सीता का नहीं हुआ था स्वयंवर, आपको नहीं पता होंगे रामायण से जुड़े ये राज
सीता का नहीं हुआ था स्वयंवर, आपको नहीं पता होंगे रामायण से जुड़े ये राज
By - VIIVVEK SHHARMAA VASSHISHTHHA
आज पूरे देश में दशहरे का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। राम-रावण से जुड़ी कई रोचक बातें हैं जो आपको रामायण में पढ़ने को मिल जाएंगी। लेकिन इसके बावजूद कुछ फैक्ट्स ऐसे हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। देखें एक नजर...
1. सीता का नहीं हुआ था स्वयंवर :
आपने हर जगह पढ़ा या सुना होगा कि सीता जी का स्वयंवर हुआ था। लेकिन श्रीरामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में कुछ प्रसंगों को लेकर मतभेद भी है। वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का कोई वर्णन नहीं है। उसके अनुसार एक बार राम व लक्ष्मण का ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला में आगमन हुआ, जहां विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने को कहा। तब श्रीराम ने उस धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया। तब राजा जनक ने विश्वामित्र से अपनी पुत्री सीता का विवाह भगवान राम से करने का आग्रह किया, क्योंकि राजा जनक ने यह प्रण किया था कि जो भी इस शिव धनुष को उठा लेगा, उसी से वे अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे।
2. नहीं हुआ था परशुराम-लक्ष्मण विवाद :
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, सीता विवाह के दौरान लक्ष्मण और परशुराम का कोई विवाद नहीं हुआ था। इस रामायण के अनुसार सीता से विवाह के बाद जब श्रीराम अयोध्या लौट रहे थे, तब रास्ते में उन्हें परशुराम मिले। उन्होंने श्रीराम से अपने धनुष पर बाण चढ़ाने के लिए कहा। श्रीराम ने जब उनके धनुष पर बाण चढ़ा दिया, तो बिना किसी से विवाद किए वे वहां से चले गए।
3. नंदी ने दिया था रावण को यह श्राप
एक बार रावण ने नंदी को देखकर उनके स्वरूप की हंसी उड़ाई और उन्हें बंदर के समान मुख वाला कहा। तब नंदी ने रावण को श्राप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा।
4. इंद्र ने खिलाया था माता सीता को खीर :
जिस दिन रावण सीता का हरण कर अशोक वाटिका में लाया। उसी रात भगवान ब्रह्मा के कहने पर देवराज इंद्र माता सीता के लिए खीर लेकर आए। पहले इंद्र ने अशोक वाटिका के सभी राक्षसों को मोहित कर सुला दिया। उसके बाद माता सीता को खीर अर्पित की। इसे खाने से सीता की भूख-प्यास शांत हो गई।
5. पांच दिन में बन गया था रामसेतु :
रामायण के अनुसार, समुद्र पर पुल बनाने में 5 दिन का समय लगा। पहले दिन वानरों ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया। यह पुल 10 योजन चौड़ा था।
6. शूर्पणखा भी चाहती थी रावण का सर्वनाश :
रामायण के अनुसार रावण की बहन शूर्पणखा भी रावण का सर्व-विनाश चाहती थी शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था। वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ। उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का भी वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें