दाढ़ी रखने पर सस्पेंड हुए मुस्लिम पुलिसकर्मी ने फिर से जॉइन करने का ऑफर ठुकराया इकनॉमिक टाइम्स | Updated Apr 14, 2017, 07:03AM IST AAA समन्यव राउतरे, नई दिल्ली दाढ़ी रखने पर अड़े रहने के मामले में सस्पेंड होने वाले महाराष्ट्र के पुलिसकर्मी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का वह ऑफर ठुकरा दिया, जिसमें इस शख्स को सहानुभूति के आधार पर फिर नौकरी जॉइन करने को कहा गया था। महाराष्ट्र रिजर्व पुलिस फोर्स के एंप्लॉयी जहीरुद्दीन शमसुद्दीन बेदादे के वकील मोहम्मद इरशाद हनीफ ने कहा, 'इस्लाम में अस्थाई दाढ़ी रखने की अवधारणा नहीं है।' चीफ जस्टिस ने पुलिसकर्मी के वकील से कहा, 'हम आपके लिए बुरा महसूस करते हैं। आप जॉइन क्यों नहीं कर लेते?' वकील ने इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग थी। हालांकि, वकील के साफ जवाब नहीं देने पर चीफ जस्टिस ने जल्द सुनवाई का उनका अनुरोध ठुकरा दिया। SHARE जहीरुद्दीन को शुरू में दाढ़ी रखने की इजाजत दी गई थी, बशर्ते वह छंटी हुई और साफ हो। बाद में कमांडेंट ने इस मंजूरी को वापस ले लिया और इस शख्स के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 दिसंबर 2012 को इस पुलिसकर्मी के खिलाफ फैसला दिया था। अदालत ने कहा था कि फोर्स एक सेक्युलर एजेंसी है और यहां अनुशासन का पालन जरूरी है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि दाढ़ी रखना मौलिक अधिकार नहीं है, क्योंकि यह इस्लाम के बुनियादी उसूलों में शामिल नहीं है। इसके बाद बेदादे ने राहत के लिए सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2013 में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से केस सुनवाई के लिए पेंडिंग है। उस वक्त उनके वकील ने सैन्य बलों के लिए 1989 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा था कि नियमों में दाढ़ी रखने की इजाजत है। वकील की यह भी दलील थी कि इस्लाम के हदीस कानून के तहत दाढ़ी रखना जरूरी है और यह पैगंबर मोहम्मद की तरफ से बताई गई जीवन शैली का मामला है।
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