में सैकड़ों लोग मारे गए।

7:42:00 pm

दुनिया के इस सबसे छोटे कपल के लिए बड़ा दिन

दुनिया के इस सबसे छोटे कपल के लिए बड़ा दि

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सबसे छोटा नवविवाहित जोड़ा

ब्राजील के रहने वाले पाउलो गैब्रियल डिसिल्‍वा बारॉस और कात्‍युसिआ ली हॉसिनो ने बीते बुधवार शादी की है। इसके साथ ही उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्डस में शामिल हो गया है। दोनों को दुनिया का सबसे छोटे न्‍यूलीमैरिड कपल घोषित किया गया है। इन दोनों की शादी इसीलिए बेहद खास बन गयी है क्‍योंकि ये एक वर्ल्‍ड टाइटिल के अधिकारी हो गए हैं।

दोनों की मिला कर पांच फीट से कम है लंबाई
पाउलो और ली की लंबाई अगर मिला दी जाये तो भी महज 70 इंचेज होती है। इसका मतलब है दोनों को एक के ऊपर एक खड़ा कर दिया जाये तो भी दोनों पांच फीट के नहीं होंगे।

सात साल के रिलेशन के बाद की शादी
दोनों की मुलाकात करीब सात साल पहले सोशल मीडिया पर हुई थी। बातों का सिलसिला बढ़ने पर उनकी मुलाकात हुई और अफेयर शुरू हुआ। इसके बाद अब उन्‍होंने लंदन के सेंट थॉमस हॉस्‍पिटल में शादी की है।

बने नाटों के लिए मिसाल
ली और पाउलो अपनी शादी से बेहद खुश हैं और उम्‍मीद करते हैं कि अब दुनिया छोटे या बौने लोगों को एक नई और सम्‍मानजनक दृष्‍टि से देखना शुरू करेगी और उन्‍हें सामान्‍य लोगों से अलग नहीं समझेगी।

क्‍या है दोनों की व्‍यक्‍तिगत लंबाई
दुनिया के इस सबसे छोटे जोड़े में पाउलो की लंबाई दो फुट नौ इंच है और ली की लंबाई दो फुट एक इंच है।

ये दिन भी था खास
वैसे इस जोड़े की शादी का ये दिन गिनीज वर्ल्‍ड रिकॉर्डस के लिए भी खास था। उस दिन गिनीज वर्ल्‍ड रिकॉर्ड डे भी सेलिब्रेट किया जा रहा था।

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